शरद पूर्णिमा 2025, जो आश्विन माह की पूर्णिमा है, 6 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रही है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। चंद्रमा की किरणों में खीर रखने का विशेष महत्व है, जिसे सुबह औषधीय गुणों के लिए सेवन किया जाता है। यह पर्व कार्तिक माह की शुरुआत से पहले का आखिरी व्रत है।
Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा,आश्विन माह की पूर्णिमा, 6 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रोदय शाम 5:27 बजे होगा और पूर्णिमा तिथि दोपहर 12:23 बजे से अगले दिन सुबह 9:16 बजे तक रहेगी। इस अवसर पर चंद्रमा की किरणों में खीर रखने और सुबह सेवन करने की परंपरा है। लोग मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर आर्थिक और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं।
शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा सभी सोलह कलाओं के साथ प्रकट होता है। इस दिन की रात को चंद्रमा की किरणों में अमृत समान गुण माने जाते हैं। लोग खीर या अन्य खाद्य पदार्थ रात भर चंद्रमा की किरणों में रखते हैं। सुबह इस खीर का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ और औषधीय गुण मिलने की मान्यता है।
इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पाने और समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। कई लोग इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ भी करते हैं।
कोजागरा पूर्णिमा के रूप में शरद पूर्णिमा
भारत के कई क्षेत्रों में शरद पूर्णिमा को कोजागरा पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसे कौमुदी व्रत के नाम से भी पुकारा जाता है। इस दिन रातभर जागरण किया जाता है और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन जागरण करता है और पूजा करता है, उसके जीवन में समृद्धि और सुख-शांति आती है।
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों में खीर रखने की परंपरा बहुत प्रचलित है। कहा जाता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में अमृत के समान गुण डालती हैं। सुबह इस खीर का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है और शरीर में ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है। इस खीर को औषधीय मानकर कई लोग इसे रोजाना जीवन में शामिल करते हैं।
शुभ मुहूर्त और समय
साल 2025 में शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। चंद्रोदय शाम 5 बजकर 27 मिनट पर होगा। पूर्णिमा तिथि का समापन 7 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 16 मिनट पर होगा। इन समयों के अनुसार पूजा और व्रत किया जाता है।
शरद पूर्णिमा का सांस्कृतिक महत्व
शरद पूर्णिमा केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक रूप से भी विशेष दिन है। इस दिन लोग रातभर जागरण करते हैं और गीत, भजन और कीर्तन करते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस दिन को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। कई स्थानों पर मेले और धार्मिक आयोजन भी होते हैं।