पेश है प्रसिद्ध और प्रेरणादायक कहानी, सबकी सोच एक जैसी
एक बार बादशाह अकबर अपने दरबार में किसी विशेष विषय पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने शाही दरबार में उपस्थित सभी लोगों से इस विषय पर राय मांगी। जवाब में, अदालत में प्रत्येक मंत्री ने अपनी बुद्धि के आधार पर अपना दृष्टिकोण पेश किया। सम्राट यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया कि सभी का उत्तर एक-दूसरे से बिल्कुल अलग था। इससे हैरान होकर बादशाह अकबर ने बीरबल से इस असमानता का कारण पूछा और सवाल किया, "हर कोई एक जैसा क्यों नहीं सोचता?"
बादशाह का प्रश्न सुनकर बीरबल ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "महाराज, वास्तव में कई मामलों पर लोगों की सोच अलग-अलग हो सकती है, लेकिन कुछ विशिष्ट विषयों पर सभी की सोच एक समान हो जाती है।" बीरबल के इस कथन के साथ ही दरबार में चर्चा समाप्त हो गई और सभी लोग अपने-अपने कर्तव्यों में लग गए।
उस शाम, बादशाह अकबर उसी प्रश्न पर फिर से विचार करते हुए, बीरबल के साथ अपने बगीचे में टहलने गए। "बीरबल, मैंने तुमसे पूछा था कि हर किसी की सोच एक समान क्यों नहीं होती। मुझे इसका उत्तर दो," बादशाह ने सवाल दोहराया, जिससे इस मामले पर उनके और बीरबल के बीच एक और बहस छिड़ गई। लाख कोशिशों के बावजूद बादशाह अकबर बीरबल की बात समझ नहीं पाए। अपने रुख को स्पष्ट करने के लिए, बीरबल ने एक समाधान प्रस्तावित करते हुए कहा, "महाराज, मैं आपको साबित कर दूंगा कि कुछ मामलों पर, हर किसी की सोच वास्तव में एक समान होती है। बस एक फरमान जारी करें। फरमान में कहा जाएगा कि आने वाली अमावस्या की रात को, हर कोई अपने घरों से दूध का एक घड़ा लाना और उसे अपने बगीचे के सूखे कुओं में डालना। जो लोग अवज्ञा करेंगे उन्हें कड़ी सजा मिलेगी।''
शुरू में बादशाह अकबर को बीरबल का सुझाव मूर्खतापूर्ण लगा, लेकिन उन्होंने आगे बढ़कर सलाह के अनुसार शाही फरमान जारी कर दिया। आदेश के बारे में प्रचार करने के लिए सैनिकों को पूरे राज्य में भेजा गया। फ़रमान सुनकर लोग इसकी बेतुकी बात पर चर्चा करने लगे, फिर भी बादशाह की आज्ञा के कारण उन्होंने उसका पालन किया। सभी को अमावस्या की रात का बेसब्री से इंतजार रहता था।
जैसे ही अमावस्या की रात आई, सभी लोग दूध के घड़े लेकर सूखे कुओं के पास एकत्र हो गए। उन्होंने दूध कुओं में डाला और घर लौट आये। भीड़ से अनजान, बादशाह अकबर और बीरबल ने दूर से यह दृश्य देखा। जब सभी ने अपने-अपने घड़े कुओं में खाली कर दिए और चले गए, तो बीरबल बादशाह को कुओं के करीब ले गए और इशारा किया, "महाराज, देखिए कि कुएँ दूध से नहीं बल्कि पानी से भरे हुए हैं। लोगों ने सोचा कि कुओं में दूध डालना मूर्खता है।" इसलिए उन्होंने इसकी जगह पानी डाल दिया। उन्होंने यह भी माना कि चांदनी रात में, अंधेरा होगा, और किसी को पता नहीं चलेगा कि घड़े में दूध है या पानी। इसलिए, यह स्पष्ट है कि कुछ मामलों पर, हर किसी की सोच एक जैसी होती है।'
आख़िरकार बादशाह अकबर को बीरबल की बात अच्छी तरह समझ आ गई।
इस कहानी से यही सीख मिलती है कि - एक जैसी व्यक्तिगत स्थिति होने पर सभी की सोच एक जैसी हो जाती है।
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