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Monsoon Session: संसद सत्र से पहले AAP का बड़ा फैसला, INDIA गठबंधन से बनाई दूरी, जानें वजह

Monsoon Session: संसद सत्र से पहले AAP का बड़ा फैसला, INDIA गठबंधन से बनाई दूरी, जानें वजह

मानसून सत्र से पहले आम आदमी पार्टी ने INDIA गठबंधन से सभी संबंध समाप्त कर लिए हैं। अब पार्टी संसद में अपनी स्वतंत्र रणनीति अपनाएगी। इससे विपक्ष की एकजुटता पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है।

Monsoon Session: संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई 2025 से शुरू होकर 21 अगस्त 2025 तक चलेगा। सत्र की शुरुआत से पहले ही विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक को बड़ा झटका लगा है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने गठबंधन से पूरी तरह नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है। अब AAP संसद में विपक्षी रणनीति से भी खुद को अलग रखेगी।

INDIA गठबंधन से AAP का बाहर होना

लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से ही आम आदमी पार्टी की ओर से संकेत मिलने लगे थे कि वह INDIA गठबंधन से खुश नहीं है। पार्टी ने हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और गुजरात के चुनावों में अकेले लड़ने का निर्णय लिया था। अब संसद सत्र से पहले पार्टी ने यह घोषणा कर दी है कि वह INDIA गठबंधन का हिस्सा नहीं है और न ही गठबंधन की किसी बैठक में शामिल होगी।

AAP की आधिकारिक घोषणा

राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पार्टी INDIA गठबंधन की किसी बैठक में भाग नहीं लेगी। उनका कहना है कि यह गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक सीमित था। अब AAP संसद में अपने मुद्दों को खुद उठाएगी और संसद के भीतर और बाहर अपना स्वतंत्र स्टैंड लेगी।

विपक्ष की रणनीति पर असर

AAP के गठबंधन से अलग होने के बाद विपक्ष की एकजुट रणनीति पर असर पड़ सकता है। INDIA गठबंधन ने संसद सत्र के लिए केंद्र सरकार को घेरने की योजना बनाई थी। इसमें ऑपरेशन सिंदूर, बिहार में विशेष मतदाता सूची में छेड़छाड़ और विदेश नीति से जुड़े मामलों को उठाने की बात कही गई थी। लेकिन अब AAP इन मुद्दों को लेकर गठबंधन के साथ नहीं है।

अलग-अलग मुद्दों पर AAP की प्राथमिकता

AAP का कहना है कि वह संसद में अपनी प्राथमिकताओं पर केंद्रित रहेगी। दिल्ली में यूपी, बिहार और पूर्वांचल के लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाने का मुद्दा पार्टी के लिए अहम है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों को बंद करने का मसला भी पार्टी जोरशोर से उठाएगी। AAP का कहना है कि वह मुद्दा-आधारित समर्थन देगी, न कि गठबंधन-आधारित।

कांग्रेस से टकराव की वजह

AAP और कांग्रेस के रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, गुजरात और गोवा जैसे राज्यों में दोनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है। इससे AAP को यह महसूस हुआ कि गठबंधन में रहकर भी वह कांग्रेस के साथ तालमेल नहीं बैठा सकती। पार्टी को लगता है कि कांग्रेस की मौजूदगी वाले गठबंधन में वह अपने राजनीतिक हितों से समझौता नहीं कर सकती।

सपा, टीएमसी और DMK से तालमेल बरकरार

AAP ने यह भी साफ किया है कि वह तृणमूल कांग्रेस (TMC), डीएमके (DMK) और समाजवादी पार्टी (SP) जैसे विपक्षी दलों के साथ संसदीय मुद्दों पर सहयोग जारी रखेगी। इसका मतलब है कि पूरी तरह अलगाव नहीं बल्कि मुद्दा आधारित भागीदारी की नीति अपनाई जाएगी।

विपक्ष में दरार और बिखराव

INDIA गठबंधन की एकजुटता पहले ही सवालों के घेरे में थी। महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के बीच भी मतभेद सामने आए हैं। अब आम आदमी पार्टी के बाहर होने से यह गठबंधन और कमजोर हुआ है। विपक्षी एकता का दावा करने वाला गठबंधन अब अलग-अलग दिशा में बंटा नजर आ रहा है।

संसद सत्र पर संभावित प्रभाव

21 जुलाई से शुरू होने जा रहे मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष को बड़ी रणनीति बनानी थी। लेकिन AAP की गैरमौजूदगी से यह रणनीति अधूरी रह सकती है। विशेषकर जब सरकार की ओर से नए बिल और बजट प्रस्ताव पेश किए जाने की उम्मीद है। ऐसे में विपक्ष की सामूहिक प्रतिक्रिया का असर कम हो सकता है।

 

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