गोंडा के एक पटाखा कारखाने में हुए भीषण विस्फोट से दो लोगों की जान चली गई और पांच अन्य घायल हो गए। विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि आस-पास के घरों और दुकानों में दरारें आ गईं। घटना के बाद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच शुरू कर दी हैं।
गोंडा: गोंडा जिले के तरबगंज थाना क्षेत्र के नगर पंचायत बेलसर के उमरी रोड स्थित एक मकान में पटाखा बनाते समय हुए भीषण विस्फोट में दो लोगों की मौत हो गई और पांच अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। घायलों में से दो को लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आसपास के घरों और दुकानों की दीवारों में दरारें आ गईं और कारखाने की दीवार भी ढह गई।
कब हुआ था हादसा?
घटना सोमवार दोपहर की है, जब बेलसर बाजार में लोग खरीदारी में व्यस्त थे। विस्फोट के साथ अचानक धुएं का गुबार उठने लगा, जिससे लोग घबराकर दुकानों और घरों से बाहर भागने लगे। विस्फोट इश्तियाक के घर में हुआ, जहां पटाखे बनाए जा रहे थे। हादसे के बाद आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और घायलों की मदद की। घायलों की हालत इतनी गंभीर थी कि उनका चेहरा तक पहचान में नहीं आ रहा था, और वे दीवारों के गिरने से मलबे में दबे हुए थे। घायल लोगों में इश्तियाक, आयशा, मुश्ताक, छोटू, और तूफान समेत सात लोग शामिल हैं। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं, और इस हादसे ने पटाखा कारखानों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
गोंडा के बेलसर में हुए पटाखा कारखाने विस्फोट के बाद कुछ बाहरी लोगों के भी वहां मौजूद होने की आशंका जताई जा रही है। सभी घायलों को तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद सभी को जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल के डॉ. अनिल वर्मा ने घायलों में से आकाश और इश्तियाक उर्फ लल्लू की मौत की पुष्टि की हैं।
चौकी से आठ सौ मीटर दूर थी पटाखा फैक्ट्री
बेलसर-उमरीबेगमगंज मार्ग पर बेलसर चौकी से महज 800 मीटर की दूरी पर अवैध रूप से चल रहे पटाखा कारखाने में हुए भीषण विस्फोट में दो लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। हैरानी की बात यह है कि पुलिस को इस अवैध गतिविधि की कोई जानकारी नहीं थी, जबकि उच्चाधिकारियों द्वारा नवरात्र से पहले ही दीपावली को लेकर सुरक्षा और सतर्कता के निर्देश दिए गए थे। पुलिस की शिथिलता इस घटना का प्रमुख कारण मानी जा रही हैं।
यह घटना कोई नई नहीं है। पिछले साल नवाबगंज में हुए विस्फोट में भी एक व्यक्ति की जान गई थी, और तीन साल पहले वजीरगंज में एक घर में हुए विस्फोट में पांच लोगों की मौत हो चुकी है। यह लगातार हो रहे विस्फोट स्थानीय प्रशासन और पुलिस की लापरवाही को उजागर करते हैं, जो अवैध पटाखा निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में असफल रही हैं।