दशहरा 2025 या विजयादशमी इस बार 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार दशमी तिथि 1 अक्टूबर दोपहर 2:19 बजे शुरू होकर 2 अक्टूबर दोपहर 12:32 बजे समाप्त होगी। विजय मुहूर्त 2 अक्टूबर दोपहर 2:58 बजे से 3:46 बजे तक रहेगा। यह पर्व बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।
Dussehra 2025: भारत में दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, 2025 में 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार दशमी तिथि 1 अक्टूबर दोपहर 2:19 बजे शुरू होकर 2 अक्टूबर दोपहर 12:32 बजे समाप्त होगी, और विजय मुहूर्त दोपहर 2:58 से 3:46 तक रहेगा। यह त्योहार भगवान राम द्वारा रावण पर विजय और मां दुर्गा द्वारा महिषासुर पर विजय का प्रतीक है, साथ ही शस्त्र पूजन और नए कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
दशमी तिथि का समय
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 1 अक्टूबर 2025 को दोपहर 2 बजकर 19 मिनट से आरंभ होगी। यह तिथि अगले दिन 2 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि हिन्दू धर्म में उदय तिथि के अनुसार त्योहार मनाने की परंपरा है, इसलिए दशहरा 2 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
विजय मुहूर्त
दशहरा का दिन विशेष रूप से विजय मुहूर्त के लिए जाना जाता है। इस साल पंचांग के अनुसार विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इस समय में की गई पूजा और शुभ कार्य विशेष फलदायक माने जाते हैं।
दशहरा की पूजा विधि
दशहरा पर सबसे पहले घर की अच्छी तरह से सफाई करें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल पर एक साफ चौकी रखें और उस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। चौकी पर भगवान राम, माता सीता, हनुमान जी और मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। यदि नवरात्रि में कलश स्थापना की थी तो उसी कलश का उपयोग करें, नहीं तो नया कलश स्थापित करें और उसमें जल, गंगाजल, सुपारी और सिक्का डालें।
पूजा की शुरुआत गणपति जी के ध्यान और प्रार्थना से करें। इसके बाद सभी देवताओं को कुमकुम, चावल और चंदन से तिलक करें। पुष्प और मालाएं अर्पित करें। दशहरा के दिन शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है। अपने सभी अस्त्र-शस्त्रों, वाहनों, औजारों और उपकरणों को साफ करें और उन पर कुमकुम, हल्दी और चावल का तिलक करें।
धार्मिक महत्व
दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी। यही कारण है कि दशहरा असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।
नवरात्र के नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस से युद्ध किया और दशमी तिथि को उसे परास्त किया। इसलिए इसे शक्ति और भक्ति का पर्व भी माना जाता है। दशहरा को शस्त्र पूजन का दिन भी कहा जाता है। प्राचीन काल से योद्धा और वीर वर्ग इस दिन अपने हथियारों की पूजा करते आए हैं। आज भी लोग वाहन, औजार और मशीनों की पूजा करते हैं।
दशहरा: नए काम की शुरुआत के लिए शुभ
पौराणिक मान्यता के अनुसार दशहरा का दिन नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी शुभ माना जाता है। इस दिन घर बनाना, वाहन खरीदना, व्यवसाय शुरू करना या अन्य मांगलिक कार्य करने से सफलता और समृद्धि मिलती है। यह समय नकारात्मक शक्तियों को दूर करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक भी माना जाता है।