जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने चेतावनी दी है कि भविष्य में BJP नेतृत्व और अधिक कड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना में नए नेतृत्व को और अधिक हार्डलाइन माना जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी की पादयात्राओं ने विपक्ष को सक्रिय किया है।
प्रशांत किशोर: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने गुरुवार को कहा कि भविष्य में BJP नेतृत्व और भी कड़ा (hardliner) हो सकता है। पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने तीन युगों—अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और नरेंद्र मोदी—के नेतृत्व की तुलना करते हुए बताया कि आने वाले 10–15 वर्षों में मोदी का नेतृत्व तुलनात्मक रूप से “नरम” नजर आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी की पादयात्राओं ने विपक्षी नेताओं को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया और सामाजिक कल्याण योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में भूमिका निभाई।
BJP नेतृत्व का भविष्य: मोदी भी नरम दिख सकते हैं
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने हाल ही में कहा कि आने वाले 10–15 वर्षों में BJP नेतृत्व और अधिक कठोर हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि लोग आज लाल कृष्ण आडवाणी को हार्डलाइन मानते हैं, तो भविष्य में नरेंद्र मोदी भी उनके मुकाबले नरम नजर आएंगे।
किशोर ने तीन युगों के नेतृत्व की तुलना करते हुए बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी को सॉफ्ट हिंदुत्व का प्रतीक माना जाता था, जबकि आडवाणी अधिक कड़ा रुख रखते थे। आज के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में, ये रुझान और अधिक चरम की ओर बढ़ सकते हैं।
पादयात्राओं ने विपक्ष को सक्रिय किया
किशोर ने पटना में मीडिया से बातचीत में यह भी कहा कि उनकी पार्टी की पदयात्राएं विपक्ष को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर रही हैं। उन्होंने बताया कि Jan Suraj के प्रयासों के चलते पेंशन बढ़ी, रसोइयों की सैलरी दोगुनी हुई और 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त कर दी गई।
उन्होंने बताया कि पहले RJD वोट मांगते समय मोदी और नीतीश कुमार का डर दिखाता था, जबकि BJP चुनाव में लालू प्रसाद यादव का डर दिखाकर वोट मांगती थी। अब जनता की भलाई और कल्याण योजनाओं की चर्चा बढ़ी है।
BJP नेतृत्व के रुख पर प्रशांत किशोर का बयान
प्रशांत किशोर ने कहा कि BJP नेतृत्व का यह हार्डलाइन रुख आगामी वर्षों में जारी रह सकता है। बिहार में चुनाव इस साल अक्टूबर या नवंबर में होने की संभावना है, हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तारीख घोषित नहीं की है। Kishor के अनुसार, जन सुराज की गतिविधियों ने विपक्षी पार्टियों को जनता के सामने सक्रिय किया है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि नए नेतृत्व के आने पर मोदी का प्रभाव तुलनात्मक रूप से नरम नजर आ सकता है, जो राजनीतिक परिदृश्य को और बदल सकता है।