Kokborok Day: कोकबोरोक दिवस हर साल 19 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन 1979 की उस ऐतिहासिक घटना का प्रतीक है, जब त्रिपुरा सरकार ने कोकबोरोक भाषा को आधिकारिक मान्यता दी थी। इस भाषा को त्रिपुरी समुदाय के लोग अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान के रूप में मानते हैं।
त्रिपुरा, भारत का एक समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और विविध परंपराओं से भरपूर राज्य, हर साल 19 जनवरी को कोकबोरोक भाषा दिवस मनाता है। यह दिन 1979 का सम्मान करता है, जब कोकबोरोक को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता मिली थी। इस वर्ष, कोकबोरोक दिवस की 47वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। यह उत्सव त्रिपुरी समुदाय की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को सहेजने और बढ़ावा देने का प्रतीक हैं।
कोकबोरोक क्या है?
• कोकबोरोक, जिसे त्रिपुरी भाषा के नाम से भी जाना जाता है, त्रिपुरा की मूल भाषा है। यह एक तिब्बती-बर्मी भाषा है, जिसे त्रिपुरी समुदाय के कई कबीले—जैसे देबबर्मा, रियांग, जमातिया, और कलाई—बोलते हैं।
• त्रिपुरी लोग खुद को "बोरोक" कहते हैं, और "कोक" का अर्थ भाषा है। यह भाषा त्रिपुरा के अलावा बांग्लादेश के चटगाँव पहाड़ी इलाकों में भी बोली जाती है।
• पहले इसे "टिपराकोक" के नाम से जाना जाता था, लेकिन 20वीं सदी में इसका नाम बदलकर कोकबोरोक कर दिया गया।
कोकबोरोक का ऐतिहासिक महत्व
1979 में त्रिपुरा राज्य सरकार ने कोकबोरोक को बंगाली और अंग्रेजी के साथ राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी। इस कदम ने न केवल भाषा के महत्व को स्वीकारा, बल्कि त्रिपुरी समुदाय को उनकी सांस्कृतिक पहचान के लिए सम्मान भी प्रदान किया।
कोकबोरोक की लिपि
त्रिपुरा के राजाओं की क्रॉनिकल में "कोलोमा" कोकबोरोक की लिपि मानी जाती है। 184 त्रिपुरा राजाओं ने लगभग 2000 वर्षों तक राज्य पर शासन किया, और यह भाषा उस समय की आम बोली थी। हालांकि, वर्तमान में इस लिपि को पुनर्जीवित करने के प्रयास जारी हैं।
हालांकि, कोकबोरोक को अब आमतौर पर "लैटिन लिपि" में लिखा जाता है, जो इसे आधुनिकता के साथ जोड़ता हैं।
कोकबोरोक भाषा दिवस का महत्व
• यह दिन त्रिपुरी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने और उसकी महत्ता को उजागर करने के लिए मनाया जाता हैं।
• कोकबोरोक दिवस त्रिपुरा के लोगों के लिए अपनी भाषा और परंपराओं को बढ़ावा देने का एक अवसर प्रदान करता हैं।
• त्रिपुरा सरकार ने कोकबोरोक को स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एक विषय के रूप में शामिल कर इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य किया हैं।
कोकबोरोक के प्रचार में प्रमुख प्रयास
2015 में खुमुल्वंग शहर में कोकबोरोक भाषा और उससे संबंधित विषयों पर 5000 से अधिक पुस्तकों के साथ एक पुस्तकालय स्थापित किया गया। यह पुस्तकालय भाषा को संरक्षित करने और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल हैं।
"कोकबोरोक तेई हुकुमु मिशन" जैसे संगठन भाषा, कला, साहित्य, फिल्म और संगीत को आगे बढ़ाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इन प्रयासों से भाषा को मुख्यधारा में लाने और नई पीढ़ी के बीच इसे लोकप्रिय बनाने में मदद मिल रही हैं।
कोकबोरोक भाषा दिवस का उत्सव
त्रिपुरा में इस दिन को विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, साहित्यिक चर्चाओं और प्रदर्शनियों के माध्यम से मनाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में भाषण, लेखन प्रतियोगिताएं और निबंध लेखन जैसी गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।
भविष्य के प्रयास और संभावनाएं
कोकबोरोक को नई तकनीकों और आधुनिक शिक्षा पद्धतियों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास जारी हैं। भाषा को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने और इसे और अधिक सुलभ बनाने के लिए ऐप्स और ऑनलाइन सामग्री विकसित की जा रही हैं।
त्रिपुरा की धरोहर को संजोने का संदेश
कोकबोरोक भाषा दिवस न केवल त्रिपुरी समुदाय के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रेरणा है। यह हमें सिखाता है कि हमारी भाषाएं और परंपराएं हमारी पहचान का हिस्सा हैं। इस दिन को मनाने से त्रिपुरा की सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध इतिहास को सम्मान मिलता हैं।
कोकबोरोक दिवस त्रिपुरा के सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। भाषा के संरक्षण और विकास के ये प्रयास आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में मदद करेंगे।