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कपोला मॉड्यूल से ली ब्रह्मांड की तस्वीरें, शुभांशु ने शुरू किया खास रिसर्च

कपोला मॉड्यूल से ली ब्रह्मांड की तस्वीरें, शुभांशु ने शुरू किया खास रिसर्च

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ISS में कपोला मॉड्यूल से ब्रह्मांड का अवलोकन कर रहे हैं। वे अंतरिक्ष में हड्डियों पर रिसर्च कर रहे हैं, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के इलाज में मदद मिल सकती है।

Cupola Module: अंतरिक्ष से ब्रह्मांड का सबसे अद्भुत नज़ारा दिखाने वाला मॉड्यूल है कपोला। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में स्थापित यह मॉड्यूल वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ब्रह्मांड को करीब से देखने और समझने का एक अनमोल जरिया है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने इसी कपोला मॉड्यूल से ब्रह्मांड की तस्वीरें खींचीं और एक खास वैज्ञानिक प्रयोग में भाग लिया।

क्या है कपोला मॉड्यूल 

कपोला (Cupola) अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में स्थित एक ऑब्जर्वेशन मॉड्यूल है। इसे विशेष रूप से स्पेस में होने वाली गतिविधियों की निगरानी, रोबोटिक आर्म्स के संचालन, स्पेस वॉक के दौरान पर्यवेक्षण और पृथ्वी एवं ब्रह्मांड का अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।

इस मॉड्यूल में कुल सात खिड़कियां होती हैं। इनमें छह खिड़कियां किनारों पर और एक खिड़की ऊपर की ओर होती है। इन खिड़कियों की मदद से अंतरिक्ष यात्री 360 डिग्री व्यू में स्पेस को देख सकते हैं। इन खिड़कियों को खास थर्मल और माइक्रोमिटियोरॉइड शील्डिंग से संरक्षित किया गया है ताकि इन पर किसी प्रकार की क्षति न हो।

शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन

भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 26 जून को एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहुंचे। उनका मिशन कुल 14 दिनों का है जिसमें वे विभिन्न वैज्ञानिक शोधों में भाग ले रहे हैं। उन्होंने ISS में पहुंचने के बाद कपोला मॉड्यूल से ब्रह्मांड की शानदार तस्वीरें खींचीं, जो दुनियाभर में वायरल हो रही हैं।

हड्डियों पर किया जा रहा है शोध

शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में एक महत्वपूर्ण शोध की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य है- हड्डियों की बीमारियों, विशेषकर ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) पर बेहतर वैज्ञानिक समझ विकसित करना।

ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियां कमजोर और भुरभुरी हो जाती हैं। अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के कारण हड्डियों पर अलग प्रभाव पड़ता है। अंतरिक्ष यात्री जब माइक्रोग्रैविटी में रहते हैं तो उनकी हड्डियों की मजबूती में गिरावट आती है।

इस प्रयोग के माध्यम से शोधकर्ता यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि जब हड्डियों पर गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव नहीं होता, तब वे किस प्रकार प्रतिक्रिया करती हैं और क्या इससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के उपचार में कोई नई दिशा मिल सकती है।

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