होली के रंगों की मस्ती के बाद भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और मजबूत बनाने वाला पर्व आता है—होली भाई दूज। यह दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके लंबी उम्र और तरक्की की कामना करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली के बाद ही क्यों मनाया जाता है यह पर्व? आइए, जानते हैं इसकी पूरी कहानी।
होली भाई दूज की पौराणिक कथा
हिंदू धर्म में भाई दूज का विशेष महत्व है। इसे भाई टीका, भाऊबीज, भाई बीज, भाई फोंटा और भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर गए। यमुना जी ने उनका हार्दिक स्वागत किया, तिलक लगाया और भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने बहन को वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक लगवाएगा, उसे लंबी उम्र और समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा। तभी से यह पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई।
होली भाई दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष होली भाई दूज का पर्व 16 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।
• तिथि प्रारंभ: 15 मार्च 2025, दोपहर 2:33 बजे
• तिथि समाप्त: 16 मार्च 2025, शाम 4:58 बजे
उदया तिथि के आधार पर यह पर्व 16 मार्च को मनाया जाएगा।
भाई दूज पर तिलक करने का नियम
होली भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को घर बुलाकर स्वागत करती हैं।
• भाई को चौकी पर उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बिठाएं।
• कुमकुम से तिलक करें और अक्षत (चावल) लगाएं।
• नारियल देकर दीर्घायु, सुख-समृद्धि की कामना करें।
• भाई बहन को सामर्थ्य अनुसार उपहार दें और भरपेट भोजन कराएं।
होली भाई दूज का महत्व
यह पर्व भाई-बहन के पवित्र और अटूट प्रेम का प्रतीक है। कहा जाता है कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक लगवाते हैं, उनके जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं होता। यह पर्व परिवारिक बंधन को मजबूत बनाने और आपसी स्नेह को और गहरा करने का एक अवसर है।