एक समय की बात है, जंगल में एक शक्तिशाली और बुद्धिमान शेर, जिसका नाम सिंघम था, राज करता था। वह बहुत ही ताकतवर और समझदार शेर था, लेकिन अब उसकी उम्र बढ़ने लगी थी। सिंघम ने सोचा कि अब समय आ गया है कि वह जंगल का नया राजा चुने, और इसके लिए एक कठिन परीक्षा का आयोजन किया। उसने घोषणा की, "मैं अब राजा की गद्दी छोड़ना चाहता हूँ। जो भी जंगल का नया राजा बनना चाहता है, उसे एक खास परीक्षा से गुजरना होगा।"
सिंघम की घोषणा के बाद, जंगल के सभी जानवरों में हलचल मच गई। खरगोश चीकू, लोमड़ी फुर्तीली, हाथी गजराज, और बंदर गोलू सभी ने जंगल का नया राजा बनने की इच्छा जताई। लेकिन सिंघम ने उन्हें बताया कि यह परीक्षा आसान नहीं होगी। उन्हें जंगल की सबसे डरावनी जगह, एक अंधेरी और खतरनाक गुफा में जाकर एक खास फूल लाना होगा, जिसे "बहादुरी का फूल" कहा जाता था। इस फूल को लाकर वह साबित कर सकते थे कि वे सच्चे राजा बनने के योग्य हैं।
साहस की परीक्षा
सबसे पहले लोमड़ी फुर्तीली ने परीक्षा में भाग लेने की ठानी। वह बोली, "मैं बहुत चालाक हूँ, यह परीक्षा मेरे लिए बहुत आसान होगी।" लेकिन जैसे ही वह गुफा के पास पहुंची, अंदर से आने वाली डरावनी आवाजें और अंधेरा देखकर वह डर के मारे वापस भाग गई।
फिर आया हाथी गजराज, जो बहुत ताकतवर था। उसने कहा, "मैं तो सबसे मजबूत हूँ, कोई भी मुझे नहीं रोक सकता!" लेकिन गुफा के पास पहुंचते ही वह संकरी रास्ते और अंधेरे को देखकर डर गया और लौट आया।
बंदर गोलू ने भी अपनी बारी ली। वह नटखट और तेज था, और उसने कहा, "मैं सबसे तेज़ हूं, मुझे कोई भी नहीं हरा सकता!" लेकिन जैसे ही वह गुफा में घुसा, अंदर से एक डरावनी चीख सुनकर वह भी डर कर भाग खड़ा हुआ।
खरगोश चीकू की हिम्मत
अब बारी थी छोटे से खरगोश चीकू की। सभी जानवरों ने उसका मजाक उड़ाया और कहा, "तुम इतने छोटे हो, तुम क्या कर पाओगे?" लेकिन चीकू ने हार मानने की बजाय हिम्मत जुटाई और कहा, "मैं जरूर कोशिश करूंगा, क्योंकि सच्ची बहादुरी केवल डर को पार करने में है, न कि हार मानने में।"
चीकू डरते-डरते गुफा में घुसा। अंदर घना अंधेरा था और डरावनी आवाजें आ रही थीं, लेकिन चीकू ने खुद को शांत रखा और साहसिक कदम बढ़ाता गया। अचानक, उसके सामने एक बड़ा सांप आ खड़ा हुआ। सांप ने चीकू से पूछा, "तुम यहां क्या कर रहे हो, छोटे खरगोश?"
चीकू ने साहस से जवाब दिया, "मैं बहादुरी का फूल लेने आया हूँ, ताकि मैं इस जंगल का नया राजा बन सकूं। मैं डरता नहीं हूं, क्योंकि मुझे अपने जंगल के लिए अच्छा करना है।" सांप ने चीकू की सच्ची बहादुरी को पहचाना और उसे रास्ता दे दिया।
सच्ची बहादुरी की जीत
चीकू ने बहादुरी का फूल तोड़ लिया और गुफा से बाहर निकल आया। जंगल के सभी जानवर यह देखकर हैरान रह गए। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि इतना छोटा सा खरगोश इस कठिन परीक्षा को पास कर सकता है।
सिंघम शेर ने चीकू को अपनी ओर बुलाया और कहा, "तुमने यह साबित कर दिया है कि सच्चा राजा वही होता है, जो डर से नहीं डरता और कभी हार नहीं मानता। तुम छोटे जरूर हो, लेकिन तुम्हारी बहादुरी सबसे बड़ी है। आज से तुम इस जंगल के नए राजा हो।"
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि
सच्ची बहादुरी सिर्फ ताकत या चालाकी में नहीं होती, बल्कि यह हमारे दिल और साहस में होती है। जब हम किसी उद्देश्य को पाने के लिए पूरी ईमानदारी से मेहनत करते हैं और डर का सामना करते हैं, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती।