GSLV-F15 Launching: ISRO के 100वें मिशन की जल्द होगी लॉन्चिंग, जानें GSLV-F15 NVS-02 सैटेलाइट के बारे में पूरी जानकारी

GSLV-F15 Launching: ISRO के 100वें मिशन की जल्द होगी लॉन्चिंग, जानें GSLV-F15 NVS-02 सैटेलाइट के बारे में पूरी जानकारी
अंतिम अपडेट: 2 दिन पहले

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) श्रीहरिकोटा से अपना 100वां लॉन्च GSLV-F15 के रूप में करने जा रहा है। इस ऐतिहासिक मिशन में NVS-02 नेविगेशन उपग्रह शामिल होगा। 

अमरावती: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष अन्वेषण की अपनी यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव पर पहुंचने के लिए तैयार है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ15 (GSLV-F15) रॉकेट के माध्यम से नेविगेशन उपग्रह NVS-02 का प्रक्षेपण इसरो के 100वें मिशन के रूप में चिह्नित होगा। इस महत्वपूर्ण प्रक्षेपण से भारत अपनी नेविगेशन सेवाओं में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएगा, जिससे जीपीएस जैसी विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी। 

यह उपग्रह कृषि, रक्षा, आपदा प्रबंधन और परिवहन के क्षेत्रों में बेहतर नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगा। 27 घंटे की उल्टी गिनती मंगलवार से शुरू हो चुकी है, जिसके दौरान अंतिम तकनीकी परीक्षण और प्रणोदन सिस्टम की समीक्षा की जाएगी। इसरो का यह मिशन न केवल उसकी वैज्ञानिक क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा, बल्कि भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भी आगे ले जाएगा।

इसरो के अध्यक्ष वी नारायण का पहला मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक महत्वपूर्ण मिशन के लिए तैयार है, जो संगठन के अध्यक्ष वी नारायणन के नेतृत्व में पहला प्रक्षेपण है। नारायणन ने 13 जनवरी को पदभार संभाला था। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 29 जनवरी को सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर भू-समकालीन उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-एफ15) की 17वीं उड़ान के तहत नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 को लॉन्च किया जाएगा। 

इस प्रक्षेपण में स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण का उपयोग किया जाएगा, जो भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। एनवीएस-02 उपग्रह भारत की "नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन" (नाविक) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है। इसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ लगभग 1,500 किलोमीटर दूर तक के क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करना हैं। 

यह मिशन भारत के नेविगेशन सिस्टम को और अधिक सशक्त बनाएगा, जिससे जीपीएस जैसी विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी। प्रक्षेपण की तैयारी के तहत 27.30 घंटे की उलटी गिनती सोमवार देर रात 2 बजकर 53 मिनट पर शुरू हो चुकी हैं।

कब और किस समय लॉन्च होगा GSLV-F15 का प्रक्षेपण?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए 29 जनवरी 2025 एक ऐतिहासिक दिन बनने जा रहा है, जब श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ15 (GSLV-F15) रॉकेट को प्रक्षेपित किया जाएगा। यह प्रक्षेपण इसरो के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल कार्यक्रम के तहत होगा और इसमें एनवीएस-02 (NVS-02) उपग्रह को ले जाया जाएगा। एनवीएस-02 भारत के क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम "नाविक" (NavIC) का हिस्सा है, जो भारत और उसके आस-पास के क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करेगा।

यह प्रक्षेपण इसलिए भी खास है क्योंकि यह जीएसएलवी रॉकेट श्रृंखला की 17वीं उड़ान है और इसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण का उपयोग किया जाएगा। क्रायोजेनिक इंजन उपग्रह प्रक्षेपण में उच्च पेलोड क्षमता और दक्षता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसरो की अपनी क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करने में सफलता ने भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण बढ़त दिलाई हैं।

इस मिशन के सफल प्रक्षेपण से भारत की नेविगेशन सेवाओं की सटीकता और विश्वसनीयता में सुधार होगा और देश की जीपीएस जैसी विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम होगी। इसरो इस प्रक्षेपण का सीधा प्रसारण करेगा, जिससे उत्साही दर्शक और विशेषज्ञ इस ऐतिहासिक पल के गवाह बन सकेंगे।

क्या हैं NVS-02 उपग्रह?

NVS-02 उपग्रह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि यह NavIC (Navigation with Indian Constellation) प्रणाली के तहत विकसित नई पीढ़ी के उपग्रहों में से दूसरा है। इसका वजन लगभग 2,250 किलोग्राम है और इसे GTO (Geostationary Transfer Orbit) कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह उपग्रह ना केवल भारत, बल्कि उसके आस-पास के क्षेत्रों तक भी सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगा, जिससे भारत के नागरिकों को विश्वसनीय स्थिति, गति और समय जानकारी प्राप्त होगी। 

इस उपग्रह की शुरुआत से भारतीय स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम को एक बड़ी ताकत मिलेगी, जो GPS जैसी विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी। NavIC प्रणाली सात उपग्रहों का एक संयोजन है, जो भारतीय उपमहाद्वीप और इसके 1,500 किलोमीटर के आसपास के क्षेत्रों में स्थित डेटा प्रदान करते हैं। 

NVS-02 के शामिल होने से यह प्रणाली और भी मजबूत होगी, क्योंकि यह कवरेज को बढ़ाएगा और सिग्नल के रिसेप्शन पर प्रभाव डालने वाले पर्यावरणीय कारकों के खिलाफ प्रणाली की क्षमता को बढ़ाएगा। इसका मतलब है कि यह प्रणाली और भी सटीक, विश्वसनीय और कुशल बन जाएगी। NVS-02 उपग्रह कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उपयोगी साबित होगा। परिवहन, रक्षा और कृषि सहित कई नागरिक और सैन्य क्षेत्रों में इसका उपयोग किया जाएगा। 

यह उपग्रह परिवहन क्षेत्र में मार्गदर्शन और ट्रैकिंग में मदद करेगा, हवाई और समुद्री यातायात को ट्रैक करेगा, और सैन्य अभियानों में कुशल और सुरक्षित नेविगेशन प्रदान करेगा। इसके अलावा, यह भारत की रक्षा क्षमताओं को भी बढ़ाएगा, क्योंकि इससे भारतीय सेना और सुरक्षा बलों को स्वदेशी, सुरक्षित और सटीक नेविगेशन प्राप्त होगा।

इस प्रकार, NVS-02 न केवल भारत के उपग्रह-आधारित नेविगेशन क्षेत्र को सशक्त करेगा, बल्कि भारतीय उद्योग, रक्षा और परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करेगा।

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