भारत में नए साल के साथ सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस की शुरुआत का रास्ता साफ हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार स्पेक्ट्रम अलोकेशन को लेकर तेजी से कदम बढ़ा रही है। यह कदम देश के करोड़ों इंटरनेट यूजर्स के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकता है।
स्पेक्ट्रम अलोकेशन की प्रक्रिया अंतिम चरण में
दूरसंचार विभाग (DoT) ने जानकारी दी है कि स्पेक्ट्रम अलोकेशन को लेकर सिफारिशें तैयार की जा रही हैं, जिन्हें दिसंबर के अंत तक कैबिनेट की मंजूरी मिलने की संभावना है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) 15 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। इसके बाद भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की सेवाओं का रास्ता खुल जाएगा।
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड में कौन-कौन हैं प्रमुख खिलाड़ी?
इस तकनीक में न केवल भारतीय कंपनियां, बल्कि वैश्विक दिग्गज भी अपनी हिस्सेदारी के लिए तैयार हैं।
जियो और एयरटेल ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। इन्हें दूरसंचार विभाग से NOC भी मिल चुका है।
एलन मस्क की स्टारलिंक और अमेजन की कूपियर भी इस दौड़ में शामिल हैं। हालांकि, इन कंपनियों को अभी स्पेक्ट्रम के लिए सरकार की अनुमति का इंतजार है।
क्या है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड का महत्व?
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड उन इलाकों तक इंटरनेट पहुंचाने में सक्षम है, जहां मौजूदा फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क या मोबाइल टावर नहीं पहुंच सकते। यह सेवा दूरदराज के गांवों और पहाड़ी इलाकों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने में मददगार साबित होगी।
सरकार के सामने चुनौतियां
स्पेक्ट्रम अलोकेशन को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। जियो और एयरटेल ने स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी प्रक्रिया की मांग की थी, लेकिन सरकार इसे एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से आवंटित करने पर विचार कर रही है।
स्टारलिंक और अमेजन के लिए अभी इंतजार
स्टारलिंक ने अक्टूबर 2022 में भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली है। अमेजन कूपियर को भी भारत सरकार के कंप्लायेंस को पूरा करने के लिए समय दिया गया है।
नई टेक्नोलॉजी से बदल जाएगा इंटरनेट का भविष्य
सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा भारत में डिजिटल क्रांति को नई दिशा देगी। दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ यह तकनीक देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी। नए साल में यह तकनीक देश को सशक्त और डिजिटल रूप से आत्मनिर्भर बनाने की ओर एक बड़ा कदम होगी।