एक घने और हरे-भरे जंगल में एक सुंदर मोर रहता था। उसकी लंबी, रंग-बिरंगी पंखों वाली पूंछ देखकर सभी जानवर उसकी तारीफ करते थे। मोर अपनी खूबसूरती पर बहुत गर्व करता था और सोचता था कि उसका जैसा कोई नहीं। वह अपनी पूंछ को देखकर खुद को बहुत विशेष महसूस करता था और जंगल के अन्य जानवरों को नीचा दिखाता।
मोर का अहंकार
हर सुबह मोर नदी के किनारे जाता, अपनी पंखों को फैला कर नाचता और खुद को देखता। वह सोचता, "मुझे ही सबसे सुंदर होना चाहिए, कोई भी मुझसे ज्यादा सुंदर नहीं है।" इस प्रकार वह अपने रूप और सुंदरता पर इतना घमंड करने लगा कि उसे किसी और की सुंदरता या गुणों की कोई कद्र नहीं थी।
एक दिन जंगल में एक छोटा खरगोश आया। खरगोश ने मोर की खूबसूरती की सराहना की और कहा, "तुम सच में बहुत सुंदर हो, मोर। तुम्हारे पंख अद्भुत हैं।"
मोर ने अपनी पंखों को और फैलाते हुए गर्व से कहा, "हां, मुझे पता है कि मैं सबसे सुंदर हूं। तुम जैसे छोटे-से जानवर को क्या समझना।"
खरगोश ने मुस्कराते हुए कहा, "सुंदरता सिर्फ बाहरी रूप में नहीं होती, मोर। असली खूबसूरती हमारे भीतर के गुणों में होती है।"
मोर ने उसकी बात को नजरअंदाज किया और हंसी में कहा, "गुण? मेरे पंख ही सबसे बड़े गुण हैं।
अगले दिन जंगल में अचानक भारी बारिश हो गई। सभी जानवर अपने-अपने घरों में जाकर सुरक्षित हो गए। मोर को अपनी सुंदरता का बहुत घमंड था, लेकिन उसे यह अहसास नहीं था कि बारिश में उसके सुंदर पंख काम नहीं आएंगे। मोर पेड़ के नीचे शरण लेने गया, लेकिन उसकी बड़ी और भारी पंखों के कारण वह पूरी तरह से भीग गया।
वहीं खरगोश ने एक छोटी सी गुफा में शरण ली और आराम से बारिश के बाद बाहर आया। जब बारिश खत्म हुई और मोर और खरगोश फिर से मिले, तो मोर ने झेंपते हुए कहा, "तुम सही थे, खरगोश। मेरी पंखों की सुंदरता मुझे बारिश से नहीं बचा सकी।"
खरगोश मुस्कराते हुए बोला, "देखो मोर, बाहरी सुंदरता से ज्यादा अहमियत हमारे अंदर के गुणों की होती है। तुम जितने सुंदर हो, तुम्हारी पंखों की सुंदरता तुम्हें बारिश से नहीं बचा पाई। असली ताकत हमारे गुणों और समझ में है।"
मोर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने खरगोश से माफी मांगी। उसने समझा कि केवल बाहरी सुंदरता ही सब कुछ नहीं होती, बल्कि सच्चे गुण, आत्मा की शांति और दूसरों के प्रति सच्चे संबंध ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि
असली सुंदरता केवल हमारे रूप-रंग में नहीं होती, बल्कि हमारे अच्छे गुणों और आंतरिक अच्छाई में होती है। हमें अपनी बाहरी सुंदरता से ज्यादा अपने भीतर की अच्छाइयों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जीवन में सच्ची खूबसूरती वही होती है जो हमें अपने गुणों से आती है, न कि केवल बाहरी रूप से।