देशप्रेम और समर्पण की कोई भी कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चे देशभक्त अपने राष्ट्र के प्रति अपनी निष्ठा और कर्तव्य को अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं और भौतिक सुख-सुविधाओं से ऊपर रखते हैं। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां किसी व्यक्ति ने अपने देश के प्रति इस प्रकार की गहरी निष्ठा दिखाई, जो हमें प्रेरित करती है। एक ऐसी ही अद्भुत मिसाल नेपोलियन के शासनकाल में घटित हुई, जो न केवल देशभक्ति का प्रतीक बनी, बल्कि समर्पण की पराकाष्ठा को भी दर्शाती है।
घटना का विवरण
यह घटना पेरिस की एक जेल में घटित हुई, जहां एक जर्मन सैनिक को बंदी बनाकर रखा गया था। सर्दी का मौसम था और पेरिस में भारी बर्फबारी हो रही थी। जेल की बैरक में ठंड इतनी अधिक थी कि सभी कैदी ठिठुर रहे थे। एक जर्मन सैनिक को देखकर जेल अधिकारी और अन्य बंदी उसे कंबल ओढ़ने की सलाह दे रहे थे, लेकिन उसने इसे अनसुना कर दिया और चुपचाप बैठा रहा। उसकी स्थिति देखकर सभी परेशान थे, लेकिन वह किसी भी तरह की मदद लेने को तैयार नहीं था।
तभी अचानक नेपोलियन जेल के दौरे पर पहुंचे। वह उस जर्मन सैनिक की बैरक में भी गए, जहां सैनिक सर्दी से कांपता हुआ चुपचाप बैठा था। नेपोलियन ने सैनिक से कई सवाल किए, लेकिन सैनिक की आंखें छत की ओर टिकी हुई थीं, और उसने कोई जवाब नहीं दिया।
नेपोलियन को इस सैनिक की हालत देखकर आश्चर्य हुआ, और वह समझ गए कि कुछ गहरी बात जरूर है। उन्होंने सैनिक से कहा, "सैनिक, अगर तुम्हें कोई परेशानी है, तो बिना डर के हमें बताओ। हम तुम्हारी मदद करना चाहते हैं। हमें नहीं चाहिए कि कोई भी सैनिक इस तरह दुखी हो।"
सैनिक ने धीमे स्वर में कहा, "महाशय, मुझे खेद है कि मैंने आपके सवालों का जवाब नहीं दिया। आपने बार-बार मुझे कंबल ओढ़ने के लिए कहा, लेकिन मैंने इसे नहीं ओढ़ा। इसके पीछे एक कारण है।"
नेपोलियन ने पूछा क्या कारण है
सैनिक ने कहा, "मैंने अपने देश की वस्तुओं का इस्तेमाल करने की शपथ ली है। मुझे अपने देश की चीजों से प्रेम है। मुझे विदेशी कंबल का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह मेरी आदत और मेरे देश के प्रति श्रद्धा का हिस्सा है। अगर मुझे सर्दी से मरना पड़ा, तो मैं इसे मंजूर करूंगा, लेकिन मैं अपने देश के प्रति वफादारी का उल्लंघन नहीं कर सकता।"
देशभक्ति और समर्पण की मिसाल
सैनिक के शब्दों ने नेपोलियन को गहरे प्रभावित किया। उसकी देशप्रेम और निष्ठा ने नेपोलियन का दिल छू लिया। उन्होंने तुरंत आदेश दिया कि एक जर्मन कंबल लाया जाए, ताकि सैनिक को ठंड से राहत मिल सके। पूरे रात जेल कर्मचारी बाज़ार में एक कंबल की खोज करते रहे, और अंत में उन्हें एक जर्मन कंबल मिला।
जब कंबल जेल में लाया गया, तो देखा गया कि वह सैनिक अब इस दुनिया में नहीं रहा। उसकी निष्ठा और देशभक्ति के कारण ही वह कंबल के बिना ठंड में मर गया
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
जब किसी व्यक्ति की निष्ठा अपने देश और सिद्धांतों के प्रति इतनी मजबूत होती है, तो वह किसी भी मुश्किल का सामना कर सकता है। उस सैनिक का समर्पण और देश के प्रति वफादारी ने उसे अपने जीवन की सबसे बड़ी कीमत चुकाने के लिए मजबूर किया, लेकिन उसके विश्वास और समर्पण की मिसाल हमेशा के लिए जीवित रही।
देशप्रेम केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कार्यों में भी दिखना चाहिए। यह कहानी हमें यह समझाती है कि सही समय पर अपने सिद्धांतों पर खड़ा रहना ही सच्चे देशभक्त का कर्तव्य होता है।