राष्ट्रीय हृदय वाल्व रोग जागरूकता दिवस: हृदय स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता जरूरी

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हृदय रोगों की बढ़ती समस्या को देखते हुए हर साल 22 फरवरी को राष्ट्रीय हृदय वाल्व रोग जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य हृदय वाल्व से संबंधित बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाना, उनके लक्षणों की पहचान करना और समय पर उपचार को प्रोत्साहित करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हृदय वाल्व से जुड़ी समस्याओं का समय पर निदान और इलाज न किया जाए, तो यह हृदयगति रुकने (हार्ट फेलियर) जैसी गंभीर स्थिति का कारण बन सकती है।

क्या है हृदय वाल्व रोग?

मानव हृदय चार वाल्वों – माइट्रल, एओर्टिक, ट्राइकस्पिड और पल्मोनरी – से मिलकर बना होता है। जब इनमें से किसी भी वाल्व में विकृति आ जाती है, तो रक्त प्रवाह बाधित हो सकता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह समस्या जन्मजात हो सकती है या उम्र बढ़ने के साथ भी विकसित हो सकती है।

हृदय वाल्व रोग के प्रमुख कारण

चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, हृदय वाल्व रोग कई कारणों से हो सकता है, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

• जन्मजात हृदय दोष
• अनुपचारित रुमेटिक बुखार
• हाई ब्लड प्रेशर और हृदय आघात (हार्ट अटैक)
• कैल्शियम जमाव के कारण वाल्व का कठोर होना
• वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण

हृदय वाल्व रोग के सामान्य लक्षण

हृदय वाल्व रोग के लक्षण व्यक्ति की अवस्था और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। प्रारंभिक स्तर पर यह लक्षण सामान्य लग सकते हैं, लेकिन समय के साथ स्थिति गंभीर हो सकती है।

• सांस लेने में कठिनाई (डिस्निया)
• अनियमित या तेज धड़कन
• पैरों, टखनों और पेट में सूजन
• अचानक वजन बढ़ना और कमजोरी महसूस होना
• थकान, चक्कर आना और बेहोशी की स्थिति

कैसे होती है इस बीमारी की पहचान?

यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक उपरोक्त लक्षण महसूस होते हैं, तो उसे तुरंत हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। हृदय वाल्व रोग का निदान इकोकार्डियोग्राम, एक्स-रे, ईसीजी, एमआरआई और एंजियोग्राम जैसी आधुनिक जांचों के माध्यम से किया जाता है।

हृदय वाल्व रोग का उपचार

इस बीमारी का इलाज रोग की गंभीरता और मरीज की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है।

• वाल्व रिपेयर: क्षतिग्रस्त वाल्व को ठीक किया जाता है।
• वाल्व रिप्लेसमेंट: कृत्रिम (मैकेनिकल) या जैविक (टिश्यू) वाल्व प्रत्यारोपित किया जाता है।
• मिनिमली इनवेसिव सर्जरी: छोटे चीरे लगाकर किया जाने वाला आधुनिक उपचार।

कैसे बचा जा सकता है हृदय वाल्व रोग से?

विशेषज्ञों का मानना है कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हृदय वाल्व रोग की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

• नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं।
• धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।
• नमक और वसा की मात्रा सीमित करें।
• नियमित व्यायाम करें और संतुलित आहार लें।
• संक्रमण से बचाव के लिए उचित स्वच्छता अपनाएं।

हृदय वाल्व रोग जागरूकता दिवस का महत्व

यह दिवस न केवल लोगों को हृदय स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि समाज में इस बीमारी को लेकर जागरूकता भी बढ़ाता है।
इस अवसर पर होने वाली गतिविधियां:

• निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर
• सोशल मीडिया जागरूकता अभियान
• विशेषज्ञों द्वारा सेमिनार और कार्यशालाएं
• ‘लाल पहनें’ अभियान, जिससे हृदय स्वास्थ्य का समर्थन किया जाता है

समय पर सतर्कता ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय

हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हृदय वाल्व रोग का समय पर निदान और उपचार किया जाए, तो मरीज सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें और नियमित रूप से हृदय की जांच कराते रहें। स्वस्थ हृदय के लिए संतुलित आहार अपनाएं, व्यायाम करें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। हृदय स्वास्थ्य की अनदेखी घातक साबित हो सकती है, इसलिए सतर्क रहें और समय पर आवश्यक कदम उठाएं।

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