लोकसभा चुनाव: मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बिगड़े हालात, नहीं मिल रहे उम्मीदवार, दिग्गज नेताओं की चुनाव लड़ने में नहीं है दिलचस्पी

लोकसभा चुनाव: मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बिगड़े हालात, नहीं मिल रहे उम्मीदवार, दिग्गज नेताओं की चुनाव लड़ने में नहीं है दिलचस्पी
Last Updated: 27 फरवरी 2024

लोकसभा चुनाव: मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बिगड़े हालात, नहीं मिल रहे उम्मीदवार, दिग्गज नेताओं की चुनाव लड़ने में नहीं है दिलचस्पी 

मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के हालात बुरे है. कांग्रेस को चुनाव के लिए कोई योग्य प्रत्याशी नहीं मिल रहे है. ज्यादातर दिग्गज नेताओं ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी और विवेक तन्खा जैसे बड़े नेता लोकसभा चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है. पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की दो बार हुई बैठक के बाद भी सीट को लेकर कोई हल नहीं निकला है. कांग्रेस का ऐसा हाल विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद हुआ हैं।

Subkuz.com सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव में मिली हार और अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से बने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के माहौल से कांग्रेस नेता घबरा रहे है. इसलिए दिग्गज नेता चुनाव लड़कर धन का अपव्यय करने और हारने के डर से चुनाव लड़ने से मना कर रहे है. बताया कि कांग्रेस ने जबलपुर से महापौर जगत बहादुर सिंह और रीवा से महापौर अजय मिश्रा का नाम तय किया था लेकिन जबलपुर से महापौर जगत बहादुर सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी बनने के बजाय भाजपा का हाथ थाम लिया।

कई सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं नेता

पार्टी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार महापौर अजय मिश्रा चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं है. पार्टी ने उनका नाम रीवा सीट से निश्चित किया था. विंध्य की सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का दबदबा था. लेकिन विधानसभा चुनाव में श्रीनिवास तिवारी के नाती सिद्धार्थ को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह भाजपा में शामिल हो गया जो वर्तमान में त्यौंथर से विधायक हैं।

जानकारी के अनुसार पूर्व विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल और सत्यनारायण पटेल ने लोकसभा चुनाव से मन हटा लिया है. कांग्रेस की कोशिश है कि अश्विन जोशी या स्वप्निल कोठारी में से किसी एक को इंदौर से चुनाव लड़ाया जाए। ये दोनों ही धनाड्य (धनमान) है. कांग्रेस ऐसे व्यक्ति को टिकट देना चाहती है, जो चुनाव का खर्च उठाने में भी सक्षम हो। भोपाल से कांग्रेस के पास कोई दमदार चेहरा नहीं है, जो चुना जीता सके।

भोपाल से हारे थे दिग्विजय सिंह

जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भोपाल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन उनकी किस्मत ने साथ नहीं दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. इसलिए कांग्रेस सैन्य प्रकोष्ठ के श्याम बाबू श्रीवास्तव पर दांव खेल सकती है. सीधी लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल और सज्जन सिंह वर्मा अपना भाग्य आजमाने को तैयार नहीं हैं।

बताया कि खजुराहो पर प्रत्याशी न होने के कारण कांग्रेस ने यह सीट समाजवादी पार्टी को दे दी. कांग्रेस पार्टी का लोकसभा चुनाव 2019 और 2014 में प्रदर्शन बहुत खराब रहा था. जिसके कारण  2019 में एक और 2014 में दो सीटें मिली थीं। भरतीय जनता पार्टी ने इस बार 29 में 29 सीट जीतने का लक्ष्य बना रखा है. इसलिए कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में चुनाव लड़ने को लेकर कोई उत्साह नहीं हैं।

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