भाई दूज 2024: जानें यमराज और यमुना से जुड़ी भाई दूज की पौराणिक कथा

भाई दूज 2024: जानें यमराज और यमुना से जुड़ी भाई दूज की पौराणिक कथा
Last Updated: 1 दिन पहले

भाई दूज का पर्व भाईयों के प्रति बहनों की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। चलिए, अब हम भाई दूज की कथा के बारे में जानते हैं।

भाई दूज की कथा

भाई दूज के संदर्भ में एक प्राचीन मान्यता है कि यमुना ने इस दिन अपने भाई यमराज की लंबी आयु के लिए व्रत किया था और उन्हें विशेष अन्नकूट का भोग पेश किया था। कथा के अनुसार, यम देवता ने अपनी बहन यमुना को इसी दिन दर्शन दिए थे। यम की बहन यमुना अपने भाई से मिलने के लिए बहुत ही उत्सुक थी। जब यमुना ने अपने भाई को देखा, तो वह अत्यंत खुश हुई और उसने यमराज का स्वागत बहुत धूमधाम से किया। यमराज ने प्रसन्न होकर अपनी बहन को वरदान दिया कि अगर भाई और बहन दोनों मिलकर इस दिन यमुना नदी में स्नान करेंगे, तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। इसी कारण से यमुना नदी में भाई-बहन के साथ स्नान करने का विशेष महत्व है। इसके अतिरिक्त, यमराज ने यमुना से यह वचन लिया कि इस दिन हर भाई को अपनी बहन के घर अवश्य जाना चाहिए। इसी परंपरा के चलते भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।

श्री कृष्ण और सुभद्रा की अद्भुत कथा

भाई दूज के इस पर्व से जुड़ी एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करके भाई दूज के दिन द्वारका वापसी की थी। इस अवसर पर उनकी बहन सुभद्रा ने अपने भाई का हार्दिक स्वागत किया, जिसमें उन्होंने फल, फूल, मिठाई और दीपक जलाए। इसके साथ ही, सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण का तिलक करके उनके दीर्घायु की कामना भी की।

भाई की लंबी उम्र के लिए बहनें करती हैं तिलक

भाई दूज के अवसर पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर और उपहार देकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। मिथिला नगरी में इस पर्व को आज भी यमद्वितीया के नाम से जाना जाता है। इस दिन चावलों को पीसकर एक लेप भाईयों के दोनों हाथों में लगाया जाता है। इसके साथ ही कुछ स्थानों पर भाई के हाथों में सिंदूर लगाने की परंपरा भी है।

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