जंगल के एक घने कोने में, बांस की झाड़ियों के बीच एक छोटी सी घर थी, जो चुहिया रानी का था। यह घर न केवल उसकी छोटी दुनिया था, बल्कि उसकी बड़ी महत्वाकांक्षाओं का भी प्रतीक था। चुहिया रानी, जो हमेशा अपनी शरारतों और प्यारी हरकतों के लिए जानी जाती थी, दिनभर जंगल में उछल-कूद करती रहती थी। लेकिन वह हमेशा एक सपने के साथ जीती थी, जो उसे चुपचाप बेचैन करता था।
चुहिया का सपना था कि उसे भी जंगल के बाकी बड़े जानवरों की तरह सम्मान मिले। उसे लगता था कि उसका छोटा कद और आकार उसे बाकी सभी जानवरों से अलग करता है, लेकिन वह यह भी जानती थी कि एक दिन वह भी अपने छोटे आकार को एक बड़ी ताकत में बदल सकती हैं।
सपना देखने वाली चुहिया
एक दिन चुहिया ने अपनी प्यारी दोस्त गिलहरी से अपनी दिल की बात कही।
चुहिया: "गिल्ली, क्या तुम्हें कभी ऐसा लगता है कि मैं सिर्फ छोटी हूं, इसलिए मुझे कोई गंभीरता से नहीं लेता?"
गिलहरी: "अरे, ऐसा क्यों सोचती हो? तुम तो बहुत होशियार और प्यारी हो, और तुम्हारा दिल भी बहुत बड़ा है!"
चुहिया थोड़ी उदास होते हुए बोली,
चुहिया: "पता है, मैं सपना देखती हूं कि एक दिन मैं जंगल की सबसे खास जानवर बन जाऊंगी, और हर कोई मुझे सलाम करेगा।"
गिलहरी मुस्कुराई और बोली, "तुम जरूर अपने सपने को पूरा करोगी, बस हिम्मत और समझदारी से काम लो।"
जंगल में मची खलबली
अगले दिन जंगल में एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई। जंगल के तालाब में एक बड़ा मगरमच्छ आ गया था, जो बाकी जानवरों को डराने लगा था। सभी छोटे जानवर जैसे खरगोश, बंदर और हिरण तालाब के पास जाने से डरने लगे। लेकिन अब जंगल को बचाने का जिम्मा सभी जानवरों पर था।
सब जानवर जंगल के राजा शेर के पास गए और मदद की गुहार लगाई।
शेर: "हमें मगरमच्छ को तालाब से निकालने के लिए एक योजना बनानी होगी।"
हाथी: "हम उसे अपनी ताकत से हराएंगे!"
लोमड़ी: "नहीं, हमें उसकी चालाकी से मुकाबला करना होगा।"
लेकिन कोई भी जानवर मगरमच्छ से निपटने का सही तरीका नहीं ढूंढ पा रहा था। जंगल में हलचल बढ़ने लगी थी, और समस्या का कोई समाधान नहीं था।
चुहिया का बुद्धिमानी भरा कदम
सभी जानवरों की बातचीत सुनने के बाद, चुहिया ने अपनी छोटी सी आवाज में कहा,
चुहिया: "क्या मैं कुछ कह सकती हूं?"
सभी जानवर हैरान होकर उसकी ओर देखने लगे, और फिर शेर ने कहा,
शेर: "बोलो, चुहिया, तुम्हारे पास क्या योजना है?"
चुहिया ने कहा,
चुहिया: "मगरमच्छ ताकतवर जरूर है, लेकिन वह बहुत लालची भी है। हम उसे लालच देकर तालाब से बाहर लाने की कोशिश करें, तो वह आसानी से फंस जाएगा।"
सभी जानवर इस योजना से सहमत हो गए, और उन्होंने तालाब के पास एक बड़े मांस के टुकड़े को रखा। सभी जानवरों ने छिपकर इंतजार किया, और जैसे ही मगरमच्छ खाने के लालच में आया, जंगल के जानवरों ने उसे जाल में फंसा लिया।
चुहिया बनी जंगल की हीरो
चुहिया की इस समझदारी से पूरा जंगल खुश हो गया। अब जंगल के सभी जानवरों ने उसे आदर और सम्मान से देखा।
शेर: "तुमने साबित कर दिया कि छोटा कद और ताकत मायने नहीं रखते, बल्कि बुद्धिमानी और हिम्मत सबसे बड़ी ताकत हैं। आज से तुम हमारी 'जंगल मंत्री' हो।"
चुहिया का दिल खुशी से भर गया। उसने अपनी दोस्त गिलहरी से कहा,
चुहिया: "देखा, गिल्ली, मेरा सपना पूरा हो गया! अब मुझे भी सम्मान मिला है!"
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
कभी भी अपने कद या क्षमता को छोटा न समझें। हर किसी में अपनी ताकत होती है, और वह ताकत बुद्धिमानी, साहस और हिम्मत से अधिक प्रभावी हो सकती है। छोटे आकार का होना कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि यह हमें अलग तरीके से सोचने और समस्याओं का समाधान करने का मौका देता है।
चुहिया ने यह साबित किया कि केवल शारीरिक ताकत से नहीं, बल्कि सही सोच और समझदारी से भी बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता हैं।