ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की कुंडली में शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है, जो उसके जीवन को प्रभावित करते हैं। इन्हीं में से एक है पितृ दोष, जिसे ज्योतिष में एक गंभीर अशुभ योग माना जाता है। कुंडली में पितृ दोष होने से व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे धन हानि, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, संतान सुख में बाधा और पारिवारिक कलह। लेकिन सही उपाय करने से इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि कुंडली में पितृ दोष कैसे लगता है और इससे बचने के प्रभावी उपाय क्या हैं।
कैसे बनता है कुंडली में पितृ दोष?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में निम्नलिखित स्थितियां बनती हैं, तो उसमें पितृ दोष लग सकता है -
सूर्य, मंगल और शनि का लग्न भाव या पंचम भाव में होना।
गुरु और राहु का अष्टम भाव में एक साथ आना।
राहु का केंद्र या त्रिकोण में स्थित होना।
सूर्य, चंद्रमा और लग्नेश का राहु से संबंध होना।
पितृ दोष के लक्षण
पारिवारिक कलह और अशांति बनी रहती है।
घर में बार-बार बीमारियां और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
संतान प्राप्ति में बाधा आती है या संतान सुख में कमी होती है।
प्रयास करने के बावजूद व्यक्ति को सफलता नहीं मिलती।
पूर्वजों की अनदेखी करने पर यह दोष और अधिक प्रभावी हो सकता है।
पितृ दोष से बचने के उपाय
बरगद के पेड़ के नीचे दिया जलाएं।
उगते सूर्य को तिल मिश्रित जल अर्पित करें और गायत्री मंत्र का जाप करें।
पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर्म करें, जिससे वे प्रसन्न हों और दोष समाप्त हो।
गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें।
हर अमावस्या को ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र एवं अन्न का दान करें।
चींटियों, कुत्तों, गायों और पक्षियों को भोजन कराएं।
नवरात्रि में कालिका स्तोत्र का पाठ करें।
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पिंडदान और तर्पण करें।
क्या कहते हैं ज्योतिष विशेषज्ञ?
ज्योतिषियों के अनुसार, पितृ दोष मुख्य रूप से पूर्वजों की नाराजगी का संकेत होता है। यदि किसी ने अपने पूर्वजों का तर्पण नहीं किया हो या उनकी उपेक्षा की हो, तो कुंडली में यह दोष प्रकट हो सकता है। सही समय पर किए गए उपायों से इसका प्रभाव कम किया जा सकता है और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है, तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। सही उपायों को अपनाकर इसे दूर किया जा सकता है। अपने पूर्वजों का सम्मान करें, तर्पण करें और जरूरतमंदों की मदद करें। इससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और पितृ दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।