महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की हार को लेकर शिवसेना (यूबीटी) द्वारा लगाए गए आरोपों पर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोग्यता पर लंबित याचिकाओं का निपटारा नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में राजनीतिक अस्थिरता हुई और एमवीए गठबंधन की हार हुई।
संजय राउत के आरोपों पर चंद्रचूड़ का कड़ा बयान
शिवसेना नेता संजय राउत ने आरोप लगाया था कि यदि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोग्यता पर समय रहते फैसला किया होता, तो यह राजनीतिक दलबदल को रोक सकता था, जिससे एमवीए को चुनावी नुकसान उठाना पड़ा। राउत ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट की इस "देरी" ने राजनीतिक हालात को बिगाड़ दिया। इस पर पूर्व CJI ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि क्या किसी एक पार्टी या व्यक्ति को यह तय करने का अधिकार है कि सर्वोच्च न्यायालय को कौन सा मामला सुनना चाहिए? चंद्रचूड़ ने इस पर स्पष्ट किया कि यह निर्णय केवल मुख्य न्यायाधीश का अधिकार है, न कि किसी अन्य पक्ष का।
विधानसभा चुनाव परिणाम और आरोपों का संदर्भ
2022 में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद शिवसेना में विभाजन हुआ, जिसके चलते उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई और महायुति गठबंधन ने सत्ता संभाली। शिंदे और ठाकरे गुट के बीच विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था, जहां न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने का आदेश दिया था। इस पर जनवरी में स्पीकर ने शिंदे गुट को "असली" शिवसेना मानते हुए फैसला सुनाया था।
CJI ने कहा- "हमारे पास सीमित संसाधन हैं"
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास सीमित जनशक्ति और संसाधन होते हैं। उन्होंने बताया कि मौलिक संवैधानिक मामलों, जैसे कि 9, 7, और 5 न्यायाधीशों की पीठ से जुड़े फैसलों की वजह से कुछ मामलों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि पुराने मामलों में देरी हो सकती है। पूर्व CJI ने यह भी कहा कि 20 साल पुराने मामलों को भी समय रहते सुलझाना जरूरी है, लेकिन फिर भी उन्हें "दबाव" का सामना करना पड़ता है।
राजनीति का आरोप और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
शिवसेना के आरोपों पर चंद्रचूड़ ने कहा कि यह राजनीति का एक हिस्सा है, जिसमें कुछ वर्गों को लगता है कि अगर आप उनके एजेंडे का पालन करते हैं, तो आप स्वतंत्र हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "हमने चुनावी बॉन्ड पर फैसला किया। क्या यह कम महत्वपूर्ण था?" साथ ही, उन्होंने देश के अहम मुद्दों जैसे विकलांगता अधिकारों, संघीय ढांचे और नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों का हवाला भी दिया।
राजनीतिक दबाव से असहमति
पूर्व CJI ने आगे कहा कि राजनीतिक नेताओं का यह सोचना कि वे किसी खास मामले पर फैसला लेने का दबाव बना सकते हैं, यह एक अस्वीकार्य दृष्टिकोण है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सुप्रीम कोर्ट किसी तीसरे पक्ष से निर्देशित होकर निर्णय नहीं लेता है। उन्होंने इस मुद्दे पर अपने कार्यकाल के दौरान न्यायिक स्वतंत्रता को बनाए रखने की बात भी की और कहा कि किसी भी पार्टी के दबाव में आकर अदालत को निर्णय नहीं लेना चाहिए।
समाज के लिए महत्वपूर्ण फैसले
चंद्रचूड़ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले दिए हैं, जैसे कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, विकलांगता अधिकार, नागरिकता कानून, और अन्य संवैधानिक मामलों पर। उन्होंने यह भी कहा कि इन फैसलों का समाज के विभिन्न वर्गों पर गहरा असर पड़ा है।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने अंत में यह कहा कि यदि न्यायपालिका किसी भी राजनीतिक दबाव के बिना काम करती है, तो उसे ही सही दिशा मिलेगी, और केवल तब ही वह स्वतंत्रता से काम कर सकेगी।