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दिमाग को कमजोर बना सकती हैं ये आदतें – आज ही बदलें लाइफस्टाइल

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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपने शरीर की फिटनेस को लेकर तो सतर्क रहते हैं, लेकिन दिमाग की सेहत को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ आम आदतें धीरे-धीरे हमारे दिमाग को अंदर से खोखला कर सकती हैं? रिसर्च और न्यूरोसाइंटिफिक स्टडीज के मुताबिक, कुछ फूड आइटम्स और कुकिंग आदतें ब्रेन पर नेगेटिव असर डालती हैं और डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा देती हैं।

अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड: दिमाग के लिए सबसे हानिकारक आदत

आज के समय में जब जिंदगी बहुत तेज हो गई है, तो लोग जल्दी और सुविधाजनक खाने की तलाश में रहते हैं। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए मार्केट में तरह-तरह के पैकेज्ड और रेडी-टू-ईट फूड्स मौजूद हैं, जिन्हें हम 'Ultra-Processed Food' या UPF कहते हैं। ये खाने में भले ही टेस्टी लगते हों, लेकिन दिमाग के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।

UPF में बहुत ज्यादा मात्रा में चीनी, नमक, आर्टिफिशियल फ्लेवर, कलर और खराब किस्म के फैट्स पाए जाते हैं। ये सभी चीजें शरीर और खासकर ब्रेन में धीरे-धीरे सूजन (Inflammation) बढ़ाती हैं, जो आगे चलकर डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का कारण बन सकती हैं।

एक स्टडी के मुताबिक, अगर आप रोजाना अपने खाने में सिर्फ 10% हिस्सा भी प्रोसेस्ड फूड का शामिल करते हैं, तो डिमेंशिया का खतरा 25% तक बढ़ जाता है। यह खतरा तब और बढ़ जाता है जब आप लंबे समय तक इन चीजों का सेवन करते हैं।

ऐसे फूड्स से बचें

  • पैकेट वाले चिप्स
  • बिस्किट, कुकीज़ और केक
  • इंस्टेंट नूडल्स या सूप
  • जूस या ड्रिंक जिनमें प्रिजर्वेटिव्स होते हैं
  • रेडी-टू-ईट मील्स और फ्रोज़न फूड

दिमाग को हेल्दी रखना है तो जितना हो सके फ्रेश और नैचुरल फूड को अपनाएं। घर का बना खाना, फल-सब्जियां, दालें और साबुत अनाज दिमाग को मजबूत और एक्टिव बनाए रखने में मदद करते हैं।

तेज़ आंच पर खाना पकाना – दिमाग के लिए खतरा

हममें से बहुत से लोग सोचते हैं कि खाना जितना अच्छे से पकाया जाएगा, उतना स्वादिष्ट और हेल्दी होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर खाना बहुत तेज़ आंच पर, खासकर डीप फ्राय, ग्रिल या ब्रॉयल करके पकाया जाए, तो वह आपके दिमाग के लिए खतरनाक हो सकता है?

जब हम खाना हाई टेम्परेचर पर पकाते हैं, तो उसमें Advanced Glycation End Products (AGEs) बनने लगते हैं। ये AGEs शरीर में और खासकर दिमाग में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन (inflammation) पैदा करते हैं। यह सूजन धीरे-धीरे मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और अल्जाइमर या डिमेंशिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों का कारण बन सकती है।

कैसे बचें इस खतरे से?

  • कोशिश करें कि खाना धीमी आंच पर पकाएं।
  • स्टीमिंग (भाप में पकाना), बॉयलिंग (उबालना)  जैसे तरीकों को अपनाएं।
  • फ्राइंग, ग्रिलिंग और बार-बी-क्यू जैसी विधियों से बचें या बहुत कम इस्तेमाल करें।
  • तेज़ आंच पर पकाया गया खाना दिखने और खाने में तो अच्छा लगता है, लेकिन इसका दिमाग पर असर धीरे-धीरे सामने आता है। खासकर जब आप इसे रोज़ाना खाते हैं।

आर्टिफिशियल स्वीटनर – मीठा ज़हर जो दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है

आजकल लोग वजन कम करने या डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर जैसे एस्पार्टेम, सैकरीन या सुक्रालोज़ का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे हैं। ये कम कैलोरी वाले होते हैं, इसलिए लोग सोचते हैं कि ये हेल्दी विकल्प हैं। लेकिन हाल की रिसर्च बताती है कि ये स्वीटनर सिर्फ चीनी की जगह नहीं ले रहे, बल्कि आपके दिमाग और शरीर दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

स्वीटनर हमारे पेट में मौजूद गुड बैक्टीरिया (गट माइक्रोबायोम) को बदल देते हैं। जब गट बैक्टीरिया बिगड़ता है, तो शरीर में सूजन (inflammation) बढ़ने लगती है। ये सूजन दिमाग के काम करने के तरीके पर असर डालती है और धीरे-धीरे मेमोरी लॉस, सीखने की क्षमता में कमी और यहां तक कि न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का कारण बन सकती है।

रिसर्च क्या कहती है?

  • लंबे समय तक आर्टिफिशियल स्वीटनर लेने से अल्जाइमर, स्ट्रोक और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।
  • कुछ स्टडीज़ में यह भी पाया गया है कि इससे समय से पहले मौत का रिस्क भी हो सकता है।

क्या करें?

  • चीनी के बेहतर विकल्प के तौर पर शहद, गुड़, खजूर और फलों का सेवन करें।
  • स्वीटनर का इस्तेमाल केवल जरूरत पर और सीमित मात्रा में करें।
  • रोजाना खाने में प्राकृतिक मिठास को प्राथमिकता दें।

दिमाग को फिट रखने के आसान तरीके

दिमाग को स्वस्थ और एक्टिव बनाए रखने के लिए कुछ आसान आदतें अपनाना बहुत जरूरी है। सबसे पहले, अपने खाने-पीने का खास ध्यान रखें। हर दिन ताज़ा और संतुलित खाना खाएं जिसमें हरी सब्ज़ियां, ताजे फल और हेल्दी फैट्स जैसे ड्राई फ्रूट्स शामिल हों। इसके साथ ही, शरीर को एक्टिव रखने के लिए रोज़ाना कम से कम 30 मिनट की वॉक या हल्की एक्सरसाइज़ जरूर करें।

नींद की कमी भी दिमाग को नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए हर रात 7-8 घंटे की अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है। स्क्रीन टाइम भी दिमाग पर असर डालता है, इसलिए मोबाइल, टीवी और लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल न करें और समय को सीमित रखें। साथ ही, रोज़ कुछ समय ध्यान और योग को दें ताकि आपका मन शांत रहे और एकाग्रता बनी रहे। ये छोटे-छोटे बदलाव आपके दिमाग की सेहत को लंबे समय तक बेहतर बनाए रख सकते हैं।

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