देश भर में 19 अगस्त, सोमवार के दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को सुरक्षा का वचन और उपहार देते हैं। आइए जानते हैं राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, इस पर्व का महत्व और रक्षाबंधन के बारे में सबकुछ...
धार्मिक न्यूज़: सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर वर्ष रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा तिथि का होना आवश्यक है और भद्रा का होना वर्जित है। पुराणों में भद्रा को सूर्य की पुत्री और शनि की बहन बताया गया है और किसी भी शुभ कार्य में इसकी उपस्थिति नहीं होनी चाहिए। रक्षा बंधन के दिन सुबह स्नान करने के बाद देवताओं, पितरों और ऋषियों का स्मरण किया जाता है। इसके पश्चात रक्षा सूत्र (राखी) को गाय के गोबर से लेपित शुद्ध स्थान पर रखकर विधिपूर्वक पूजा की जाती है। फिर रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बांधा जाता हैं।
रक्षाबंधन की कहानी
एक समय की बात है, बारह वर्षों तक देवताओं और असुरों के बीच युद्ध चलता रहा। इस युद्ध में देवताओं को हार का सामना करना पड़ा और असुरों ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। इस हार के बाद इंद्र बहुत निराश हुए और अपने गुरु बृहस्पति के पास गए। उन्होंने गुरु से कहां, "मेरा युद्ध करना अनिवार्य है, लेकिन अब तक हर बार हमें हार ही मिली है।" इंद्र की पत्नी इंद्राणी भी उनकी बातें सुन रही थीं। उन्होंने कहा, "कल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा है, मैं विधिपूर्वक रक्षासूत्र तैयार करूंगी। आप इसे ब्राह्मणों से बंधवाइए, इससे आप अवश्य विजयी होंगे।" अगले दिन इंद्र ने रक्षा विधान के साथ रक्षाबंधन कार्यक्रम कराया। इसके बाद जब इंद्र ऐरावत हाथी पर सवार होकर रणक्षेत्र में पहुंचे, तो असुर इतने भयभीत हुए कि वे भाग खड़े हुए। इस प्रकार रक्षा विधान के प्रभाव से इंद्र की विजय हुई और तभी से यह पर्व मनाने की परंपरा शुरू हो गई।
रक्षाबंधन पर भद्राकाल का समय
इस वर्ष 19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन भद्रा का समय रहेगा। रक्षाबंधन के दिन भद्रा की शुरुआत सुबह 5 बजकर 52 मिनट से होगी और यह दोपहर 1 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। इस अवधि के दौरान राखी बांधना निषेध हैं।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार राखी बांधने का शुभ समय 19 अगस्त को दोपहर 01:35 बजे से लेकर रात 9:11 बजे तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त के दौरान बहिनें अपने भाई को राखी बांधने का आनंद ले सकती है और उनकी लंबी आयु की प्रार्थना कर सकती हैं।
राखी बांधने का सही तरीका
राखी बांधने के लिए सबसे पहले आपको एक थाली में रोली, अक्षत, मिठाई और राखी रख लेनी चाहिए। सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाए। उसके बाद दाहिनी कलाई पर राखी बांधें, क्योंकि इसे बांधना शुभ माना जाता है। इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं। अब सुख और समृद्धि की कामना करते हुए भाई की आरती उतारें। इस समय भाई को बहनों के चरणों का स्पर्श करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना बहुत ही शुभ होता हैं।
सावन के आखरी सोमवार की पूजा विधि
राखी और सावन का अंतिम सोमवार व्रत एक विशेष दिन होने के कारण इसका बड़ा महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके तैयार हो जाएं। इसके बाद साफ वस्त्र पहनें। फिर घर या मंदिर में जहाँ भी पूजा करने का स्थान हो, शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद भगवान महादेव को बेलपत्र और फूल अर्पित करें। अब शिव जी की आरती करें। अंत में अपने सभी देवी-देवताओं का नाम लेते हुए अपने भाई की तरक्की और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।