भारतीय होम गार्ड स्थापना दिवस हर साल 6 दिसंबर को मनाया जाता है। इसकी पहली इकाई 6 दिसंबर 1946 को तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी (वर्तमान महाराष्ट्र) में स्थापित की गई थी। इसका उद्देश्य नागरिक अशांति और सांप्रदायिक दंगों के दौरान प्रशासन और पुलिस की सहायता करना था। इस ऐतिहासिक दिन की याद में, हर साल यह दिन होम गार्ड के योगदान को सम्मानित करने और उसकी उपलब्धियों को उजागर करने के लिए मनाया जाता हैं।
भारतीय होम गार्ड देश का एक ऐसा संगठन है, जो नागरिक सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक स्वयंसेवी बल है, जिसे भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) का सहायक होने का दायित्व सौंपा गया है। होम गार्ड का उद्देश्य आंतरिक सुरक्षा बनाए रखना और किसी भी आपात स्थिति में समुदाय को सहायता प्रदान करना हैं।
होम गार्ड का इतिहास और स्थापना
भारतीय होम गार्ड की स्थापना 1946 में तत्कालीन बॉम्बे प्रांत में हुई थी। यह एक नागरिक स्वैच्छिक बल के रूप में स्थापित किया गया था, जिसका मकसद सांप्रदायिक दंगों और नागरिक अशांति के समय प्रशासन और पुलिस को सहायता प्रदान करना था।
6 दिसंबर 1946 को पहली बार इस संगठन की स्थापना की गई। इसी कारण हर साल इस दिन को होम गार्ड स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद इसे पूरे देश में पुनर्गठित किया गया, ताकि यह संगठन बाहरी आक्रमणों और आंतरिक आपात स्थितियों में सुरक्षा एजेंसियों का समर्थन कर सके।
होम गार्ड का कार्यक्षेत्र
• पुलिस के सहायक के रूप में कार्य करना और आंतरिक सुरक्षा में मदद करना।
• प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप, और आग लगने के समय आपात सेवाएं प्रदान करना।
• मोटर परिवहन, अग्निशमन, नर्सिंग, और संचार सेवाओं में सहायता देना।
• सीमा क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) के साथ काम करना।
• भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और अग्निशमन विभागों की सहायता करना।
कौन हो सकता है होम गार्ड का हिस्सा?
होम गार्ड की सदस्यता के लिए भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। इसके लिए पात्रता
• आयु 18 से 50 वर्ष।
• सेवा अवधि तीन से पांच वर्ष।
• विभिन्न वर्गों जैसे डॉक्टर, वकील, शिक्षक, कॉलेज छात्र, और अन्य नागरिक जो समुदाय की सेवा करना चाहते हैं।
• होम गार्ड के सदस्य सेवा के दौरान भत्ता प्राप्त करते हैं और उन्हें पुलिस द्वारा विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाता हैं।
प्रशिक्षण और उपकरण
होम गार्ड कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए देशभर में सिविल डिफेंस प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं। यह प्रशिक्षण व्यक्तिगत और टीम-आधारित होता हैं। इसमें अग्निशमन, प्राथमिक चिकित्सा, संचार प्रणाली, और आपात सेवाओं का प्रबंधन सिखाया जाता हैं।
संगठन को पुराने लेकिन प्रभावी हथियार जैसे 7.62 मिमी सेल्फ-लोडिंग राइफल्स और स्टेन गन से लैस किया गया हैं।
संगठन की ताकत और प्रभाव
देशभर में होम गार्ड के लगभग 5.7 लाख सदस्य हैं। यह संगठन तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और गुजरात जैसे राज्यों में सक्रिय है। हालांकि, केरल में इसके कर्तव्यों को अन्य संगठनों द्वारा पूरा किया जाता हैं।
होम गार्ड का महत्व
होम गार्ड न केवल आपात स्थितियों में नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि समाज में विश्वास और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देता है। 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1956 की सूरत बाढ़ जैसी आपदाओं के दौरान होम गार्ड ने असाधारण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, यह संगठन चुनाव, दंगों, और अन्य सामुदायिक गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता हैं।
होम गार्ड से जुड़ी चुनौतियां
• कर्मियों के लिए आधुनिक उपकरणों और हथियारों की कमी।
• प्रशिक्षण सुविधाओं का सीमित दायरा।
• सेवा के दौरान कर्मियों के अधिकारों और प्रोत्साहनों पर विवाद।
• देश में बढ़ती सुरक्षा आवश्यकताओं और आपातकालीन स्थितियों को देखते हुए, होम गार्ड की भूमिका को और मजबूत करना आवश्यक है। इसके लिए बेहतर प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण, और कर्मियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता हैं।
• होम गार्ड हमारे समाज का वह आधार है, जो बिना किसी विशेष पहचान के देश की सुरक्षा और विकास में अपना योगदान देता है। इस संगठन को और सशक्त बनाना, न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा बल्कि सामुदायिक कल्याण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।