Israel-Lebanon: इजराइल के 'स्मार्ट बम' का कहर! लेबनान की बहुमंजिला इमारत को सेकेंडों में किया ध्वस्त, जानें क्या है इस बम की खासियत?

Israel-Lebanon: इजराइल के 'स्मार्ट बम' का कहर! लेबनान की बहुमंजिला इमारत को सेकेंडों में किया ध्वस्त, जानें क्या है इस बम की खासियत?
Last Updated: 25 अक्टूबर 2024

इजराइल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बेरूत की एक बहुमंजिला इमारत को स्मार्ट बम से ध्वस्त कर दिया, जिससे वह कुछ ही सेकंड में मलबे में बदल गई। आरोप है कि इस इमारत का इस्तेमाल हिजबुल्लाह द्वारा किया जा रहा था।

Israel - Lebanon: इजराइल ने हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए लेबनान की राजधानी बेरूत में एक बहुमंजिला इमारत पर हमला किया, जिससे वह पलक झपकते ही ढह गई। कहा जा रहा है कि इस इमारत पर हिजबुल्लाह का कब्जा था और इसे ध्वस्त करने के लिए इजराइली सेना ने अत्याधुनिक *स्मार्ट बम* का इस्तेमाल किया। जानें कि ये स्मार्ट बम क्या होते हैं, कितने घातक हैं और दुनिया में किस-किस तरह के हाईटेक बम विकसित किए जा चुके हैं। 

विशेषज्ञों का कहना है कि इजराइल द्वारा उपयोग किए गए इस स्मार्ट बम का रंग ग्रे था और इसे इजराइली सैन्य शस्त्रागार के सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक माना जाता है। दरअसल, स्मार्ट बम एक 'गाइडेड बम' होता है, जिसे सटीकता के साथ लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। इसे एक बार लॉन्च करने के बाद बचाव की कोई संभावना नहीं रहती, क्योंकि यह लक्ष्य पर सीधे और सटीक वार करता है।

स्पाइस किट से अचूक निशाना

विशेषज्ञों के अनुसार, इजराइल के इस स्मार्ट बम को फाइटर जेट से लॉन्च किया जा सकता है, और इसे दुश्मन के ठिकानों पर सटीक निशाना लगाने के लिए खासतौर पर बनाया गया है। इसकी मारक क्षमता 60 किलोमीटर दूर तक प्रभावी है।

बेरूत में गिराए गए इस बम का वजन लगभग 2000 पाउंड बताया जा रहा है, जिसमें इजराइली स्पाइस किट (SPICE KIT) का प्रयोग किया गया है, जो बम को सीधा लक्ष्य पर गिराने में सक्षम बनाता है। इस बम की विशेषता यह है कि दिन-रात, खराब मौसम, और जीपीएस बाधित क्षेत्रों में भी यह सटीकता से निशाना लगा सकता है, जिससे यह अत्यधिक विनाशकारी साबित होता है।

दुनिया में विभिन्न प्रकार के बम

दुनिया भर में कई प्रकार के बम विकसित किए गए हैं, जिन्हें उनके उपयोग और विस्फोटक सामग्री के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इनमें मुख्यतः विस्फोटक बम, परमाणु बम, सामान्य प्रयोजन बम, कवच भेदी बम, और आग लगाने वाले (फायर बम) शामिल हैं।

परमाणु बम, परमाणु विखंडन (न्यूक्लियर फिजन) प्रक्रिया पर आधारित होते हैं। वहीं, परमाणु संलयन (न्यूक्लियर फ्यूजन) से बने हथियारों को थर्मोन्यूक्लियर या हाइड्रोजन बम कहा जाता है। हाइड्रोजन बम की विनाशकारी क्षमता पारंपरिक परमाणु बमों की तुलना में 100 से 1000 गुना अधिक होती है, जो इन्हें अत्यधिक खतरनाक बनाती है।

लिटिल ब्वॉय और फैट मैन: तबाही की शुरुआत

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर यूरेनियम-235 से बने परमाणु बम "लिटिल ब्वॉय" को गिराया, जो बी-29 विमान 'एनोला गे' से लॉन्च किया गया था। इसके तीन दिन बाद, 9 अगस्त को, "फैट मैन" नामक प्लूटोनियम-239 बम नागासाकी पर गिराया गया। इस विनाशकारी घटना ने जापान की विस्तारवादी नीति पर रोक लगा दी और विश्व भर में परमाणु हथियारों के प्रभाव का उदाहरण प्रस्तुत किया।

इसके बाद, अमेरिका ने प्रशांत महासागर में जापानी क्षेत्र बिकिनी एटोल पर 17 मेगाटन का हाइड्रोजन बम "ब्रावो" गिराया, जिससे आसपास के लोग और जीव प्रभावित हुए।

रूस का जार बम: अब तक का सबसे विनाशकारी परीक्षण

हालांकि अमेरिका ने युद्धकाल में परमाणु बमों का उपयोग किया, परंतु सबसे शक्तिशाली परमाणु बम का परीक्षण रूस के पास है। 1961 में सोवियत संघ ने "जार बम" का परीक्षण किया, जो हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों से 1570 गुना अधिक शक्तिशाली था। इसका प्रभाव 1000 किमी दूर तक देखा गया और इसकी शक्ति इतनी जबरदस्त थी कि यदि इसे किसी बड़े शहर पर गिराया जाता, तो यह कई किलोमीटर के दायरे में जीवित किसी भी चीज़ का नामोनिशान मिटा देता।

हाईटेक स्मार्ट और ग्लाइड बम

रूस वर्तमान में यूक्रेन के साथ युद्ध में ग्लाइड बम का उपयोग कर रहा है, जो स्मार्ट बम की तरह गाइडेड सिस्टम पर आधारित हैं। इन्हें लड़ाकू जेट से छोड़ा जाता है, और सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम के सहारे यह अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं। यह बम रडार की पकड़ में नहीं आते और इन्हें रोकना कठिन होता है। भारत ने भी ऐसे बम विकसित किए हैं, जिनमें डीआरडीओ द्वारा विकसित "गौरव" ग्लाइड बम शामिल है, जिसका वजन एक टन है और यह 100 किमी तक के लक्ष्य को भेद सकता है।

 

 

 

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