Dr. Manmohan Singh: अर्थशास्त्र से राजनीति तक, डॉ. मनमोहन सिंह का शानदार सफर! जानिए कैसे एक अर्थशास्त्री ने भारत की बदली दिशा

Dr. Manmohan Singh: अर्थशास्त्र से राजनीति तक, डॉ. मनमोहन सिंह का शानदार सफर! जानिए कैसे एक अर्थशास्त्री ने भारत की बदली दिशा
Last Updated: 1 दिन पहले

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने अर्थशास्त्र में अपनी विशेषज्ञता से देश की आर्थिक नीतियों को नई दिशा दी और प्रधानमंत्री रहते हुए भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया।

Manmohan Singh Passed away: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया। एक सशक्त नेता, जिन्होंने भारत की आर्थिक नीतियों को नई दिशा दी, उनका निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति है। डॉ. सिंह का जीवन भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए और भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत और सम्मानित शक्ति के रूप में स्थापित किया।

अर्थशास्त्री से प्रधानमंत्री तक का सफर

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा थी। उन्होंने एक छोटे से पंजाबी परिवार में जन्म लेकर भारत के प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया। उनकी आर्थिक समझ और वैश्विक दृष्टिकोण ने उन्हें एक अद्वितीय नेता बना दिया। वे भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री थे और उनका कार्यकाल 2004 से 2014 तक था। प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक संकट के बावजूद मजबूती से खड़ा किया।

शैक्षणिक जीवन और प्रारंभिक करियर

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनका परिवार भारत विभाजन के बाद भारत में बसने के लिए आया था। विभाजन के बाद वे हल्द्वानी, उत्तराखंड और बाद में अमृतसर में बसे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिंदू कॉलेज, अमृतसर से प्राप्त की और फिर पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक और मास्टर डिग्री की। इसके बाद, उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और सेंट जॉन्स कॉलेज, कैम्ब्रिज में सदस्य रहे।

प्रोफेशनल करियर और सरकारी सेवाएं

डॉ. मनमोहन सिंह ने 1959 से 1963 तक पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में काम किया। इसके बाद उन्होंने 1966 से 1969 तक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) में कार्य किया। बाद में उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985), योजना आयोग के उपाध्यक्ष (1985-1987) और केंद्रीय वित्त मंत्रालय में प्रमुख पदों पर कार्य किया। उन्होंने 1990 में चंद्रशेखर सरकार के आर्थिक सलाहकार के रूप में भी काम किया।

1991 में भारत के वित्त मंत्री के रूप में नियुक्ति

1991 में, जब भारत एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया। इस समय उन्होंने भारत में व्यापक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की। उन्होंने अर्थव्यवस्था को उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की दिशा में मोड़ा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर एक नया मुकाम मिला। इन सुधारों ने भारत को विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद की और भारतीय उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में सक्षम बनाया।

प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल

2004 में, कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार बनी और सोनिया गांधी ने अप्रत्याशित रूप से डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद सौंपा। उनके पहले मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और सूचना का अधिकार अधिनियम जैसे कई महत्वपूर्ण कानून और परियोजनाएं लागू कीं।

2008 में, उनकी सरकार ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक निर्णय था। इसके बाद, उन्होंने भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को और मजबूत किया। इसके बावजूद, उनके कार्यकाल के दौरान कई विवाद भी उठे, जैसे 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कोयला ब्लॉकों के आवंटन पर भ्रष्टाचार के आरोप, जिनका सामना उनकी सरकार को करना पड़ा।

विरोध और विवादों के बावजूद स्थिर नेतृत्व

उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद 2009 में यूपीए सरकार को एक बार फिर से बढ़ी हुई जनादेश के साथ सफलता मिली। हालांकि, उनकी सरकार को 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन, 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले, और कोयला ब्लॉक्स के आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी भी स्थिरता और समर्पण के साथ अपने कार्यकाल को जारी रखा।

व्यक्तिगत जीवन और परिवार

डॉ. मनमोहन सिंह ने 1958 में गुरशरण कौर से शादी की थी। उनकी तीन बेटियाँ हैं: उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह। उनका परिवार भारतीय राजनीति और समाज में एक सम्मानजनक स्थान रखता है। डॉ. मनमोहन सिंह कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे, लेकिन उन्होंने राज्यसभा से असम और राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया।

मनमोहन सिंह का योगदान 

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन केवल एक महान अर्थशास्त्री और नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में भी याद किया जाएगा जिन्होंने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था की दिशा को आकार दिया। उनके नेतृत्व में भारत ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए और वैश्विक स्तर पर भारत को एक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित किया। उनके निधन से भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र की दुनिया ने एक महत्वपूर्ण नेता खो दिया है, लेकिन उनका योगदान हमेशा देश में जीवित रहेगा।

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