विक्रम-बैताल की सच्चे प्रेमी की कहानी।

विक्रम-बैताल की सच्चे प्रेमी की कहानी।
Last Updated: 12 मई 2023

राजा विक्रमादित्य फिर से पेड़ पर बेताल को लेने पहुंचे। उन्हें देखकर आश्चर्यचकित बेताल ने कहा, “ राजन, बार-बार मुझे लेकर जाते हो, तुम ऊब गए होंगे।” राजा ने कुछ भी नहीं कहा। उन्हें शांत देख उसने फिर कहा, “ ठीक है, मैं तुम्हें दूसरी कहानी सुनाऊंगा। वह तुम्हें उबने नहीं देगी” और बेताल ने कहानी सुनानी शुरू की। कन्नौज में कभी एक बहुत ही धार्मिक ब्राह्मण रहता था। उसकी विद्रुमा नामक एक जवान पुत्री थी जो बहुत अधिक सुंदर थी। उसका चेहरा चांद की तरह था और रंग निकले हुए सोने की तरह था। उसी शहर में तीन विद्वान ब्राह्मण युवक रहते थे। वे तीनों विद्रुमा को बहुत पसंद करते थे और उससे विवाह करना चाहते थे। उन्होने कई बार विवाह का प्रस्ताव भी रखा था पर हर बार ब्राह्मण प्रस्ताव को ठुकरा देते थे।

एक बार विद्रुमा बिमार पड़ गई, ब्राह्मण ने उसे बचाने की बहुत कोशिश की पर वह ठीक ना हो पाई और परलोक सिधार गई। तीनो युवक और ब्राह्मण बहुत दिनो तक विलाप करते रहे और उन्होंने जीवन भर विद्रुमा की याद में व्यतीत करने का निश्चय किया। पहला ब्राह्मण युवक उसकी भस्म को अपना बिस्तर बना लिया। वह दिनभर भिक्षा माँगता और रात में उसी बिस्तर पर सोता था। दूसरे ब्राह्मण युवक विद्रुमा की हड्डियां इकट्ठी करके गंगाजल में डुबोई और नदी के किनारे तारों की छांव में सोने लगा।

तीसरे ब्राह्मण युवक ने सन्यासी का जीवन व्यतीत करना शुरु किया। वह गांव – गांव भिक्षा माँगकर अपना जीवन व्यतीत करने लगा। एक व्यापारी ने उससे अपने घर में रात व्यतीत करने का अनुरोध किया। व्यापारी का निमंत्रण स्वीकार करके वह उसके घर चला गया। रात में सभी भोजन करने बैठे। तभी व्यापारी का छोटा बच्चा जोर जोर से रोने लगा। उसकी मां ने उसे शांत कराने की बहुत कोशिश की पर वह रोता रहा। परेशान होकर मां ने बच्चे को उठाकर चूल्हे मे झोंक दिया। बच्चा तुरंत भस्म हो गया। ब्राह्मण युवक ये सब देखकर भयभीत हो गया। गुस्से से कांपते हुए वह अपने भोजन का थाली छोड़कर उठा और बोला, “तुम लोग बहुत ही क्रूर हो। एक भोले-भाले बच्चे को मार डाला। यह एक पाप है। मैं तुम्हारे यहाँ भोजन ग्रहण नही कर सकता।”

मेजबान प्रार्थना करता हुआ बोला, “ कृपा आप मुझे क्षमा करें। आप यहाँ रुककर देखे की कोई क्रूरता नहीं हुई है। मेरा बच्चा पूरी तरह सुरक्षित है। मैं उसे वापस जीवन दान दे सकता हूँ।” यह कहकर उसने प्रार्थना की और एक छोटी सी किताब निकाल कर कुछ मंत्र पढ़ने लगा। बच्चा तुरंत जीवीत हो गया। ब्राह्मण को अपनी आंखों पर विश्वास ही नही हो रहा था। अचानक उसे एक  ख्याल आया। मेजबान के सो जाने पर ब्राह्मण युवक ने वह मंत्र वाली किताब उठाई और गांव छोड़कर वापस अपनी जगह आ गया।

अब वह विद्रुमा को जीवित करना चाहता था। उसे विद्रुमा की भस्म और हड्डिया चाहिए थी। वह दोनो ब्राह्मण युवक के पास गया और बोला, “भाईयो, हम लोग विद्रुमा को जीवित कर सकते हैं, पर उसके लिए मुझे उसकी भस्म और हड्डिया चाहिए। उन्होने भस्म और हड्डिया लाकर उसे दे दी। तीसरे युवक ने जैसे ही मंत्र पढ़ा विद्रुमा भस्म से निकल कर खड़ी हो गई। वह और भी खूबसूरत हो गई। तीनों ब्राह्मण युवक उसे देख बहुत प्रसन्न हुए। अब उन्होने आपस में उससे विवाह करने के लिए लड़ना शुरू कर दिया।

बेताल रुका और राजा से पूछा, “ राजन, तीनों में कौन उसका पति बनने के लिए उपयुक्त हैं?” राजा विक्रमादित्य ने कहा, “ पहला ब्राह्मण युवक” बेताल मुस्कराया। राजा ने फिर कहा, “तीसरे ब्राह्मण ने उसे मंत्र से जीवन दिया, यह उसने पिता का काम किया। दूसरे ब्राहमण ने उसकी हड्डिया रखी थी जो कि एक पुत्र का काम था। पहला ब्राह्मण उसकी भस्म के साथ सोया जो एक प्रेमी ही कर सकता है, इसलिए वही विवाह के योग्य है।” “तुम सही हो।” बेताल यह कहकर फिर उड़कर पीपल के पेड़ पर चला गया ।

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