जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण का मतदान मंगलवार को आयोजित किया जाएगा। इस चरण में 40 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। इस बार भाजपा और कांग्रेस के भविष्य का फैसला इसी चरण पर निर्भर करता है।
Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण के चुनाव प्रचार का शोर रविवार शाम को थम गया। इस चरण में 40 विधानसभा सीटों पर 1 अक्टूबर को मतदान होगा, और सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की नजरें इस चरण पर टिकी हैं। इस चुनाव के परिणाम काफी महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि इन सीटों का नतीजा यह तय करेगा कि जम्मू-कश्मीर में सत्ता की बागडोर कौन संभालेगा।
भाजपा और कांग्रेस का भविष्य इसी चरण पर निर्भर
जम्मू संभाग की अधिकांश सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है, जबकि कुछ स्थानों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) की उपस्थिति भी है। हालाँकि, कश्मीर की अधिकतर सीटों पर त्रिकोणीय या बहुकोणीय मुकाबला चल रहा है। यह देखने में दिलचस्प है कि प्रदेश की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस दोनों का भविष्य इसी चरण पर निर्भर करता है।
इसी वजह से इन दोनों दलों ने इन सीटों पर चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा के प्रमुख नेताओं, गृह मंत्री और प्रधानमंत्री ने भी चुनावी रैलियों का आयोजन किया। वहीं, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने भी जम्मू-कश्मीर में इस चरण के दौरान एक जनसभा को संबोधित किया। इसके अलावा, राहुल गांधी की रैलियां और कांग्रेस अध्यक्ष की भी उपस्थिति देखने को मिली।
इस बार 90 सीटों पर चुनाव
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कुल 114 सीटें हैं, जिनमें से 90 सीटों पर इस बार चुनाव हो रहा है, जबकि 24 सीटें गुलाम जम्मू-कश्मीर (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) के लिए खाली रखी गई हैं। अब तक के दो चरणों में 50 सीटों पर मतदान हो चुका है, और तीसरे एवं अंतिम चरण में 1 अक्टूबर को 40 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।
इस चरण की 40 सीटों में से 24 सीटें जम्मू संभाग के चार जिलों जम्मू, सांबा, ऊधमपुर और कठुआ में हैं। ये जिले हिंदू बाहुल्य क्षेत्र हैं। 2014 के पिछले चुनाव में इन 20 सीटों में से भाजपा ने 18 पर जीत हासिल की थी, जबकि 2 सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के खाते में गई थीं। कांग्रेस का इन जिलों में खाता नहीं खुला था। इस बार परिसीमन के बाद इन जिलों में चार नई सीटें जोड़ी गई हैं, जिससे यहां अब 24 सीटें हैं।
वहीं, उत्तरी कश्मीर के तीन जिलों बांडीपोरा, बारामुला और कुपवाड़ा की 16 सीटों पर भी इसी चरण में मतदान होगा। 2014 के चुनाव में ये जिले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के लिए मजबूत गढ़ साबित हुए थे। इन जिलों का परिणाम भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएगा, जिससे यह तय होगा कि किस पार्टी को सत्ता हासिल होगी।
जम्मू में भाजपा के लिए बनी चुनौती
जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में भाजपा के लिए जम्मू क्षेत्र की सीटें बचाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है, खासकर क्योंकि परिसीमन के बाद इन सीटों की संख्या बढ़ गई है। वर्ष 2014 में भाजपा ने जम्मू जिले की 10 में से 8 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन इस बार 11 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, और सभी सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।
- जम्मू पूर्व सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री योगेश साहनी को उतारा है, जबकि भाजपा ने युद्धवीर सेठी को उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार भाजपा के राजेश गुप्ता यहां से जीते थे।
- जम्मू नॉर्थ सीट पर मुख्य मुकाबला दो पूर्व मंत्रियों के बीच है। भाजपा के शाम लाल शर्मा और नेकां के अजय सडोत्रा के बीच कड़ी टक्कर है, जिसमें कांग्रेस नेकां का समर्थन कर रही है।
- जम्मू पश्चिम सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। भाजपा के अरविंद गुप्ता और कांग्रेस के मनमोहन सिंह के अलावा, डीपीएपी के गौरव चोपड़ा भी मैदान में हैं।
- आरएसपुरा-जम्मू दक्षिण सीट, जो परिसीमन के बाद बनाई गई, सबसे अधिक चर्चा में है। यहां कांग्रेस के रमण भल्ला और भाजपा के डॉ. नरेंद्र सिंह रैना के बीच कड़ा मुकाबला है।
- बाहु सीट, जो परिसीमन के बाद बनी है, पर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा के विक्रम रंधावा और कांग्रेस के तरणजीत सिंह टोनी आमने-सामने हैं।
- अखनूर सीट इस बार आरक्षित हो गई है। यहां भाजपा के मोहनलाल और कांग्रेस के अशोक कुमार के बीच टक्कर है, जिसमें कांग्रेस का इतिहास अच्छा रहा है।
- बिश्नाह सीट पर भाजपा पहली बार जीतने की कोशिश कर रही है, जहां कांग्रेस के नीरज कुंदन और भाजपा के राजीव कुमार के बीच मुकाबला है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी यहां प्रचार कर चुकी हैं।
- छंब सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस के बागी उम्मीदवार चुनाव में खड़े हैं, जिससे मुकाबला बहुकोणीय हो गया है।
- मढ़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच संघर्ष हो रहा है।
- नगरोटा में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा, जहां भाजपा, कांग्रेस और नेकां के उम्मीदवार मैदान में हैं।
इन सीटों पर भाजपा के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि 2014 के चुनाव में पार्टी ने बड़ी संख्या में जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के गठबंधन से मुकाबला कड़ा हो गया है।
सांबा जिले की तीनों सीटों पर मुकाबला
सांबा जिले की तीनों सीटों पर इस बार चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यहां कई पूर्व मंत्रियों और दिग्गज नेताओं के बीच मुकाबला हो रहा है, जो इस क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण को बदल सकता है।
1. सांबा सीट पर 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला भाजपा के पूर्व मंत्री सुरजीत सलाथिया और कांग्रेस के कृष्ण देव सिंह के बीच है, लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र सिंह ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। दिलचस्प बात यह है कि सुरजीत सलाथिया पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) में थे। 2014 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा की जीत हुई थी।
2. विजयपुर सीट पर 11 उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। यहां भाजपा के पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश गंगा का मुकाबला नेकां के राजेश कुमार पडगोत्रा से है। साथ ही, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने पूर्व मंत्री मंजीत सिंह को मैदान में उतारा है, जिससे यह मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। इस सीट पर भी भाजपा ने 2014 में जीत दर्ज की थी।
3. रामगढ़ सीट पर सात उम्मीदवार मैदान में हैं। यह सीट परिसीमन के बाद बनी है और यहां मुख्य मुकाबला दो पूर्व मंत्रियों के बीच है। यशपाल कुंडल, जो पहले पैंथर्स पार्टी में थे और अब कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, का मुकाबला भाजपा के पूर्व मंत्री डा. देवेंद्र मन्याल से है।
उधमपुर में उम्मीदवारों के बीच रोचक मुकाबले
उधमपुर में सभी सीटों पर इस बार चुनाव बहुत दिलचस्प हो रहे हैं। प्रमुख सीटों पर अलग-अलग दलों के प्रमुख उम्मीदवारों के बीच रोचक मुकाबले देखने को मिल रहे हैं:
1. उधमपुर पूर्व से 9 उम्मीदवार मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार और रामनगर के पूर्व विधायक आरएस पठानिया, निर्दलीय पवन खजूरिया, पैंथर्स पार्टी के बलवान सिंह, और नेकां के सुनील वर्मा के बीच है। पवन खजूरिया ने भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जिससे भाजपा को चुनौती मिल रही है।
2. उधमपुर पश्चिम सीट पर 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने पूर्व मंत्री पवन गुप्ता को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने युवा उम्मीदवार सुमित मगोत्रा को उतारा है। निर्दलीय जसवीर सिंह भी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला कड़ा हो गया है।
3. चिनैनी सीट पर 9 उम्मीदवारों के बीच मुख्य मुकाबला पैंथर्स पार्टी और भाजपा में है। भाजपा ने पैंथर्स पार्टी छोड़कर आए बलवंत मनकोटिया को उम्मीदवार बनाया है, जबकि जेएंडके नेशनल पैंथर्स पार्टी (इंडिया) ने पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो बलवंत मनकोटिया के भाई भी हैं। हर्ष देव को कांग्रेस-नेकां गठबंधन का भी समर्थन मिला है। वर्ष 2014 में इस सीट से भाजपा ने जीत दर्ज की थी।
4. रामनगर सीट से 7 उम्मीदवार मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला भाजपा, पैंथर्स पार्टी और कांग्रेस के बीच है। भाजपा ने सुनील भारद्वाज को, कांग्रेस ने भाजपा छोड़कर पार्टी में आए मूल राज को टिकट दिया है, जबकि जेएंडके नेशनल पैंथर्स पार्टी (इंडिया) ने अशरी देवी को उम्मीदवार बनाया है। रामनगर सीट पर पहली बार कोई महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं।