कभी सिर्फ बिहार के कुछ हिस्सों तक सीमित रहने वाला मखाना आज अमेरिका, कनाडा और दुबई जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पहचान बना चुका है। इसकी सफलता के पीछे हैं दरभंगा के युवा किसान मंगल प्रदीप, जिन्होंने अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर मखाने की खेती को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी मेहनत और दूरदर्शिता ने न सिर्फ किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त किया, बल्कि बिहार के मखाने को वैश्विक ब्रांड बना दिया।
कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ी, मखाने को बनाया ब्रांड
दरभंगा जिले के खराजपुर निवासी मंगल प्रदीप बेंगलुरु में एक अच्छी खासी नौकरी कर रहे थे। लेकिन उन्होंने महसूस किया कि मखाने की गुणवत्ता और औषधीय गुणों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। इस अवसर को पहचानते हुए, उन्होंने 2020 में अपनी नौकरी छोड़कर अपने गांव लौटने का फैसला किया और ‘नंदिनी मखाना’ नामक स्टार्टअप की शुरुआत की।
2,000 किसानों के साथ मिलकर खड़ा किया साम्राज्य
मंगल प्रदीप ने शुरुआत में 2,000 किसानों के साथ मिलकर मखाने की खेती शुरू की। धीरे-धीरे उन्होंने प्रोसेसिंग यूनिट भी स्थापित की, जहां मखाने से कई उत्पाद बनाए जाते हैं, जिनमें रोस्टेड मखाना, चॉकलेट, बिस्किट और खीर शामिल हैं। पहले जहां मखाने को लेकर सीमित बाजार था, वहीं अब यह एक हेल्दी स्नैक के रूप में दुनियाभर में लोकप्रिय हो चुका है।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जबरदस्त डिमांड
कोरोना महामारी के बाद लोगों ने मखाने के स्वास्थ्यवर्धक गुणों को समझा और इसकी वैश्विक मांग तेजी से बढ़ी। मंगल प्रदीप के स्टार्टअप ने इस अवसर को पहचाना और आज अमेरिका, यूके, कनाडा और दुबई जैसे देशों में मखाने की सप्लाई कर रहा है। इतना ही नहीं, इन देशों में मांग इतनी ज्यादा है कि मौजूदा सप्लाई भी कम पड़ रही है।
सरकार से भी मिल रहा समर्थन
मखाने के बढ़ते बाजार को देखते हुए सरकार भी इसे प्रोत्साहित कर रही है। हाल ही में पेश हुए बजट में मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा की गई, जिससे किसानों और उद्यमियों को बड़ा फायदा मिलेगा। इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि मखाने का वैश्विक बाजार और भी मजबूत होगा।
बिहार के किसानों के लिए नई उम्मीद
मंगल प्रदीप की यह सफलता उन किसानों के लिए प्रेरणा है, जो पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर कुछ नया करने की सोच रहे हैं। उन्होंने दिखाया कि सही रणनीति और मेहनत से कोई भी स्थानीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच सकता है।
भविष्य की योजनाएं
मंगल प्रदीप का अगला लक्ष्य है मखाने के और नए उत्पाद विकसित करना और इसे और बड़े अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाना। उनका मानना है कि आने वाले समय में मखाना सिर्फ एक पारंपरिक खाद्य पदार्थ नहीं रहेगा, बल्कि एक सुपरफूड के रूप में पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाएगा। मंगल प्रदीप की कहानी सिर्फ एक सफलता की गाथा नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि सही सोच और कड़ी मेहनत से किसी भी उत्पाद को ब्रांड बनाया जा सकता है। उनका यह सफर न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।