जयपुर: एएसआई ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के स्थान पर हिन्दू मंदिर होने का किया दावा, आयोग ने प्रशासन से मांगी रिपोर्ट

जयपुर: एएसआई ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के स्थान पर हिन्दू मंदिर होने का किया दावा, आयोग ने प्रशासन से मांगी रिपोर्ट
Last Updated: 14 मार्च 2024

वाराणसी के ज्ञानवापी स्थल के बाद राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन की दरगाह के पहले उस स्थान पर मंदिर होने का फिर दावा किया गया है. इस बात की पुष्टि करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वे करवाने की मांग की गई है. इस मामले को लेकर दरगाह दीवान और खादिम ने पुलिस में केश (रिपोर्ट) दर्ज करवाई है. सर्वे की मांग को लेकर महाराणा प्रताप सेना समिति और हिन्दू शक्ति दल ने मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है और जिला कलेक्टर से शीघ्र सर्वे कराने की मांग की गई हैं।

दरगाह के स्थान पर शिव मंदिर और मुर्तिया होने का दावा

महाराणा प्रताप सेना के अध्यक्ष राज्यवर्द्धन सिंह परमार ने Subkuz.com के पत्रकार से बातचीत करते हुए बताया कि अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह से पहले इस स्थान पर हिंदू मंदिर था. इस मंदिर को मुस्लिम आक्रांतों ने ध्वस्त कर दिया था और  शिव मंदिर और अन्य मृर्तियों के स्थान पर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह बनाई गई हैं।

बताया कि दरगाह के मुख्य दरवाजों पर अब भी स्वास्तिक चिन्ह बने हुए है. दरगाह में लागे स्वास्तिक चिन्ह हिंदू होने का प्रमाण है. इस मामले को लेकर दरगाह दीवान जैनुअल आबुदीन के पुत्र सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती ने बुधवार (28 फरवरी) को पुलिस थाने में मुकदमा (रिपोर्ट) दर्ज करवाया है. सैयद नसीरूद्दीन ने कहां कि दरगाह का मुगलों से कोई लेना-देना (संबंध) नहीं हैं।

दरगाह के खादिम शकील अब्बासी ने अजमेर के क्लॉक टावर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है. इसमें बताया कि हिंदू शक्ति दल संगठन ने दरगाह को मंदिर बताकर हिन्दू-मुस्लिम में धार्मिक भावनाएं भड़काने के उद्देश्य से गलत बात की है. उन्होंने पुलिस से कहां कि धार्मिक भावनाएं भड़काने के प्रयासों पर रोक लगाई जाए, क्योकि इस बात से मुस्लिम समाज के लोगों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है. पुलिस ने इस मामले की तहकीकात करने की बात कहकर मामले को अल्पसंख्यक आयोग को भेज दिया हैं।

पहले भी उठा था मुद्दा

जानकारी के अनुसार 2022 में महाराणा प्रताप सेना और हिन्दू शक्ति दल ने दरगाह में हिंदू धार्मिक चिह्न स्वास्तिक के होने का दावा किया था और इस बात पर  पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग) से सर्वे करवाने की मांग की गई थी. उन्होंने रिपोर्ट में कहां था कि दरगाह के स्थान पर पहले शिव मंदिर बना हुआ था

बताया की जब मामले की जांच की गई तो सामने आया कि दरगाह में स्वास्तिक बताकर जो फोटो सार्वजनिक की गई थी. वह फोटो दरगाह से करीब आधा किलोमीटर दूर स्थित ढाई दिन के झोंपड़े पर लगी खिड़की की थी. उस खिड़की पर स्वास्तिक चिन्ह मौजूद था।

आयोग ने जिला प्रशासन से मांगी रिपोर्ट

जानकारी के अनुसार आयोग ने अजमेर जिला प्रशासन से इस मामले को लेकर एक सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहां है. दरगाह के खादिमों के एक प्रतिनिधि ने एडीएम (Additional District Magistrate) को ज्ञापन देकर दरगाह को लेकर जो टिप्पणियों की गई है उन पर रोक लगाने की मांग की है. दरगाह खादिमों की संस्था के अध्यक्ष सैयद चिश्ती ने बुधवार को अजमेर पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर हिंदू शक्ति दल संगठन के नेता सिमरन गुप्ता को गिरफ्तार करने की मांग की। बताया कि गुप्ता ने मोइनुद्दीन चिश्ती को टिप्पणियों में बालात्कारी और आतंकी बताया यह बात मुस्लिम समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजक हैं।

 

 

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