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Maharashtra Election: चुनाव में सियासी जंग तेज, 'वोट जिहाद' और 'एक हैं तो सेफ हैं' नारे का असर, महाराष्ट्र में किसकी होगी जीत?

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महाराष्ट्र की सियासत 'वोट जिहाद' और 'एक हैं तो सेफ हैं' जैसे विवादित नारों से गरमाई हुई है। कांग्रेस नेता बीजेपी के 'वोट जिहाद' वाले बयान को जुमला बता रहे हैं, जबकि बीजेपी इसे गंभीर मुद्दा मान रही है।

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में चुनावी माहौल गर्मा चुका है, और नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। 'वोट जिहाद' और 'एक हैं तो सेफ हैं' जैसे विवादित नारों से सियासी पारा और भी चढ़ गया है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में एक सभा के दौरान 'एक हैं तो सेफ हैं' का नारा जोर-शोर से लगाया और 'वोट जिहाद' को भी अपने भाषण में शामिल किया, जिससे सियासी माहौल और भी तर्कपूर्ण हो गया।

वोट जिहाद पर नेताओं की प्रतिक्रियाएं

महाराष्ट्र में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है और 'वोट जिहाद' पर नेताओं के बयान तेज हो गए हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के 'वोट जिहाद' पर दिए बयान के बाद विपक्षी नेताओं ने इसे लेकर प्रतिक्रिया दी है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसते हुए पूछा, "अगर वोट जिहाद है तो अयोध्या में क्यों हार गए?" वहीं बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने कहा कि 'वोट जिहाद' की शुरुआत कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने की थी, और बीजेपी के खिलाफ मुसलमानों के 100 फीसदी वोट डलवाए गए थे।

कांग्रेस ने बीजेपी के बयान को 'जुमला' कहा

मुंबई के कांग्रेस नेता अमीन पटेल ने बीजेपी के 'वोट जिहाद' बयान को जुमला करार दिया और आरोप लगाया कि बीजेपी मतदाताओं को असली मुद्दों से भटकाने की साजिश कर रही है। उनका कहना था कि बीजेपी जनता को विभाजनकारी मुद्दों में उलझा रही है।

हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति की शुरुआत

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र और मुंबई की कुछ सीटों पर मुस्लिम मतदाता महा विकास आघाडी के उम्मीदवारों के पक्ष में जमकर सामने आए थे। राजनीतिक एक्सपर्ट रवि किरण देशमुख ने कहा कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इसे 'वोट जिहाद' का नाम देकर एक बड़ा मुद्दा बना दिया, जो कि हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति का हिस्सा है।

चुनावी प्रचार के अंतिम चरण में बयानबाजी

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होगी, और चुनाव प्रचार का अंतिम दौर चल रहा है। इस दौरान सभी पार्टियां अपनी चुनावी रणनीति को लागू करने के लिए इस तरह के विवादित बयान और नारे अपना रही हैं। अब यह देखना होगा कि इस चुनावी बयानबाजी का किसे कितना फायदा होगा, इसका फैसला चुनाव परिणामों से होगा। 

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