अखुरथ संकष्टी चतुर्थी हिंदू कैलेंडर के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी एक विशेष दिन है जो हर महीने की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन "अखुरथ संकष्टी चतुर्थी" का विशेष महत्व होता है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होता है और इसे संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जो अपनी परेशानियों से मुक्ति चाहते हैं और भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी विशेष रूप से आखिरी संकष्टी चतुर्थी के रूप में जानी जाती है, जो साल के अंत में आती है। यह दिन भगवान गणेश के आशीर्वाद के लिए बहुत खास मा ना जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से लेकर चंद्र दर्शन तक पूजा की जाती है और इसे खास आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश के भक्त उनके दर्शन करते हैं और पूजा-अर्चना करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा का दिन होता है। हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत सूर्य के उदय से प्रारंभ होकर चंद्र दर्शन के बाद समाप्त होता है, और भगवान गणेश की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी विघ्नों का नाश होता है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
संकष्टी चतुर्थी कब है?
इस साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह खास दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत के लिए समर्पित होता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जो अपने जीवन में कोई विशेष आशीर्वाद या मनोकामनाओं की पूर्ति चाहते हैं। इस दिन के व्रत से घर में सुख-शांति बनी रहती है और भगवान गणेश की कृपा मिलती हैं।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024 Shubh Muhurat)
संकष्टी चतुर्थी की तिथि 18 दिसंबर को सुबह 10:06 बजे से शुरू होगी और 19 दिसंबर को सुबह 10:02 बजे तक रहेगी। इस दौरान पूजा और व्रत का आयोजन किया जा सकता है। चंद्र दर्शन का समय रात 8:27 बजे है, जब भक्त चंद्र देव को अर्घ्य देंगे और व्रत की पूजा पूरी करेंगे।
पूजन विधि (Akhuratha Sankashti Chaturthi Pujan Vidhi)
· इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और फिर स्वच्छ वस्त्र पहनकर गणेश जी की पूजा करें।
· पूजा स्थल को साफ करके वहां गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
· "गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें।
· गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू, बूंदी या पीले मोदक चढ़ाएं।
· पूजा के बाद त्रिकोण के अगले भाग में एक घी का दीपक रखें, मसूर की दाल और साबुत मिर्च रखें।
· पूजा के बाद चंद्र देव को दूध, चंदन और शहद से अर्घ्य दें।
· अंत में गणेश जी के प्रसाद का सेवन करें।
संकष्टी चतुर्थी के मंत्र (Akhuratha Sankashti Chaturthi Mantra)
· "गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
· उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।"
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के उपाय (Akhuratha Sankashti Chaturthi Upay)
· संकष्टी चतुर्थी के दिन गाय के घी में सिंदूर मिलाकर दीपक जलाएं। इस दीपक को भगवान गणेश के सामने रखें और गेंदे के फूल अर्पित करें। साथ ही गुड़ का भोग अर्पित करें।
· केले के पत्ते पर रोली और चंदन से त्रिकोण बनाएँ और उसे पूजा स्थल पर रखें। इसके बाद दीपक रखें और त्रिकोण के बीच मसूर की दाल और लाल मिर्च रखें।
· पूजा घर के ईशान कोण में एक चौकी रखें और लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। पहले गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और फिर पूजा शुरू करें।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2024 का व्रत न केवल भक्तों को भगवान गणेश की कृपा दिलाता है, बल्कि यह जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और विघ्नों से मुक्ति का मार्ग भी खोलता है। यदि आप इस दिन विधिपूर्वक पूजा करते हैं, तो आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। इस विशेष दिन पर व्रत और पूजा करके आप भगवान गणेश के आशीर्वाद से अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।