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भारत-अमेरिका में फिर टकराव, मोटर व्हीकल टैरिफ को लेकर WTO में छिड़ी जंग

भारत-अमेरिका में फिर टकराव, मोटर व्हीकल टैरिफ को लेकर WTO में छिड़ी जंग

भारत ने एक बार फिर अमेरिका के मोटर व्हीकल और उसके कंपोनेंट्स पर लगाए गए भारी टैरिफ को लेकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सामने अपनी बात रखी है। भारत का साफ कहना है कि अमेरिका की तरफ से लगाए गए 25% टैरिफ सुरक्षा उपाय नहीं, बल्कि व्यापार पर सीधा हमला है जो भारतीय उद्योगों को नुकसान पहुंचा रहा है। भारत ने यह भी कहा है कि वह इन टैरिफ के बदले जवाबी टैरिफ लगाने का पूरा अधिकार रखता है।

अमेरिका का पलटवार– भारत का कोई अधिकार नहीं बनता

अमेरिका ने भारत के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। अमेरिका की ओर से साफ कहा गया है कि भारत को इन टैरिफ के जवाब में कोई भी जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। अमेरिका ने WTO को बताया है कि 25% का यह आयात शुल्क ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के तहत लगाया गया है, न कि WTO के सुरक्षा उपायों की श्रेणी में आता है। इसलिए भारत का यह दावा तकनीकी रूप से गलत है।

WTO में अमेरिका ने रखा अपना पक्ष

17 जुलाई को विश्व व्यापार संगठन ने एक आधिकारिक संदेश जारी किया, जो अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध पर तैयार किया गया था। इसमें कहा गया, “अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ WTO के ‘सुरक्षा उपाय’ नहीं हैं, इसलिए भारत को इन टैरिफ के जवाब में किसी भी तरह की व्यापारिक रियायत को निलंबित करने का अधिकार नहीं है।”

इस बयान में यह भी जोड़ा गया कि अमेरिका ‘धारा 232’ के तहत इन टैरिफ को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में देखता है और इसे WTO के सुरक्षा उपाय समझौते के तहत नहीं माना जा सकता।

भारत ने पहले भी दिए हैं जवाबी टैरिफ के संकेत

यह कोई पहली बार नहीं है जब भारत ने अमेरिकी टैरिफ को लेकर आपत्ति जताई है। इससे पहले भी, भारत ने 2019 में अमेरिका के स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में कई अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाया था। तब भारत ने बादाम, सेब, अखरोट और कुछ रसायनों पर टैरिफ बढ़ा दिया था।
हालांकि, मौजूदा मामले में भारत ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह किन अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है।

अमेरिका का तर्क राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है

अमेरिका लगातार यह दोहरा रहा है कि मोटर वाहनों और उनके पार्ट्स पर लगाया गया टैरिफ देश की ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ से जुड़ा मामला है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में यह फैसला लिया गया था और इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि विदेशों से भारी मात्रा में गाड़ियों और उनके कलपुर्जों का आयात अमेरिका की ऑटो इंडस्ट्री और उससे जुड़ी सप्लाई चेन को कमजोर कर रहा है।
इसलिए अमेरिका ने टैरिफ लगाकर इन पर नियंत्रण करना जरूरी समझा।

भारत की आपत्ति नियमों का हो रहा उल्लंघन

भारत का पक्ष है कि अमेरिका का यह कदम WTO के नियमों का सीधा उल्लंघन है। भारत का कहना है कि अगर कोई देश ‘सुरक्षा उपाय’ लागू करता है, तो WTO की एक तय प्रक्रिया के तहत उसे बाकी सदस्य देशों को सूचित करना होता है और उनसे बातचीत करनी होती है। लेकिन अमेरिका ने ऐसा कुछ नहीं किया और सीधे टैरिफ लागू कर दिए।
भारत इस मामले में WTO के सुरक्षा उपाय समझौते का हवाला देते हुए कह रहा है कि अमेरिका ने अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को नजरअंदाज किया है।

अमेरिका ने कहा भारत ने नहीं निभाई जिम्मेदारियां

WTO में अमेरिका ने यह भी आरोप लगाया कि भारत खुद भी सुरक्षा उपाय समझौते के तहत अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर रहा है। अमेरिकी पक्ष का कहना है कि भारत ने अभी तक न तो कोई स्पष्ट सूचना दी है और न ही उन उत्पादों की लिस्ट साझा की है जिन पर वह जवाबी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है।
साथ ही अमेरिका ने यह भी कहा कि वह ‘धारा 232’ के तहत इस मुद्दे पर किसी भी बहुपक्षीय वार्ता का हिस्सा नहीं बनेगा, क्योंकि वह इसे WTO के सुरक्षा उपाय ढांचे का हिस्सा मानता ही नहीं।

2019 जैसी स्थिति फिर दोहराई जा सकती है

अगर भारत ने अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ लगाने का फैसला लिया, तो 2019 जैसा ही परिदृश्य बन सकता है। तब भी भारत ने अमेरिका की ओर से उठाए गए टैरिफ कदमों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की थी।

हालांकि इस बार अब तक भारत ने उस स्तर पर सार्वजनिक तौर पर कोई सूची साझा नहीं की है, लेकिन व्यापारिक हलकों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि भारत अमेरिका के बादाम, वाइन, हार्डवेयर, केमिकल्स जैसे उत्पादों को टारगेट कर सकता है।

अगला कदम क्या होगा, नजर WTO पर

अब सभी निगाहें विश्व व्यापार संगठन पर हैं कि वह इस विवाद को कैसे सुलझाता है। क्योंकि मामला तकनीकी के साथ-साथ राजनीतिक भी हो गया है।
दोनों देशों के रुख कड़े हैं और किसी के झुकने की संभावना कम दिख रही है। ऐसे में आने वाले महीनों में यह ट्रेड विवाद और गहराता नजर आ सकता है।

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