प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खजुराहो में केन-बेतवा लिंकिंग प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। इस योजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 55 लाख लोगों को पेयजल की समस्या का समाधान मिलेगा। पन्ना टाइगर रिजर्व में बांध बनेगा।
Ken Betwa Link Project: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना, केन-बेतवा लिंक परियोजना का शिलान्यास किया। यह परियोजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इस परियोजना से दोनों राज्यों में पेयजल संकट को दूर करने के साथ-साथ कृषि के लिए जल की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।
केन-बेतवा लिंक परियोजना
इस परियोजना के तहत, पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई और 2.13 किलोमीटर लंबाई वाला बांध बनाए जाने का प्रस्ताव है, जिसे दौधन बांध कहा जाएगा। इस बांध के निर्माण से 2,853 मिलियन घन मीटर पानी का संग्रहण किया जाएगा। यह परियोजना नदी जोड़ने के लिए बनाए गए नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देशभर में सूखा और बाढ़ की समस्याओं का समाधान करना है। केन-बेतवा लिंक परियोजना इस प्लान की पहली कड़ी है।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को मिलेगा लाभ
इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ मध्य प्रदेश को होगा। पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी, और दतिया जैसे जिले इसका प्रमुख फायदा उठाएंगे। वहीं, उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर, और बांदा जैसे जिलों को भी पानी की आपूर्ति होगी। इससे दोनों राज्यों में कृषि की स्थिति में सुधार और पीने के पानी की समस्या का समाधान होगा।
क्यों पड़ी इस परियोजना की जरूरत?
भारत में पानी की भारी असमानता देखने को मिलती है। एक ओर जहां कुछ क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा रहता है, वहीं कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए 30 नदी जोड़ने की परियोजनाओं का खाका तैयार किया गया है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट इस योजना की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में पानी पहुंचाना है, जहां पानी की भारी कमी है।
केन और बेतवा नदियों का इतिहास
केन नदी का उद्गम कैमूर पर्वतमाला से हुआ है, और यह उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में यमुना नदी से मिलती है। इसे यमुना की अंतिम उपहायक नदी माना जाता है। वहीं, बेतवा नदी को बुंदेलखंड की गंगा कहा जाता है, जो रायसेन जिले के कुमरा गांव से शुरू होकर कई प्रमुख शहरों से गुजरती हुई यमुना में मिलती है।
पन्ना टाइगर रिजर्व पर प्रभाव
इस परियोजना से पन्ना टाइगर रिजर्व को नुकसान पहुंचने की आशंका है, क्योंकि इसके चलते रिजर्व का 57.21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा। हालांकि, इस परियोजना से कई अन्य क्षेत्रों का विकास भी होगा, जैसे कि पनबिजली परियोजनाएं और जल आपूर्ति की व्यवस्था में सुधार।
केन-बेतवा लिंकिंग परियोजना के फायदे और नुकसान
केन-बेतवा लिंक परियोजना का मुख्य उद्देश्य पानी की कमी वाले क्षेत्रों में जल आपूर्ति को सुनिश्चित करना है, जिससे सूखा समाप्त हो सके और क्षेत्रों का विकास हो सके। इसके अलावा, नई पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण भी संभव होगा। हालांकि, इससे कुछ पर्यावरणीय नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे कि दुर्लभ मछलियों और जीवों की पारिस्थितिकी पर प्रभाव, और जलवायु में बदलाव। इस तरह की परियोजनाओं का पर्यावरणीय प्रभाव लंबे समय तक देखा जा सकता है।