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कोकिलावन धाम 2025: वह स्थल जहां श्रीकृष्ण ने शनि देव को कोयल रूप में दर्शन दिए

कोकिलावन धाम 2025: वह स्थल जहां श्रीकृष्ण ने शनि देव को कोयल रूप में दर्शन दिए

कोकिलावन धाम, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के नंदगांव में स्थित, शनिदेव का प्राचीन और पवित्र मंदिर है। यह घने जंगलों में बसा है और पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल रूप में दर्शन दिए थे। मंदिर परिसर में कई अन्य धार्मिक स्थल, सरोवर और गौशाला भी हैं, और शनिवार के दिन विशेष रूप से श्रद्धालुओं की भीड़ होती है।

कोकिलावन धाम: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के नंदगांव कोसी कलां में स्थित कोकिलावन धाम शनिदेव का एक प्रमुख और पवित्र मंदिर है। यह मंदिर घने जंगलों के बीच स्थित है और द्वापरयुग की पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। यहां श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल रूप में दर्शन दिए थे। मंदिर परिसर में शनि देव के अलावा गोकुलेश्वर महादेव, गिरिराज और अन्य मंदिर हैं। श्रद्धालु शनिवार के दिन यहां पूजा-अर्चना और बीज मंत्रों का जाप करते हैं, जिससे यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थल बनता है।

शनि देव का प्राचीन मंदिर और पौराणिक कथा

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के नंदगांव कोसी कलां में स्थित कोकिलावन धाम शनिदेव का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर घने जंगलों के बीच बसा होने के कारण ही ‘कोकिलावन’ के नाम से जाना जाता है। स्थानीय लोग इसे शनिदेव के सबसे प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक मानते हैं। कोकिलावन धाम अपनी धार्मिक और पौराणिक महत्वता के कारण श्रद्धालुओं के बीच खास जगह रखता है।

मंदिर में शनि देव की विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे इस क्षेत्र की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापरयुग में शनिदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए इस स्थान पर कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रूप में दर्शन दिए थे। इसके बाद श्रीकृष्ण ने शनिदेव से कहा कि नंदगांव के पास का कोकिला वन उनका वन है और जो भी व्यक्ति शनि देव की पूजा के बाद इस वन की परिक्रमा करेगा, उसे उनकी और श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होगी। यही वजह है कि कोकिलावन धाम को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है।

मंदिर परिसर और धार्मिक गतिविधियां

कोकिलावन धाम में केवल शनि देव का मंदिर ही नहीं, बल्कि कई अन्य धार्मिक स्थल भी हैं। यहां श्री गोकुलेश्वर महादेव मंदिर, श्री गिरिराज मंदिर, श्री बाबा बनखंडी मंदिर और श्रीदेव बिहारी मंदिर भी मौजूद हैं। मंदिर परिसर में दो प्राचीन सरोवर और एक गौशाला भी है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

शनिवार के दिन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। भक्त शनि देव की पूजा-अर्चना करने के बाद उनके बीज मंत्रों का जाप करते हैं। इसके अलावा जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य कमाया जाता है। यह धार्मिक अनुष्ठान स्थानीय लोगों और दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव होता है।

कोकिलावन धाम की पौराणिक कथा

कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण के जन्म के समय सभी देवता उनके दर्शन के लिए आए थे। इस समूह में शनिदेव भी थे, लेकिन मां यशोदा ने उन्हें डर के कारण दर्शन करने नहीं दिया। उन्हें आशंका थी कि शनिदेव की वक्री नजर श्रीकृष्ण पर न पड़ जाए। निराश होकर शनिदेव नंदगांव के जंगल में तपस्या करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए और हमेशा उसी स्थान पर वास करने का आशीर्वाद प्रदान किया।

इस लीला के बाद इस स्थल का नाम ‘कोकिलावन धाम’ रखा गया। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पौराणिक कथाओं के माध्यम से भक्ति का अनुभव होता है और उन्हें शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।

श्रद्धालुओं के लिए संदेश

कोकिलावन धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्ति, आध्यात्मिकता और समाजिक संस्कृति का प्रतीक भी है। यहां आने वाले भक्त शनि देव की पूजा और परिक्रमा के माध्यम से अपनी भक्ति और विश्वास को मजबूत कर सकते हैं। पवित्र वातावरण, घने जंगल और मंदिर परिसर का आकर्षण इस स्थल को और भी विशेष बनाता है।

कोकिलावन धाम की यात्रा उन लोगों के लिए विशेष अनुभव है जो न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी उत्तर भारत की परंपराओं को करीब से देखना चाहते हैं। यहाँ की शांति, प्राकृतिक सुंदरता और पौराणिक महत्व सभी श्रद्धालुओं के लिए यादगार अनुभव प्रदान करती है।

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