स्पर्श हिमालय महोत्सव: देहरादून में लेखक गांव की बढ़ती चर्चा, अटल जी के साथ गहरा नाता—क्या है इस महोत्सव की खासियत?

स्पर्श हिमालय महोत्सव: देहरादून में लेखक गांव की बढ़ती चर्चा, अटल जी के साथ गहरा नाता—क्या है इस महोत्सव की खासियत?
Last Updated: 7 घंटा पहले

अटल जी की पीड़ा से गांव "लेखक" का जन्म हुआ था। आज से यहां तीन दिवसीय स्पर्श हिमालय महोत्सव का शुभारंभ हो गया है।

थानों, उत्तराखंड: थानों के लेखक गांव में आज तीन दिवसीय स्पर्श हिमालय महोत्सव का भव्य शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने किया। उद्घाटन समारोह के दौरान, कलाकारों ने छोलिया नृत्य की शानदार प्रस्तुति देकर माहौल को जीवंत बना दिया।

इस महोत्सव में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रमुख लेखक, विचारक, और पत्रकार शामिल हो रहे हैं। कार्यक्रम में प्रसून जोशी, अवधेशानंद, माला राज्य लक्ष्मी शाह, क्षेत्रीय विधायक बृजभूषण गैरोला, अनीता ममगाईं, मधु भट्ट, सुरेंद्र राठौर, पुरुषोत्तम डोभाल, विक्रम नेगी, रविंदर बेलवाल, और ईश्वर रौथान जैसे प्रमुख हस्तियां उपस्थित रहीं।

लखक गांव के संरक्षक डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने उद्घाटन समारोह के दौरान कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की पीड़ा से लेखक गांव का जन्म हुआ है। उन्होंने याद किया कि एक किताब के विमोचन के दौरान अटल जी की आंखों में आंसू गए थे जब उन्होंने कहा था कि देश में लेखकों को उचित सम्मान नहीं मिलता। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कई प्रसिद्ध लेखक, जैसे निराला और श्यामनारायण पांडेय, गरीबी में जीवन गुजारते हुए निधन हो गए, उनके पास दवा तक के पैसे नहीं थे।

निशंक ने विश्वास जताया कि लेखक गांव देश का पहला ऐसा गांव बनेगा, जो सृजनात्मकता, शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देगा। इस महोत्सव में 65 से अधिक देशों के साहित्यकार और लेखक शामिल होंगे, वहीं 40 देशों से लोग कार्यक्रम में भाग लेने के लिए रहे हैं।

यह महोत्सव केवल स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित है, बल्कि अटल जी की विचारधारा को भी जीवित रखने का प्रयास है।

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