बहुत समय पहले की बात है, जंगल में एक चतुर सियार रहता था। अपनी चालाकी और धूर्तता के लिए वह पूरे जंगल में मशहूर था। वह हमेशा जंगल के दूसरे जानवरों को अपनी बातों में उलझाकर उनसे फायदा उठाता था। सियार को अपने ही कृत्यों पर बहुत गर्व था। वह सोचता था कि उसकी चालाकी के आगे कोई भी नहीं टिक सकता।
गाँव की ओर रुख और अजनबी रंग
एक दिन सियार ने सोचा कि क्यों न गाँव की ओर जाया जाए। जंगल से बाहर के इलाके उसके लिए नई चालें सीखने और अपने दिमागी खेल को और तेज करने का सबसे अच्छा मौका हो सकते थे। गाँव पहुंचने पर, सियार ने देखा कि एक अजनबी जानवर वहां आ गया था। यह जानवर कोई साधारण नहीं था, बल्कि गाँव के कुत्तों के लिए एक खतरा बन चुका था। जैसे ही गाँव के कुत्तों ने सियार को देखा, वे उसे शिकार समझकर उस पर हमला करने लगे।
सियार भागते-भागते एक रंगरेज की बनी नीली रंग की हौदी में गिर पड़ा। नीला रंग पूरी तरह से उसके शरीर में समा गया और वह नीला सियार बन गया। उसका रंग नीला होने के कारण वह पहले से भी ज्यादा अलग और अजीब दिखने लगा। जब वह जंगल लौटकर आया, तो सभी जानवर उसकी नई अवस्था को देखकर चौंक गए।
चालाक सियार का झूठ और सत्ता का खेल
सियार ने मौका देख तुरंत अपनी चालाकी शुरू कर दी। वह सब जानवरों से कहने लगा कि वह भगवान का दूत है, जिसे शांति और सौहार्द फैलाने के लिए भेजा गया है। उसकी बातों में घुमाव और विश्वास था, और जानवरों ने उसकी बातों में आकर उसे अपना राजा मान लिया।
सियार का कहना था कि अब वह जंगल का राजा है और सभी जानवरों को उसके आदेशों का पालन करना होगा। उसकी बातों में कोई शक नहीं था क्योंकि उसके नीले रंग ने उसे और भी प्रभावशाली बना दिया था। अब सियार को हर दिन स्वादिष्ट फल और भोजन मिलने लगे, और वह खुश होकर आराम से जीवन जीने लगा।
असली सच्चाई का खुलासा
लेकिन किसी भी झूठ का पर्दाफाश देर-सबेर होता ही है। एक रात, सियार को पुराने दोस्तों की याद आ गई। उसे उन पुराने दिनों की याद आई जब वह अपनी असली पहचान के साथ जंगल में शिकार करता था। पुराने दोस्तों के साथ बिताए गए वक्त के दौरान वह हंसी-मजाक करने लगा और अपनी पुरानी आदतों में खो गया।
जंगल के सारे जानवर जाग गए और उन्होंने पहचान लिया कि यह कोई भगवान का दूत नहीं, बल्कि वही पुराना चालाक सियार है। हाथी ने गुस्से में आकर कहा, “तुमने हमसे झूठ बोला! तुमने हमे धोखा दिया!” सभी जानवरों को अब सच पता चल चुका था और उनका गुस्सा सियार के खिलाफ फूट पड़ा।
सियार की सच्चाई और उसका अंत
अब सियार ने समझ लिया था कि उसका खेल खत्म हो चुका है। जानवरों ने मिलकर उसे अपनी असली जगह दिखाने का फैसला किया। सब जानवर एकजुट हो गए और सियार के पीछे दौड़े। डर के मारे सियार जंगल छोड़कर भागने लगा। इस घटना ने सबको यह सिखाया कि कोई भी व्यक्ति चाहे जितनी चालाकी और झूठ बोले, अंत में सच का पर्दाफाश हो ही जाता है। सियार ने अपने झूठ से जितनी भी सफलता पाई थी, वह अस्थायी थी और जब सच सामने आया, तो उसका पूरा खेल खत्म हो गया।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
झूठ और चालाकी से किसी भी व्यक्ति को स्थायी सफलता नहीं मिल सकती। सच को छिपाना मुश्किल होता है और एक दिन वह सबके सामने आ ही जाता है। हमें हमेशा ईमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए, क्योंकि झूठ के रास्ते से कोई भी सच्ची सफलता नहीं मिलती।