प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल का 23 दिसंबर 2024 को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और क्रॉनिक किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। उनकी बेटी पिया बेनेगल ने बताया कि उनका निधन मुंबई सेंट्रल स्थित वोकार्ट अस्पताल में हुआ।
बॉलीवुड: श्याम बेनेगल, भारतीय सिनेमा के दिग्गज निर्देशक, का 23 दिसंबर 2024 को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के एक अस्पताल में शाम 6:30 बजे अपनी अंतिम सांस ली। श्याम बेनेगल ने समानांतर सिनेमा की दुनिया में अपनी गहरी छाप छोड़ी और सिनेमा को वास्तविकता और सामाजिक मुद्दों के करीब लाने का प्रयास किया।
उनकी फिल्मों ने समाज के ज्वलंत मुद्दों को संवेदनशीलता और गहराई से पेश किया। 'अंकुर', 'निशांत', 'मंथन', 'भूमिका' जैसी उनकी फिल्में न केवल बॉक्स ऑफिस पर बल्कि समीक्षकों के बीच भी बेहद प्रशंसित रहीं। उनकी कहानियां समाज को जागरूक करने और बदलाव का संदेश देने के लिए जानी जाती हैं।
श्याम बेनेगल भारतीय सिनेमा के दिग्गज निर्देशक
श्याम बेनेगल, भारतीय सिनेमा के दिग्गज निर्देशक, का जीवन प्रेरणादायक और उनके कार्यों का योगदान अविस्मरणीय है। 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद में जन्मे श्याम बेनेगल ने अपनी फिल्मों के माध्यम से समाज को बदलने और जागरूक करने की कोशिश की। वह प्रसिद्ध अभिनेता और फिल्ममेकर गुरु दत्त के कजिन भाई थे, और इस रिश्ते ने शायद उनकी कला और सिनेमा के प्रति गहरी समझ को भी प्रभावित किया।
श्याम बेनेगल का सिनेमा सामाजिक और वास्तविक मुद्दों पर केंद्रित था। उनकी कहानियां आम आदमी के संघर्ष, ग्रामीण भारत, और महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालती थीं। उनकी फिल्मों से नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, और गिरीश कर्नाड जैसे दिग्गज कलाकारों को पहचान मिली, और वे सभी उनके साथ काम करने को लेकर हमेशा उत्साहित रहते थे। बेनेगल को कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए:
* 1976 में पद्म श्री
* 1991 में पद्म भूषण
* 2005 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, जो भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान हैं।
श्याम बेनेगल की प्रमुख फिल्में
श्याम बेनेगल ने अपने सिनेमा करियर की शुरुआत 'अंकुर' (1974) से की, जो समानांतर सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म में अनंत नाग और शबाना आजमी मुख्य भूमिकाओं में थे। शबाना आजमी को इस फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला, और इसे दर्शकों और समीक्षकों ने समान रूप से सराहा।
उनकी अगली फिल्म, 'निशांत' (1975), ने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। यह फिल्म ग्रामीण भारत में सामाजिक अन्याय और शक्ति के दुरुपयोग जैसे मुद्दों पर आधारित थी। फिल्म में गिरीश कर्नाड, शबाना आजमी, अनंत नाग, अमरीश पुरी, स्मिता पाटिल, और नसीरुद्दीन शाह जैसे दिग्गज कलाकार थे। 'निशांत' ने 1976 के कान फिल्म समारोह में पाल्मे डी’ओर के लिए नामांकन प्राप्त किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का गौरव बढ़ाया। श्याम बेनेगल की अन्य बेहतरीन फिल्मों में शामिल हैं:
* 'मंथन' (1976): यह फिल्म अमूल डेयरी क्रांति और ग्रामीण सहकारी आंदोलन की सच्ची कहानी पर आधारित थी। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार और भारी सराहना मिली।
* 'भूमिका' (1977): स्मिता पाटिल के शानदार अभिनय से सजी यह फिल्म एक अभिनेत्री के संघर्ष और व्यक्तिगत जीवन की जटिलताओं पर केंद्रित थी।
* 'जुनून' (1978): 1857 के विद्रोह की पृष्ठभूमि में बनी यह फिल्म इतिहास और मानवीय भावनाओं का खूबसूरत मिश्रण थी।
* 'सरदारी बेगम' (1996): एक गायिका की कहानी, जिसने संगीत के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।
* 'जुबैदा' (2001): करिश्मा कपूर की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में एक महिला के सपनों और समाज के बंधनों के बीच संघर्ष को दिखाया गया।
* 'द मेकिंग ऑफ महात्मा' (1996): महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका के संघर्ष पर आधारित यह फिल्म उनके जीवन के निर्णायक क्षणों को उजागर करती हैं।