प्रिया के घर के सामने बड़ा और खूबसूरत बगीचा था। उसमें तरह-तरह के रंग-बिरंगे गुलाब खिले रहते थे। प्रिया की आदत थी कि वह हर सुबह स्कूल जाने से पहले दो-तीन गुलाब तोड़ती। ये गुलाब वह अपनी मैडम और सहेलियों को तोहफे में देती, जिससे सभी खुश हो जाते।
नए साल की शुरुआत
नववर्ष की पहली सुबह, प्रिया हमेशा की तरह गुलाब तोड़ने बगीचे में गई। लाल गुलाब के एक पौधे ने मुस्कुराते हुए उसे कहा, "प्रिया बेटी, नववर्ष की शुभकामनाएं!"
यह सुनकर प्रिया को याद आया कि सचमुच आज नया साल है। उसने सोचा, क्यों न आज कुछ खास गुलाब तोड़कर अपनी सहेलियों और मैडम को भेंट करे?
जैसे ही प्रिया ने हाथ बढ़ाया, लाल गुलाब ने अपने कांटे से उसके हाथ में हल्की सी चोट कर दी। प्रिया को थोड़ा खून निकलता देख गुस्सा आ गया। वह बोली, "यह कैसी बधाई है? तुमने मुझे चोट पहुंचाई, यह तो बहुत गलत है!"
गुलाब का जवाब
लाल गुलाब शांत स्वर में बोला, "प्रिया, रोज़ हम तुम्हें फूल देते हैं। लेकिन आज, जरा सा कांटा चुभ गया, तो तुम्हें बुरा लग गया? हमारी मेहनत और त्याग का कभी एहसास हुआ?"
प्रिया ने तपाक से जवाब दिया, "तुम लोग हमारी वजह से ही पानी और धूप पाते हो। यह तो हमारा हक है!"
गुलाब मुस्कुराया और बोला, "बिल्कुल सही कहा। यह प्रकृति का नियम है। लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि हम फूल कितनी मेहनत और समय से खिलते हैं? जैसे ही हम तोड़े जाते हैं, हमारी महक और जीवन खत्म हो जाता है।"
प्रकृति का संदेश
गुलाब ने समझाते हुए कहा, "जब हम पेड़ों पर खिले रहते हैं, तो हमारी महक तुम्हारी हवा को शुद्ध करती है। हमारे खिलते रहने से तुम्हारे बगीचे की शोभा बढ़ती है। भंवरे और तितलियां हमारे साथ खेलते हैं, जिससे प्रकृति का संतुलन बना रहता है। लेकिन जब तुम हमें तोड़ देती हो, तो हमारी सुंदरता और उपयोगिता दोनों खत्म हो जाती हैं।"
प्रिया ने ध्यान से गुलाब की बात सुनी। उसे एहसास हुआ कि वह रोज़ फूल तोड़कर प्रकृति का नुकसान कर रही थी। उसने तुरंत गुलाब से माफी मांगी और कहा, "आज से मैं वादा करती हूं कि तुम्हारे जैसे सुंदर फूलों को कभी नहीं तोड़ूंगी। मैं तुम्हारी महक और खूबसूरती का हमेशा ध्यान रखूंगी।"
नववर्ष का नया वादा
प्रिया ने गुलाब के पौधे के पास खड़े होकर कहा, "तुम्हारा यह संदेश मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा है। मैं अब और लोगों को भी समझाऊंगी कि फूलों को तोड़ने की बजाय उन्हें पेड़ों पर खिलने दें। यही प्रकृति की असली सुंदरता है।" गुलाब ने अपनी भीनी खुशबू हवा में फैलाते हुए कहा, "यही है मेरा नववर्ष का संदेश। प्रकृति का सम्मान और संरक्षण ही हमारे जीवन को सुंदर और खुशहाल बना सकता है।"
यह कहानी हमें सिखाती है कि
प्रकृति का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। फूलों, पेड़ों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों को उनकी प्राकृतिक अवस्था में रहने देना चाहिए। यही सच्ची खुशहाली और संतुलित जीवन का मूल मंत्र हैं। नववर्ष की शुरुआत प्रकृति की रक्षा का संकल्प लेकर करें, क्योंकि फूलों की मुस्कान ही धरती की असली पहचान हैं।