कई वर्षों पहले, समरकंद नगर में एक अद्भुत और भव्य महल था, जहाँ राजकुमारी जरीना अपने सौंदर्य और बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध थी। उनके पिता, राजा बहराम, ने एक अनोखी शर्त रखी—जो कोई भी राजकुमारी की पहेलियों को हल करेगा, वही उसका जीवनसाथी बनेगा।
पहेलियों की कठिन चुनौती
सुदूर राजकुमार महल में आए, किंतु कोई भी जरीना की पहेलियों का सही उत्तर न दे सका। तभी एक साधारण लेकिन चतुर युवक, फरहाद, नगर में आया। वह अपनी बुद्धिमत्ता और साहस के लिए जाना जाता था। उसने जरीना की सबसे कठिन पहेलियों को हल कर दिया और सभी को अचंभित कर दिया। राजा बहराम ने फरहाद को विजेता घोषित कर दिया, परंतु जरीना की जादूगरनी चाची इस विवाह से प्रसन्न नहीं थी। उसने फरहाद के सामने एक असंभव चुनौती रखी—एक रहस्यमयी खजाने की खोज, जो सच्चे प्रेम और निष्ठा की वास्तविक परीक्षा थी।
फरहाद की रोमांचक यात्रा
फरहाद ने अपनी खोज शुरू की। उसने भयंकर राक्षसों से युद्ध किया, जादुई जीवों की चालों को मात दी और समुद्री डाकुओं की धूर्तता से बच निकला। अंततः, एक परी से उसकी भेंट हुई। परी ने कहा, "सच्चा खजाना सोना-चाँदी नहीं, बल्कि प्रेम और निष्ठा है। यही खजाना तुम्हें जरीना का हृदय दिलाएगा।" जब फरहाद लौटा, तो उसने अपनी यात्रा के अनुभव राजा और जरीना को सुनाए। उसकी निष्ठा और साहस ने राजकुमारी का हृदय जीत लिया। राजा बहराम ने उसे दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया।
सुखद अंत और अमर प्रेम कथा
जादूगरनी चाची को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी शक्तियों से प्रेम को आशीर्वाद दिया। समरकंद में धूमधाम से फरहाद और जरीना का विवाह हुआ। आज भी, समरकंद के महल की दीवारें इस अमर प्रेम गाथा को सुनाती प्रतीत होती हैं।