अजमेर दरगाह के प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने हाल ही में कोर्ट में दायर किए गए एक मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। दरअसल, हिंदू सेना के एक सदस्य ने अजमेर स्थित ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल घोषित करने के लिए याचिका दायर की थी। इस पर सिविल कोर्ट ने दरगाह कमेटी, एएसआई और अल्पसंख्यक मामलात विभाग को नोटिस जारी किए थे और सभी पक्षों को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था।
दरगाह प्रमुख ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है। कोई भी व्यक्ति अदालत में मामला दायर कर सकता है और अदालत जांच करती है। अगर कोई चीप पब्लिसिटी के लिए मामला दायर करता है, तो यह उसकी जिम्मेदारी है।" उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट में किसी भी वाद को राजनीति या पब्लिसिटी के लिए दायर किया जा सकता है, लेकिन अदालत उस पर निर्णय करती है।
आगे उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि "हर मस्जिद के नीचे शिवालय मत खोजो"। अजमेर दरगाह प्रमुख ने इसे संदर्भित करते हुए कहा, "ऐसा ही कुछ संभल में भी हुआ, जिससे पांच लोगों की मौत हो गई।" उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से सांप्रदायिक सौहार्द और शांति को बाधित करने का प्रयास है।
दरगाह कमेटी और खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती ने भी इस मामले पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, "दरगाह एक धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है, जिसके विश्वभर में करोड़ों अनुयायी हैं। पिछले तीन वर्षों से हिंदू सेना इस तरह के विवाद उठाती आ रही है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरे की घंटी है।"
गौरतलब है कि हिंदू सेना के सदस्य विष्णु गुप्ता ने दरगाह को हिंदू पूजा स्थल घोषित करने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद, कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए समस्त संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर अगली तारीख पर पेश होने के आदेश दिए।
इस मामले को लेकर दोनों समुदायों के बीच बढ़ते विवाद ने अजमेर में हलचल मचा दी है। वहीं, दरगाह प्रमुख और खादिमों की संस्था इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की दिशा में काम करने का आह्वान कर रहे हैं। दरगाह की सुरक्षा और उसके प्रति श्रद्धा को लेकर अनावश्यक विवादों से बचने की अपील की जा रही है।