बाला साहेब ठाकरे की पुण्य तिथि 17 नवम्बर को मनाई जाती है। उनका निधन 17 नवम्बर 2012 को हुआ था। यह दिन हर साल उनके समर्थकों और शिवसेना के कार्यकर्ताओं द्वारा श्रद्धांजलि देने के रूप में मनाया जाता है, जिसमें बाला साहेब ठाकरे के योगदान, उनकी विचारधारा और उनकी विरासत को याद किया जाता हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
बाला साहेब ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। उनका पूरा नाम बाल केशव ठाकरे था। वे एक प्रबुद्ध और प्रभावशाली चंद्रसेनिय कायस्थ प्रभु परिवार से थे। बाल ठाकरे ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे में प्राप्त की थी, लेकिन वे अधिकतर स्कूल से बाहर रहते थे, और उनका रुचि कार्टूनिंग में था।
करियर की शुरुआत
बाल ठाकरे ने कार्टूनिस्ट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। वे मुंबई के प्रसिद्ध समाचार पत्र फ्री प्रेस जर्नल में कार्टूनिस्ट के रूप में काम करते थे। उनका चित्रकारी का अंदाज बहुत ही विशिष्ट था, और उन्होंने समाज और राजनीति के कई अहम पहलुओं पर कार्टून बनाए। उनके कार्टून तीखे होते थे, और वे अक्सर राजनीतिक नेताओं और समाज की विसंगतियों पर प्रहार करते थे।
शिवसेना की स्थापना
1960 के दशक के अंत में बाल ठाकरे ने शिवसेना नामक संगठन की स्थापना की। शिवसेना का उद्देश्य मुख्य रूप से महाराष्ट्र के मराठियों के अधिकारों की रक्षा करना था, और इसे एक मजबूत मराठी अस्मिता आंदोलन के रूप में देखा जाता था। उन्होंने शिवसेना के जरिए महाराष्ट्र में माराठी संस्कृति, भाषा और मराठी जनता के अधिकारों को प्राथमिकता दी। शिवसेना के स्थापना से पहले, बाल ठाकरे ने अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के राजनीतिक विचारों को अपनाया था और इन्हीं विचारों को प्रचारित किया था।
शिवसेना की स्थापना के बाद, बाल ठाकरे ने पार्टी को काफी गति दी, और पार्टी ने 1960-70 के दशकों में अपने प्रभाव को राज्य और देश भर में फैलाया। उन्होंने मराठियों को हर क्षेत्र में सशक्त बनाने के लिए निरंतर संघर्ष किया।
राजनीतिक यात्रा
बाल ठाकरे का राजनीति में प्रवेश 1960 के दशक में हुआ। उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्रमुख हिंदूवादी नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने हिंदुत्व और मराठी अस्मिता को केंद्रित करके राजनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, और इसे लेकर शिवसेना को एक मजबूत संगठन बना दिया।
शिवसेना का विस्तार
शिवसेना की स्थापना के बाद, बाल ठाकरे ने विभिन्न चुनावों में अपनी पार्टी को मैदान में उतारा और धीरे-धीरे वे महाराष्ट्र के प्रमुख राजनेताओं में से एक बन गए। 1995 में, शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन राज्य में सत्ता में आया और बाल ठाकरे की राजनीतिक स्थिति मजबूत हुई।
नाटकीय राजनीति
बाल ठाकरे के राजनीतिक जीवन को नाटकीय और विवादास्पद बयानों के लिए भी जाना जाता था। उनका बोलने का तरीका काफ़ी तीखा और उग्र था। उनके बयानों से अक्सर विवाद उत्पन्न होते थे, और उन्होंने कई बार विवादित मुद्दों पर तीखी टिप्पणियाँ कीं।
निजी जीवन
बाल ठाकरे का विवाह मीना ठाकरे से हुआ था, और उनके तीन बेटे थे: उद्धव ठाकरे, जयदेव ठाकरे, और बिन्दुमाधव ठाकरे। 1996 में उनके बड़े बेटे बिन्दुमाधव का निधन हो गया था।
बाल ठाकरे के सबसे बड़े बेटे उद्धव ठाकरे को उन्होंने राजनीति में विशेष स्थान दिया था, और वे शिवसेना के प्रमुख बने। उनके दूसरे बेटे राज ठाकरे ने बाद में शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की स्थापना की थी।
स्वास्थ्य और निधन
बाल ठाकरे का स्वास्थ्य 2012 में बिगड़ने लगा था। जुलाई 2012 में उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहाँ उनकी हालत गंभीर हो गई थी। उन्होंने 17 नवम्बर 2012 को मुंबई के मातोश्री आवास पर अंतिम साँस ली। उनकी मृत्यु से पूरे महाराष्ट्र में शोक की लहर दौड़ गई, और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लाखों लोग एकत्रित हुए थे।
1. शिवसेना की स्थापना (1966)
* बालासाहेब ठाकरे ने 1966 में शिवसेना (Shiv Sena) नामक एक राजनीतिक पार्टी की स्थापना की। इसका उद्देश्य महाराष्ट्र में मराठियों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना था। शिवसेना का मूल उद्देश्य था
* मराठी भाषियों के अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन।
* स्थानीय नागरिकों के लिए काम और रोजगार सुनिश्चित करना।
* अलग-अलग जातियों और समुदायों के बीच एकता का निर्माण करना।
* शिवसेना की स्थापना के बाद, ठाकरे ने महाराष्ट्र में वर्चस्व स्थापित करने के लिए अपनी पार्टी को एक मजबूत ताकत बनाया। पार्टी की विचारधारा में हिंदुत्व और मराठी अस्मिता का प्रमुख स्थान था।
2. हिंदुत्व और मराठी अस्मिता का प्रचार
* बालासाहेब ठाकरे ने हिंदुत्व के विचार को अपने राजनीतिक दृष्टिकोण का प्रमुख हिस्सा बनाया। उन्होंने वीर सावरकर और दीनदयाल उपाध्याय की हिंदू राष्ट्र की विचारधारा को अपनाया। वे चाहते थे कि हिंदू समाज को एकजुट किया जाए और अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बचाया जाए।
* उनकी पार्टी, शिवसेना, ने मराठी अस्मिता और हिंदू एकता को प्राथमिकता दी। उन्होंने हमेशा महाराष्ट्र के हितों की रक्षा की और मराठी भाषा और संस्कृति को प्रमुखता दी। इसके लिए उन्होंने कई आंदोलन भी चलाए, जिसमें खासकर महाराष्ट्र में प्रवासी हिंदी भाषियों और अन्य बाहरी लोगों के खिलाफ आवाज उठाई थी।
3. 1980-90 के दशक में प्रभावी राजनीति
* बाल ठाकरे की राजनीतिक शैली बहुत ही आक्रामक और उत्तेजक थी। उन्होंने राजनीति को एक अलग ही तरीके से प्रस्तुत किया। वे बहुत मुखर और बेबाक थे, जो अक्सर उनके विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा में रहते थे। 1980 के दशक में शिवसेना ने मुंबई और महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में अपनी मजबूत पैठ बनाई।
* 1995 में, शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन किया और मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई। यह उनके राजनीतिक जीवन का एक अहम मोड़ था क्योंकि वे पहली बार राज्य सत्ता में आए थे।
* मान्यवर दिवंगत वसुंधराराजे के साथ गठबंधन के बाद शिवसेना ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की और बाल ठाकरे ने पहली बार मुख्यमंत्री पद के लिए जोर डाला था, हालांकि यह पद उन्होंने अपने बेटे उद्धव ठाकरे के लिए छोड़ दिया।
* बाल ठाकरे ने मुंबई में मराठियों के अधिकार के लिए कई संघर्ष किए, और इसे भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण मुद्दों में शामिल किया। उन्होंने मराठियों को बाहरी लोगों के खिलाफ खड़ा किया और मुंबई में उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी। उनके अनुसार, बाहरी लोग मराठियों का रोजगार छीन रहे थे।
4. विवादास्पद बयानों और रवैये का प्रभाव
* बालासाहेब ठाकरे का राजनीतिक जीवन हमेशा अपने उत्तेजक बयानों और उनके विवादास्पद निर्णयों के लिए चर्चा में रहा। वे किसी भी मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखते थे, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से जुड़ा हो। इसके चलते कई बार उनके खिलाफ कोर्ट में मामले भी दर्ज हुए।
* एक बार उन्होंने उत्तर भारतीयों को मुंबई से बाहर करने की धमकी दी थी, जिसे लेकर कई विवाद उठे थे। हालांकि, उन्होंने अपनी नीति का हमेशा बचाव किया और इसे मराठी के अधिकारों की रक्षा के रूप में प्रस्तुत किया।
* शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन शुरुआत में काफी मजबूत था, लेकिन बाद में दोनों पार्टियों में मतभेद उत्पन्न हुए, और राज ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का गठन हुआ, जिससे शिवसेना को एक नया चुनौती मिली।
5. बाल ठाकरे की विरासत
* बालासाहेब ठाकरे ने अपनी पार्टी शिवसेना के माध्यम से महाराष्ट्र में एक स्थायी पहचान बनाई। उनकी राजनीतिक सोच और विचारधारा का प्रभाव आज भी राज्य की राजनीति पर देखा जाता है। उनके बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने पार्टी की कमान संभाली और राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया।
* शिवसेना की विचारधारा और उनके दृष्टिकोण ने आज भी भारतीय राजनीति में अपनी उपस्थिति बनाई हुई है। उनके योगदान को महाराष्ट्र में कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनके नेतृत्व और हिंदुत्व के प्रति उनके समर्पण ने शिवसेना को एक सशक्त राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित किया, जो आज भी महाराष्ट्र के विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में काम कर रही हैं।