उत्पन्न एकादशी 2024: आज है उत्पन्न एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि

उत्पन्न एकादशी 2024: आज है उत्पन्न एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि
Last Updated: 2 घंटा पहले

आज 26 नवंबर 2024 को उत्पन्न एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है और विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन का महत्व विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं।

उत्पन्न एकादशी का महत्व

उत्पन्न एकादशी का महत्व विशेष रूप से इस कारण है कि इसे भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा विशेष रूप से पूजा जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है जो अपने जीवन में शुभता और समृद्धि की कामना करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से विशेष रूप से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

पूजा विधि

उत्पन्न एकादशी की पूजा विधि को लेकर विशेष ध्यान रखा जाता है। निम्नलिखित पूजा विधि को अपनाकर इस दिन को मनाना जाता है।

इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहाने और शरीर को शुद्ध करने का महत्व है। शुद्ध मन और शरीर से पूजा की शुरुआत की जाती है।

उत्पन्न एकादशी के दिन व्रत का संकल्प लेना जरूरी होता है। व्रति भगवान विष्णु की पूजा करते हुए दिनभर उपवासी रहते हैं और रात को दीप जलाते हैं।

व्रति इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान उनके चित्र या मूर्ति के समक्ष दीपक, फूल, चंदन, तुलसी पत्र, और मिष्ठान्न अर्पित किए जाते हैं। विशेष रूप से इस दिन भगवान विष्णु के "मणि" रूप का ध्यान करते हुए उनकी पूजा करनी चाहिए।

उत्पन्न एकादशी की रात को विशेष रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है। भक्त इस दिन भजन, कीर्तन और मंत्रों का जाप करके भगवान विष्णु की भक्ति करते हैं।

पूजा के बाद भगवान विष्णु को भोग अर्पित किया जाता है और प्रसाद के रूप में फल, मिठाई, और अन्य खाद्य पदार्थ बांटे जाते हैं।

मुहूर्त

इस दिन का विशेष महत्व होता है और पूजा का समय भी निर्धारित होता है। उत्पन्न एकादशी का व्रत सूर्योदय से पूर्व शुरू किया जाता है और पूजा का समय विशेष रूप से एकादशी तिथि के दिन होता है।

उत्पन्न एकादशी का पूजा मुहूर्त

एकादशी तिथि: 26 नवंबर 2024

व्रत का समय: सूर्योदय से पूर्व, विशेष रूप से दोपहर 12 बजे तक पूजा का महत्त्वपूर्ण समय है।

रात्रि पूजा: रात्रि जागरण एवं भजन-कीर्तन करने का समय रात भर रहता है।

विशेष ध्यान रखें

तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होते हैं। अतः पूजा के दौरान तुलसी के पत्ते अर्पित करें।

उत्पन्न एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके पाप समाप्त होते हैं। इस दिन व्रति दिनभर उपवासी रहते हुए भगवान के ध्यान और भक्ति में मन लगाते हैं।

उत्पन्न एकादशी का पर्व हर हिंदू भक्त के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह दिन भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का अवसर है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन में शांति और समृद्धि भी आती है। इसलिए इस दिन को श्रद्धा और विश्वास से मनाएं और भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त करें।

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