Success Story: 18 साल की शादी और तीन बच्‍चों के साथ, महिला ने UPPSC में सफलता हासिल की

Success Story: 18 साल की शादी और तीन बच्‍चों के साथ, महिला ने UPPSC में सफलता हासिल की
Last Updated: 23 घंटा पहले

 "कड़ी मेहनत और ठान लेने से कुछ भी नामुमकिन नहीं होता।" यही बात साबित की है दीपा भाटी ने, जिन्होंने शादी के 18 साल बाद, तीन बच्चों की परवरिश करते हुए और तमाम जिम्मेदारियों का सामना करते हुए यूपीपीएससी (UPPSC) पीसीएस (PCS) परीक्षा पास कर सभी को हैरान कर दिया। उनकी कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है, खासकर उन युवाओं के लिए जो खुद को भाग्य के हाथों असहाय समझकर हार मान चुके हैं। दीपा भाटी का संघर्ष और सफलता न केवल उनकी मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह हमें यह सिखाता है कि मेहनत और संकल्प से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता हैं।

दीपा भाटी का संघर्षपूर्ण सफर

दीपा भाटी नोएडा के कोंडली बांगर गांव की रहने वाली हैं। उनका बचपन गुर्जर समाज में बीता, जहां पारंपरिक सोच और जल्दी शादी की प्रवृत्ति होती है। लेकिन दीपा का मन इन सीमाओं को पार करने का था। उन्होंने बीएड की पढ़ाई की और एक स्कूल में टीचर की नौकरी करने लगीं। लेकिन जिदंगी ने उन्हें एक और कठिनाई दी। एक दिन उन्हें गले में दिक्कत महसूस हुई, और डॉक्टर ने उन्हें बोलने से परहेज करने की सलाह दी। चूंकि दीपा टीचर थी, जो पढ़ाने के लिए बोलना पड़ता था, इस सलाह के बाद उनकी नौकरी चली गई।

यह दीपा के लिए बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस समय उनके भाई ने उन्हें यूपीपीएससी की पीसीएस परीक्षा की तैयारी करने की सलाह दी। दीपा ने इस सुझाव को गंभीरता से लिया और अपने लक्ष्य की दिशा में काम करना शुरू कर दिया।

घर के काम, बच्चों की देखभाल और परीक्षा की तैयारी

दीपा की दिनचर्या बेहद व्यस्त थी। घर के सारे काम करने के बाद, वह बच्चों को स्कूल भेजती और फिर परीक्षा की तैयारी में जुट जाती। यह कोई आसान काम नहीं था, लेकिन दीपा ने कभी हार नहीं मानी। घरवालों से ताने सुनते हुए भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। कई बार लोग उनका मजाक उड़ाते थे, कहते थे "अब उम्र के इस दौर में पढ़ाई का क्या फायदा?" लेकिन दीपा ने इन सब बातों को नजरअंदाज किया और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया।

दीपा कहती हैं, "मैं जानती थी कि यह रास्ता आसान नहीं होगा, लेकिन मैंने ठान लिया था कि मुझे यह करना है।" उन्होंने यूपीपीएससी के टॉपर्स के वीडियो देखे, उनकी रणनीतियों को समझा और उन पर काम किया। उनका संघर्ष और कड़ी मेहनत रंग लाई और उन्होंने तीसरी बार परीक्षा दी, जिसमें उन्हें सफलता मिली।

तीसरी बार में मिली सफलता

पहली बार यूपीपीएससी की परीक्षा में दीपा असफल हुईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। दूसरी बार भी उन्हें सफलता नहीं मिली और वह कुछ ही नंबरों से पिछड़ गईं। यह समय उनके लिए बेहद कठिन था, क्योंकि घर और समाज से निरंतर आलोचनाएं आ रही थीं। लेकिन दीपा ने खुद को संभाला और तीसरी बार यूपीपीएससी पीसीएस परीक्षा दी। इस बार उन्हें 166वीं रैंक मिली और उनका चयन राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के प्राचार्य पद के लिए हो गया।

जब दीपा को यह सफलता मिली, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उनके लिए यह एक बड़ी जीत थी, खासकर तब जब उनकी बड़ी बेटी 12वीं में थी, छोटी बेटी 9वीं में और उनका बेटा यूकेजी में पढ़ाई कर रहा था। यह सफलता न केवल दीपा के लिए बल्कि उनके परिवार के लिए भी गर्व का पल था।

दीपा भाटी की सफलता की कुंजी

दीपा की सफलता का मुख्य कारण उनका संकल्प और कड़ी मेहनत है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर ठान लिया जाए तो किसी भी स्थिति में सफलता हासिल की जा सकती है। उनके संघर्ष से यह भी सिद्ध होता है कि जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी, लेकिन अगर हम हार मानने की बजाय उनका सामना करें तो हम किसी भी परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। दीपा की यह प्रेरणादायक कहानी उन सभी महिलाओं और युवाओं के लिए एक संदेश है जो समाज और पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से अपने सपनों को ताक पर रख देते हैं।

दीपा की कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें कभी भी अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं होना चाहिए और न ही कोई बाहरी दबाव हमें अपने सपनों से दूर कर सकता है। जीवन में चाहे जो भी चुनौतियाँ आएं, अगर हमारी मेहनत सही दिशा में हो और हमारी लगन मजबूत हो, तो सफलता जरूर मिलती हैं।

दीपा भाटी की सफलता न केवल उनकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम है, बल्कि यह उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने जीवन में कोई बदलाव लाने की इच्छा रखते हैं। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि उम्र, परिस्थितियाँ या जिम्मेदारियाँ सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकतीं, अगर हमारी मेहनत सच्ची हो और संकल्प मजबूत हो। दीपा का उदाहरण हमें यह सिखाता है कि किसी भी महिला या व्यक्ति के लिए उसके सपनों को पूरा करने के रास्ते हमेशा खुले होते हैं, बस जरुरत है तो अपने विश्वास और मेहनत की।

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