जंगल में हर किसी को अपनी तरह की समस्याएँ होती थीं, लेकिन उनमें से एक समस्या ऐसी थी जो हर समय चर्चा में रहती थी - वह थी नटखट गधे की शरारतें। यह गधा अपनी हरकतों से सबको परेशान करता रहता था। शेर के बाल खींचना हो या फिर खरगोश की गाजर चुराना, वह हमेशा जंगल में एक नई मस्ती खोजता था। उसकी शरारतों से जंगल में एक नई हलचल मच जाती थी, और हर कोई उससे परेशान रहता था। लेकिन यह कहानी सिर्फ शरारतों की नहीं है, बल्कि एक बड़े बदलाव की भी है, जिसे एक चमत्कारी चश्मा लाया।
शिकायतों का ढेर और एक दिन की पंचायत
जंगल में हर जानवर को गधे की शरारतें परेशान करती थीं। एक दिन जंगल के सारे जानवर पंचायत में इकट्ठा हुए और गधे से उसकी शरारतों का हिसाब लेने की ठानी।
हाथी: "गधे भाई, अब ये शरारतें बंद करो। कल तुमने मेरी सूंड पर पेंट लगा दिया!"
खरगोश: "और मेरी गाजरें क्यों चुराईं? अब मैं भूखा रह गया!"
गधा, जो हमेशा मस्ती में रहता था, इन शिकायतों पर हंसा और बोला, "अरे, मजाक ही तो किया था! इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो?"
सभी जानवर गुस्से में थे, लेकिन गधा अपनी मस्ती में मस्त था।
चमत्कारी चश्मे की खोज और गधे का अद्भुत अनुभव
एक दिन गधा जंगल में इधर-उधर घूमते हुए एक झाड़ी के पास पहुंचा। उसे वहां एक चमचमाता चश्मा मिला। उसकी आंखों में चमक आ गई और उसने वह चश्मा पहन लिया। जैसे ही गधा चश्मा पहनकर जंगल को देखने लगा, उसने देखा कि अब सब कुछ बदल गया था। वह जानवरों के दिलों की भावनाएं और दर्द साफ-साफ देख सकता था।
गधा सबसे पहले खरगोश के पास गया। खरगोश उससे कह रहा था, "गधे भाई, तुम्हारी वजह से मुझे रात भर भूखा रहना पड़ा।" गधा ने चश्मे से देखा तो उसे खरगोश की उदासी और भूख साफ दिखाई दी। यह दृश्य उसे अंदर तक झकझोर गया।
फिर गधा हाथी के पास गया। हाथी दुखी होकर बोला, "तुमने मेरी सूंड पर पेंट लगा दी, और अब बच्चे मुझसे डरते हैं। कोई मुझसे दोस्ती नहीं करता।" गधा ने चश्मे से देखा, तो हाथी की अकेलेपन और दर्द को महसूस किया।
गधे का बदलाव और माफी
गधा अब समझ चुका था कि उसकी शरारतों से बाकी जानवरों को कितनी तकलीफ हो रही थी। वह अपनी गलती को समझ चुका था और उसने तुरंत सभी से माफी मांगी।
गधा गंभीर होते हुए बोला, "मुझे माफ कर दो, दोस्तों। मैं अब समझ गया हूं कि मेरी मस्ती से दूसरों को कितनी तकलीफ होती है। मैं अब ऐसा नहीं करूंगा।"
पंचायत का फैसला और गधे का नया जीवन
सभी जानवरों ने गधे को माफ कर दिया। शेर ने कहा, "अगर तुमने अपनी गलतियों से कुछ सीखा है, तो यह सबसे बड़ी बात है। अब हमें उम्मीद है कि तुम सबका ध्यान रखोगे।" गधा अब हमेशा चश्मा पहनकर यह सुनिश्चित करता कि वह किसी को दुख न पहुंचाए।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
कभी-कभी हमें अपनी शरारतों और मजाक को रोककर यह सोचना चाहिए कि क्या इससे किसी को तकलीफ हो रही है। गधा पहले तो दूसरों के दर्द और भावनाओं को समझ नहीं पा रहा था, लेकिन जब उसे चश्मे से यह सब साफ-साफ दिखा, तो उसकी सोच बदल गई।
हमारे जीवन में भी यही होता है, हमें दूसरों की समस्याओं और दर्द को समझना चाहिए। शरारतें करने से पहले हमें यह जरूर सोचना चाहिए कि क्या इससे किसी को नुकसान तो नहीं होगा। अगर हम सब एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें और एकजुट होकर काम करें, तो समाज में शांति और समझदारी का माहौल बन सकता हैं।
यह कहानी हमें यह भी बताती है कि हर किसी को सुधारने का मौका मिलना चाहिए, और कभी-कभी हमें अपनी गलतियों को स्वीकार कर उनसे सीखना चाहिए।