क्या आप जानते हैं? भारत ने पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत लॉन्च किया?

क्या आप जानते हैं? भारत ने पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत लॉन्च किया?
Last Updated: 19 सितंबर 2024

तथ्य: 2023 में, भारत ने अपना पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, INS विक्रांत, कमीशन किया, जो इसकी नौसैनिक क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

विवरण:

निर्माण और डिज़ाइन:INS विक्रांत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में किया गया, और इस परियोजना का समयसीमा लगभग एक दशक थी। यह विमानवाहक पोत उन्नत इंजीनियरिंग और डिज़ाइन का परिणाम है, जिसमें वैश्विक सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं से सीखे गए पाठ शामिल हैं।

विशिष्टताएँ:यह पोत लगभग 40,000 टन का है और विमानों को लॉन्च करने के लिए एक स्की-जंप रैंप से सुसज्जित है। इसकी लंबाई लगभग 262 मीटर और चौड़ाई 62 मीटर है, जिससे यह विभिन्न प्रकार के विमानों को समायोजित कर सकता है।

विमान संगतता:INS विक्रांत को मिश्रित फिक्स्ड-विंग विमानों, जैसे कि MiG-29K, और हेलीकॉप्टरों जैसे HAL Dhruv और MH-60R को संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह बहुपरकारीता एयर ऑपरेशंस और समुद्री मिशनों का समर्थन करने की क्षमता को बढ़ाती है।

परिचालन क्षमताएँ:यह विमानवाहक पोत भारत की नौसैनिक परिचालन पहुंच और प्रभावशीलता को काफी बढ़ाता है, जिससे यह भारतीय महासागर क्षेत्र में शक्ति का प्रदर्शन करने और समुद्री हितों की रक्षा करने में सक्षम है। इसकी क्षमताएँ एंटी-एयर, एंटी-सर्फेस, और एंटी-सबमरीन वारफेयर शामिल हैं।

रणनीतिक महत्व:INS विक्रांत क्षेत्रीय खतरों का मुकाबला करने और भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी उपस्थिति कई देशों के नौसैनिक क्षमताओं को बढ़ाने के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।

रक्षा में आत्मनिर्भरता:INS विक्रांत की कमीशनिंग "आत्मनिर्भर भारत" (Self-Reliant India) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल घरेलू रक्षा निर्माण को बढ़ावा देती है और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को कम करती है।

सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण:यह विमानवाहक पोत सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के एक व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसमें नौसैनिक क्षमताओं का उन्नयन, निगरानी और पहचान में सुधार, और ड्रोन और साइबर युद्ध प्रणाली जैसे नए प्रौद्योगिकियों में निवेश शामिल है।

आर्थिक प्रभाव:इस परियोजना ने केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को ही आगे नहीं बढ़ाया, बल्कि इसने हजारों नौकरियों का सृजन किया है, जो शिपबिल्डिंग, इंजीनियरिंग, और संबंधित उद्योगों में सहायता करती हैं। यह स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को उत्तेजित करती है और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देती है।

भविष्य की संभावनाएँ:INS विक्रांत भविष्य के स्वदेशी नौसैनिक परियोजनाओं के लिए मंच तैयार करता है, जिसमें अतिरिक्त विमानवाहक पोत और उन्नत विध्वंसक शामिल हैं। इसकी सफलता रक्षा अनुसंधान और विकास में आगे के निवेशों को प्रेरित कर सकती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत एक शक्तिशाली समुद्री शक्ति बना रहे।

 

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