आज के दौर में महिलाएं शिक्षा, करियर और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। यही वजह है कि शादी और मातृत्व की जिम्मेदारियों को अक्सर टाल दिया जाता है। हालांकि यह निर्णय व्यक्तिगत और व्यावहारिक हो सकता है, लेकिन जैविक दृष्टि से यह शरीर पर असर डाल सकता है। 35 की उम्र के बाद महिलाओं की प्रजनन क्षमता में गिरावट आना एक सामान्य प्रक्रिया है, और यदि इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो गर्भधारण मुश्किल हो सकता है।
उम्र बढ़ने के साथ घटती प्रजनन क्षमता
35 की उम्र के बाद महिलाओं की ओवरीज़ में एग्स (अंडाणु) की संख्या और गुणवत्ता दोनों में गिरावट आने लगती है। मेडिकल साइंस के अनुसार, 35 साल की उम्र के बाद हर साल फर्टिलिटी में 10% की गिरावट हो सकती है। यही कारण है कि इस उम्र में कंसीव करने में समय लग सकता है या जटिलताएं हो सकती हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक, 35 से ऊपर की महिलाओं में गर्भधारण की संभावनाएं तो बनी रहती हैं, लेकिन इसमें मेडिकल हस्तक्षेप की जरूरत पड़ सकती है। यही वजह है कि इस उम्र में अगर महिला 6 महीने तक प्रयास के बाद भी गर्भवती न हो पाए, तो तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ या फर्टिलिटी एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए।
लेट प्रेग्नेंसी की प्रमुख चुनौतियां
1. ओवेरियन रिजर्व में गिरावट
उम्र के साथ अंडाणु कम और कमजोर होने लगते हैं। इससे गर्भधारण में कठिनाई आती है।
2. पीरियड्स में अनियमितता
हार्मोनल बदलाव के कारण पीरियड्स नियमित नहीं रहते, जिससे ओवुलेशन का सही समय जानना मुश्किल हो जाता है।
3. जटिलताएं बढ़ने का खतरा
लेट प्रेग्नेंसी में मिसकैरेज, प्रीमैच्योर डिलीवरी, हाई ब्लड प्रेशर, गेस्टेशनल डायबिटीज जैसी दिक्कतें होने की आशंका बढ़ जाती है।
4. क्रोमोसोमल समस्याएं
उम्र बढ़ने पर गर्भस्थ शिशु में जन्मजात विकारों (जैसे डाउन सिंड्रोम) का खतरा भी थोड़ा बढ़ जाता है।
कब डॉक्टर से मिलें?
अगर आप 35 साल की उम्र से कम हैं, तो एक साल तक नियमित प्रयास के बावजूद गर्भधारण न होने पर डॉक्टर से मिलें।
लेकिन अगर आप 35 या उससे अधिक की हैं, तो सिर्फ 6 महीने तक प्रयास करने के बाद विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है। देरी करना स्थिति को और जटिल बना सकता है।
कैसे करें लेट प्रेग्नेंसी की प्लानिंग?
1. गाइनिकोलॉजिस्ट से शुरुआती परामर्श लें
यदि आप 35 पार कर चुकी हैं और प्रेग्नेंसी की सोच रही हैं, तो सबसे पहला कदम है किसी अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना। वे आपकी ओवेरियन हेल्थ, हार्मोनल स्थिति और आवश्यक टेस्ट्स की जानकारी देंगे।
2. फर्टिलिटी जांच करवाएं
AMH (Anti-Mullerian Hormone), FSH (Follicle Stimulating Hormone), थायरॉइड प्रोफाइल और अल्ट्रासाउंड जैसी जांच से यह पता चल सकता है कि आपकी फर्टिलिटी किस स्तर पर है।
3. जरूरत पड़े तो सहायक प्रजनन तकनीकों की मदद लें
IUI, IVF, या egg freezing जैसी आधुनिक तकनीकें आज के युग में देर से गर्भधारण को संभव बनाती हैं। यदि आप फिलहाल गर्भधारण नहीं करना चाहतीं, तो अपने अंडाणुओं को भविष्य के लिए संरक्षित करा सकती हैं।
स्वस्थ प्रेग्नेंसी के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी
1. संतुलित आहार लें
- फॉलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम और विटामिन D जैसे पोषक तत्वों को अपने रोज़ाना के भोजन में शामिल करें।
- हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, नट्स, फल और साबुत अनाज नियमित खाएं।
- जंक फूड और अत्यधिक कैफीन से दूरी बनाए रखें।
2. नियमित व्यायाम करें
योग, तेज़ चाल, तैराकी या हल्का व्यायाम न सिर्फ शरीर को स्वस्थ बनाता है, बल्कि मानसिक तनाव को भी घटाता है, जो गर्भधारण में सहायक होता है।
3. तनाव से दूर रहें
मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, संगीत या किताबों के ज़रिए मानसिक शांति बनाए रखें। तनाव फर्टिलिटी पर बुरा असर डाल सकता है।
4. नींद पूरी करें
प्रेग्नेंसी की योजना बना रही महिलाओं को कम से कम 7–8 घंटे की गहरी नींद लेना चाहिए। यह हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
5. रेगुलर हेल्थ चेकअप कराएं
ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल, थायरॉइड और पीरियड से जुड़ी गड़बड़ियों की समय-समय पर जांच कराना जरूरी है।
35 के बाद प्रेग्नेंसी कोई असंभव सपना नहीं है, लेकिन इसके लिए पहले से तैयारी करना बेहद जरूरी है। अगर सही समय पर फर्टिलिटी का आकलन किया जाए, और जीवनशैली में सुधार लाया जाए, तो स्वस्थ गर्भधारण बिल्कुल संभव है। उम्र चाहे जो हो, एक जागरूक सोच, सही सलाह और नियमित निगरानी से मातृत्व की राह को आसान बनाया जा सकता है।