Darbhanga News: दरभंगा घराने के पद्मश्री से सम्मानित पंडित रामकुमार मल्लिक का निधन, पुरे राज्य में छाया शोक, कौन हैं दरभंगा के राम कुमार मल्लिक?

Darbhanga News: दरभंगा घराने के पद्मश्री से सम्मानित पंडित रामकुमार मल्लिक का निधन, पुरे राज्य में छाया शोक, कौन हैं दरभंगा के राम कुमार मल्लिक?
Last Updated: 09 जून 2024

दरभंगा घराने के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित पंडित रामकुमार मल्लिक (73 वर्ष) का शनिवार की रात पैतृक ग्राम आमता में हृदय गति रुकने से आकस्मिक निधन हो गया। वे पंडित विदुर मल्लिक के पुत्र और प्रिय शिष्य थे। पंडित जी देश-विदेश के प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी गायकी के कारण कई सम्मानों से सम्मानित हो चुके थे। वर्ष 2024 में गणतंत्र दिवस को इनको पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया।

दरभंगा: दरभंगा घराने के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित पंडित रामकुमार मल्लिक (73 वर्ष) का शनिवार (8 जून) की रात पैतृक ग्राम आमता में हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वे पंडित विदुर मल्लिक के प्रिय पुत्र शिष्य थे। पंडित जी ने देश-विदेश के प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी गायकी की अमित छाप छोड़ी हैं। उन्हें कई सम्मानों से नवाजा जा चूका था। वर्ष 2024 में गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री से अलंकरण किया गया। उनकी दो पुत्री रुबी, रिंकी, चार पुत्र संतोष, समित, साहित्य एवं संगीत मल्लिक हैं।

ध्रुपद संगीत के ज्ञाता राम कुमार मल्लिक

दरभंगा जिला के बहेरी प्रखड के अमता गांव के रहने वाले राम कुमार मल्लिक को सरकार ने कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। राम कुमार मल्लिक का जन्म वर्ष 1957 में दरभंगा जिला के बहेड़ी प्रखंड के अमता गांव के पंडित परिवार में हुआ था। पंडित राम कुमार मल्लिक अमता घराने (परंपरा) के प्रतिष्ठित संगीत के ज्ञाता परिवार से विलोम करते थे। वह अपने परिवार के संगीत को आगे बढ़ाने वाले 12वीं पीढ़ी हैं। पं. राम कुमार मल्लिक ने ध्रुपद संगीत अपने पिता और विश्व प्रसिद्ध ध्रुपद लीजेंड पं. विदुर मल्लिक से विरासत में हासिल की थी।

अपने दादा को पहला गुरु मानते थे मल्लिक

पंडित राम कुमार मल्लिक अपने दादा लेफ्टिनेंट पंडित सुखदेव कुमार मल्लिक को अपना प्रथम गुरु मानते थे. उन्होंने अपने दादा से ही ध्रुपद की शिक्षा ली थी। राम कुमार सुप्रसिद्ध शास्त्तिय संगीत गायक भी माने जाते थे। मल्लिक को ध्रुपद संगीत की कई कठिन रचनाओं की जानकारी थी। उनके गायन अद्वितीय, समृद्ध रचनाओं के भंडार, खंडारवानी और गौरहरवानी के अलावा मीर, गमक, लयकारी और तिहायियों की विविधता के लिए विख्यात थे। उनके उत्कृष्ट संगीत और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के लिए देश-विदेश में भी कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

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