Gopashtami 2024: कब है गोपाष्टमी 2024? जानें तिथि और इस दिन किसकी होती है पूजा

Gopashtami 2024: कब है गोपाष्टमी 2024? जानें तिथि और इस दिन किसकी होती है पूजा
Last Updated: 2 घंटा पहले

गोपाष्टमी का त्योहार श्रीकृष्ण और गाय से जुड़ा होता है। इस दिन विशेष रूप से गायों की पूजा की जाती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि की कामना पूरी होती है। गोपाष्टमी 2024 में 22 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।

Gopashtami Date 2024: दिवाली के बाद गायों की पूजा का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है, और गौ पूजन करने वालों को कभी दुख का सामना नहीं करना पड़ता। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन गायों और उनके बछड़ों को सजाया जाता है और सुख-समृद्धि की कामना से उनकी पूजा की जाती है। गोपाष्टमी मथुरा, वृंदावन और ब्रज के अन्य क्षेत्रों में प्रसिद्ध त्योहार है।

गोपाष्टमी 2024 की तारीख

इस साल गोपाष्टमी 9 नवंबर 2024, रविवार को है। मान्यता है कि इसी दिन से भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने गौ चरण की लीला शुरू की थी। गोपाष्टमी पर गायों और उनके बछड़ों को सजाया जाता है और सुख-समृद्धि की कामना से उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इसी दिन से भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने गौ चरण की लीला शुरू की थी, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ाता है।

गोपाष्टमी 2024 का पूजा मुहूर्त

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 8 नवंबर 2024 को रात 11:56 बजे शुरू होगी और 9 नवंबर 2024 को रात 10:45 बजे समाप्त होगी।

गाय की पूजा (सुबह): 08:01 से 09:22

दोपहर पूजा: 12:05 से 16:09

गोपाष्टमी का महत्व

गोपाष्टमी के दिन लोग गायों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान दर्शाते हैं। मान्यता है कि गाय में 33 कोटि देवी-देवता का वास होता है। इनकी आराधना से जीवन में नवग्रहों के दोष दूर होते हैं और धन संकट की समस्या खत्म होती है।

गोपाष्टमी पूजा विधि

- गोपाष्टमी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान कृष्ण के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।

- गाय-बछड़े को नहलाकर तैयार करें और गाय को घुंघरू आदि पहनाएं।

- गौ माता के सींग रंगकर उनमें चुनरी बांधे।

- गाय को भोजन कराएं और फिर गाय की परिक्रमा करें।

- गोधूलि बेला में पुनः गाय का पूजन करें और उन्हें गुड़, हरा चारा आदि खिलाएं।

इस प्रकार गोपाष्टमी के पर्व पर गायों की पूजा करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि जीवन में सुख और समृद्धि लाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

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