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महाकुंभ 2025: आस्था, भव्यता और श्रद्धा का महापर्व

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प्रयागराज: महाकुंभ 2025 अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था और उत्साह चरम पर है। 22 और 23 फरवरी के अंतिम वीकेंड पर प्रयागराज में भक्ति और श्रद्धा की ऐसी लहर उमड़ी कि पूरा शहर एक चलते-फिरते कुंभ का रूप ले चुका था। संगम तट पर दूर-दूर तक श्रद्धालुओं का सैलाब दिखाई दे रहा था, मानो संपूर्ण ब्रह्मांड ही प्रयागराज में समाहित हो गया हो।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और प्रशासन की चुनौती

इस बार महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़ ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। हालात इतने विकट हो गए कि संगम तक पहुंचने के लिए लोगों को 10-12 किमी तक पैदल चलना पड़ा। पूरे शहर में भारी जाम लग गया, जहां 500 मीटर की दूरी तय करने में दो घंटे तक का समय लग रहा था। प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भक्तों की आस्था के आगे सभी व्यवस्थाएं छोटी पड़ती नजर आईं।

58 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

महाकुंभ के 41वें दिन तक 58 करोड़ श्रद्धालु संगम में पवित्र स्नान कर चुके थे। 40वें दिन तक ही रात 8 बजे तक 1.28 करोड़ श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगा चुके थे। इस महाकुंभ का विशेष महत्व है क्योंकि यह 144 साल बाद ऐतिहासिक योग में हो रहा है। यही कारण है कि श्रद्धालु इसे किसी भी कीमत पर मिस नहीं करना चाहते।

महाशिवरात्रि पर अंतिम शाही स्नान, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

महाकुंभ 2025 का अंतिम शाही स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर होगा। इस दिन भक्तों की संख्या नया रिकॉर्ड बना सकती है। यूपी सरकार और प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर विशेष प्रबंध किए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे हैं, जबकि डीजीपी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मुस्तैद हैं।

अब तक प्रमुख स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं की संख्या

पौष पूर्णिमा – 1.70 करोड़
मकर संक्रांति – 3.50 करोड़
मौनी अमावस्या – 7.64 करोड़ (अब तक का सबसे बड़ा स्नान)
बसंत पंचमी – 2.57 करोड़
माघी पूर्णिमा – 2 करोड़

अयोध्या और काशी में भी उमड़ा भक्तों का सैलाब

• अयोध्या: रामलला के दर्शन के लिए प्रतिदिन 4-5 लाख श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
• काशी: बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

महाकुंभ 2025: आस्था और भव्यता का अद्भुत संगम

महाकुंभ 2025 केवल आध्यात्मिकता और आस्था का महापर्व ही नहीं, बल्कि इसकी भव्यता और विशालता भी पूरी दुनिया को अचंभित कर रही है। श्रद्धालुओं के इस महासंगम ने यह साबित कर दिया कि आस्था की शक्ति असीमित होती है। जैसे-जैसे समापन का समय नजदीक आ रहा है, श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब सबकी निगाहें 26 फरवरी के अंतिम शाही स्नान पर टिकी हैं, जहां एक और ऐतिहासिक भीड़ उमड़ने की संभावना है।

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