बूढ़ी घड़ी का रहस्य- जीवन से सीख

बूढ़ी घड़ी का रहस्य- जीवन से सीख
Last Updated: 5 घंटा पहले

एक दिन एक नई घड़ी ने एक पुरानी बूढ़ी घड़ी से मुलाकात की। नई घड़ी को देखकर यह स्पष्ट था कि बूढ़ी घड़ी काफी पुरानी है, लेकिन उसकी गति में कोई कमी नहीं थी, वह अभी भी उतनी ही चुस्त और सक्रिय थी। नई घड़ी ने हैरान होकर पूछा, "दादी, आपकी उम्र कितनी होगी?"

बूढ़ी घड़ी मुस्कुराते हुए बोली, "बेटी, मुझे तो 25-30 साल हो गए होंगे।"

नई घड़ी ने चौंकते हुए कहा, "इतने सालों में भी आप इतने अच्छे से काम कर रही हैं! क्या कभी थकी नहीं?"

बूढ़ी घड़ी ने आत्मविश्वास से उत्तर दिया, "बिल्कुल नहीं! मैंने कभी यह नहीं सोचा कि मुझे सालों तक काम करना होगा। मैं तो बस यह सोचती हूं कि मुझे एक मिनट में 60 टिक-टिक करनी है। हर बार एक छोटे काम को ध्यान से करना ही मेरा मंत्र है। मुझे जो भी करना है, बस उस पल के लिए, पूरी मेहनत से करना है। इसी तरह, धीरे-धीरे समय बीतता गया, और अब मुझे पता ही नहीं चला कि इतने साल कब निकल गए।"

नई घड़ी ने थोड़ा सोचा और फिर कहा, "पर दादी, मेरी तो उम्र सिर्फ छह महीने है, और मैं पहले से ही थकावट महसूस करने लगी हूं। मुझे लगता है कि मुझे लंबे समय तक टिक-टिक करते रहने की यह जिम्मेदारी नहीं निभा पाऊंगी।"

बूढ़ी घड़ी ने उसे समझाया, "बेटी, तुम ज्यादा सोचने लगती हो, तभी थकावट महसूस होती है। यदि तुम काम को छोटे हिस्सों में बांटकर करो, तो हर छोटा कदम तुम्हारे लिए एक नया उत्साह लेकर आएगा। जैसे मैं सिर्फ एक मिनट की टिक-टिक के बारे में सोचती हूं, वैसे ही तुम भी हर छोटे लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करो।"

जीवन से सीख

बूढ़ी घड़ी की बातों ने नई घड़ी को प्रभावित किया। उसने समझा कि जीवन में बड़े लक्ष्य को पाने के लिए हमें उसे छोटे हिस्सों में बांटकर देखना चाहिए। जब हम किसी कार्य को एक छोटे कदम के रूप में लेते हैं, तो उसे करना सरल और मजेदार लगता है। छोटे-छोटे प्रयासों से ही बड़ी सफलता की राह बनती हैं।

यह कहानी हमें सिखाती है कि

"जिंदगी को एक छोटे कदम के रूप में जीओ, क्योंकि छोटे कदमों से ही हम बड़े लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।"

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